हैदराबाद :जर्मन भौतिक विज्ञानी विल्हेम कॉनराड रोन्टजेन ने 8 नवंबर 1895 को एक्स-रे किरणों का पता लगाया. विज्ञान के क्षेत्र में अमूल्य खोज किया. उनके योगदान को याद करने के लिए हर साल 8 नवंबर को विश्व रेडियोग्राफी दिवस के रूप में मनाया जाता है. विल्हेम रोन्टजेन को इस शोध के लिए 1901 में नॉबेल प्राइज से नवाजा गया.
विश्व रेडियोग्राफी दिवस का उद्देश्य
आने वाली पीढ़ियों को रेडियोग्राफी को एक करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विश्व रेडियोग्राफी दिवस के अवसर पर कई प्रकार का आयोजन किया जाता है. इस दिन आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में एक्स रे किरण के योगदान के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है.
विश्व रेडियोग्राफी दिवस 2023 के लिए थीम रोगी सुरक्षा का जश्न (Celebrating Patient Safety) तय किया गया है. थीम का मक्सद है कि मरीजों की सुरक्षा करना है. बता दें कि रेडियोग्राफी की मदद से कई बीमारियों का पता लगाया जाता है. इसके अलावा कई बीमारियों के इलाज में रेडियोलॉजी का उपयोग किया जाता है.
कब से मनाया जाता है विश्व रेडियोग्राफी दिवस
विश्व रेडियोग्राफी दिवस आयोजन की शुरूआत 2012 में किया गया था. रेडियोलॉकिल सोसाइटी ऑफ नार्थ अमेरिका, अमेरिकन कॉलेज ऑफ रेडियोलॉजी और यूरोपियन सोसाइटी ऑफ रेडियोलॉजी के संयुक्त पहल पर विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया जाता है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में 1996 से विश्व रेडियोग्राफी दिवस मनाया जाता है.
चिकित्सा के क्षेत्र में रेडियोलॉजी का महत्व
रेडियोग्राफी की मदद से कई जटिल बीमारियों की पहचान व इलाज आसान हुआ है. तकनीकी और जैविक अनुसंधान के लिए एक्स-रे, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging-MRI) स्कैन, अल्ट्रासाउंड, मैमोग्राफी, कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed Tomography-CT) स्कैन और एंजियोग्राफी सहित अलग-अलग जांच में रेडियोलॉजी तकनीक का उपयोग किया जाता है.
भारत में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या वैश्विक मानक से काफी कम
भारत में रेडियोलॉजिस्ट की भारी कमी है. ताजा आकड़ों के अनुसार 1.4 अरब से अधिक आबादी वाले भारत में मात्र 20,000 के करीब रेडियोलॉजिस्ट हैं. यह संख्या वैश्विक स्वास्थ्य मानक प्रति एक लाख व्यक्ति पर एक रेडियोलॉजिस्ट के अनुपात से काफी नीचे है. भारत में रेडियोलॉजिस्ट की संख्या कम होने के कारण मरीजों और डॉक्टरों को काफी परेशानी हो रही है. छोटे हो या बड़े अस्पताल में इस कारण मरीजों को डायग्नोसिस कराने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.
रेडियोलॉजी मुख्य रूप से 2 प्रकार का होता है. (1) डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी और (2) इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी
डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजीका उपयोग मेडिकल साइंस में किया जाता है. इसमें इमेजिंग के लिए व्यापक स्पेक्ट्रम होता है. शरीर के अंदर विभिन्न संरचनाओं या अंगों को देखने के लिए डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी का उपयोग किया जाता है. वहीं इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी की बात करें तो यह रेडियोलॉजी काएक सुपर स्पेशियलिटी शाखा है. इसका उपयोग भी चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अलग-अलग काम के लिए किया जाता है.
डायग्नोस्टिक रेडियोलॉजी का उपयोग
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed Tomography) स्कैन
- वास्तविक समय में आंतरिक अंगों की गतिशील इमेज प्राप्त करने के लिए फ्लोरोस्कोपी
- चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
- स्तन जांच के लिए मैमोग्राफी (Mammography)
- चुंबकीय अनुनाद एंजियोग्राफी (Magnetic Resonance Angiography)
- परमाणु चिकित्सा.
- पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (Positron Emission Tomography) इमेजिंग/स्कैन.
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
कौन थे विल्हेम कॉनराड रोन्टजेन
- विल्हेम कॉनराड रोन्टजेन को 1901 में फिजिक्स में नॉबेल प्राइज मिला. पुरस्कार के समय में वे म्यूनिख विश्वविद्यालय, जर्मनी से संबंद्ध थे.
- इनका जन्म 27 मार्च 1845 को लेन्नेप, प्रशिया में हुआ था. वर्तमान में यह इलाका जर्मनी का रेम्सचीड है.
- इनका निधन 10 फरवरी 1923 को जर्मनी को म्यूनिख शहर में हुआ था.
- इनकी पढ़ाई-लिखाई व बचपन हॉलैंड शहर में गुजरा था.
- ईटीएच ज्यूरिख विश्वविद्यालय से इन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की.
- इसी विश्वविद्यालय से इन्होंने फिजिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
- पढ़ाई के बाद विल्हेम रोन्टजेन ने गिसेन, स्ट्रासबर्ग और वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय में रहकर शोध किया, जिसके लिए उन्हें 1901 में नॉबेल प्राइज मिला.
- रॉन्टगन को 1900 में ट्रांसफर कर दिया गया. अमेरिका में बसने की योजना के बाद भी वे जीवन भर वहीं रहे.
- 1872 में उन्होंने बर्था लुडविग से शादी की.
- इन्होंने बाद में अपनी पत्नी के भाई की बेटी को गोद लिया.
- 8 नवंबर 1895 को उन्होंने एक्स-रे को खोज किया.
- मेडिकल साइंस ही नहीं कई क्षेंत्रों में इसका उपयोग किया जाता है.
इंटरवेंशन रेडियोलॉजी