सूर्य के प्रकाश के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है, लेकिन सूर्य से प्रकाश के साथ पराबैगनी किरणे भी आती हैं जो जीवन के लिए बहुत हानिकारक होती है. पृथ्वी के वायुमंडल में चारों ओर एक परत होती है, जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) से हमारा बचाव करती है. यह हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से बचाती है और पारिस्थितिकी प्रणालियों की रक्षा करती है. इसी परत को ओजोन परत (Ozone Layer) कहा जाता है. सूरज की रोशनी जीवन को संभव बनाती है और ओजोन परत जीवन बचाती है. World ozone day 2022 theme Importance of saving ozone layer . World ozone day 2022 . विश्व ओजोन दिवस 16 सितंबर .
ओजोन परत गैस से बनी एक नाजुक ढाल है जो सूरज की हानिकारक किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है. इसके साथ ही यह जलवायु परिवर्तन को दूर करने के लिए वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण है. हर साल 16 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व ओजोन दिवस (World Ozone Day) मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है. जिस तरह युद्ध में ढाल और कवच जीवन की रक्षा करता है, उसी तरह ओजोन की परत भी वायुमंडल की हानिकारक गैसों और शरीर को नुकसान देने वाली किरणों से बचाती है.
जानिए क्या है विश्व ओजोन दिवस का इतिहास
- ओजोन परत में हुई क्षति की वैज्ञानिक पुष्टि की गई, जिसमें अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ओजोन परत की रक्षा के लिए कार्रवाई करने, तंत्र स्थापित के लिए प्रेरित किया. 22 मार्च 1985 को 28 देशों द्वारा अपनाया और हस्ताक्षरित ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना कन्वेंशन में इसे औपचारिक रूप दिया गया था. सितंबर 1987 में, इसने द मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ऑन द सब्स्टेक्ट्स का मसौदा तैयार किया जो ओजोन परत को चित्रित करता है.
- 16 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाए जाने की बात कही गई थी. इसकी पहली बार चर्चा 1987 में हुई और इस 19 दिसंबर 2000 को सौंपा गया. जिस पर राष्ट्रों ने ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किया.
- 1994 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 सितंबर को ओजोन परत के संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया.
- प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जाने के 30 साल बाद ओजोन परत में छेद को बंद किया गया. ओजोन की कमी के लिए जिम्मेदार गैसों की प्रकृति के कारण, उनके रासायनिक प्रभाव 50 और 100 वर्षों के बीच जारी रहने की उम्मीद है. इसके अलावा, इस दिन शिक्षकों ने अपने छात्रों को ओजोन परत के लाभों के बारे में पढ़ाया और जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम और गतिविधियों का आयोजन किया.
- 16 सितंबर 2009 को, वियना कन्वेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में पहली संधियां बन गईं.
- ओजोन परत को परिभाषित करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्ष में 15 अक्टूबर 2016 को किवली, रवांडा में पार्टियों की 28 वीं बैठक में चरणबद्ध हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) में समझौता हुआ. इस समझौते को किगाली समझौते के रूप में जाना जाता है.
ओजोन परत का महत्व
ओजोन (रासायनिक रूप से, तीन ऑक्सीजन परमाणुओं का एक अणु) मुख्य रूप से ऊपरी वायुमंडल में पाया जाता है, जिसे स्ट्रैटोस्फीयर कहा जाता है. यह पृथ्वी की सतह से 10 और 50 किमी के बीच स्थित होता है. यद्यपि यह एक परत के रूप में बात की जाती है, ओजोन परत वातावरण में कम सांद्रता में मौजूद है. यहां तक कि उन जगहों पर जहां यह परत सबसे मोटी है, वहां हर दस लाख वायु अणुओं के लिए ओजोन के कुछ अणुओं से अधिक नहीं हैं. लेकिन यह परत एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य करती हैं. यह पृथ्वी पर सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को पहुंचने से रोकती हैं. जिससे जीवन के लिए बड़ा खतरा पैदा होता है. सूर्य से निकलने वाली यूवी किरणें त्वचा कैंसर, पौधों, जानवरों में कई अन्य प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकती है.
वर्ल्ड ओजोन डे थीम 2022 (World Ozone Day Theme 2022)
इस वर्ष विश्व ओजोन दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय ओजोन परत संरक्षण के लिए इस साल की थीम है,"Global Cooperation to Protect Life on Earth" जिसका मतलब है कि 'पृथ्वी पर जीवन की रक्षा के लिए वैश्विक सहयोग' जिससे सतत विकास को प्रोत्साहित किया जा सके.
ओजोन परत में कमी की वजह
ओजोन परत की कमी का मुख्य कारण मानव गतिविधि है, जिसमें मुख्य रूप से मानव निर्मित रसायन होते हैं जिनमें क्लोरीन या ब्रोमीन होता है. इन रसायनों को ओजोन डिप्लेटिंग सबस्टेंस (ओडीएस) के रूप में जाना जाता है. 1970 की शुरुआत में वैज्ञानिकों ने स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन में कमी देखी और यह पोलर रीजन में अधिक प्रमुख पाया गया. मुख्य ओजोन-क्षयकारी पदार्थों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), कार्बन टेट्राक्लोराइड, हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं. कभी-कभी ब्रोमिनेटेड फ्लोरोकार्बन के रूप में जाना जाने वाला हैलोन भी ओजोन क्षरण करने में शक्तिशाली होता है. ओडीएस पदार्थों का जीवनकाल लगभग 100 वर्ष का होता है.
आर्कटिक ओजोन में बड़ा छेद क्यो हैं ?
आर्कटिक पर ओजोन की कमी बहुत बड़ी थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि समताप मंडल में ठंड के तापमान सहित असामान्य वायुमंडलीय परिस्थितियां जिम्मेदार थीं. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ठंडे तापमान (-80 डिग्री सेल्सियस से नीचे), सूरज की रोशनी, हवा के क्षेत्र और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (सीएफसी) जैसे पदार्थ आर्कटिक ओजोन परत के क्षरण के लिए जिम्मेदार थे.