हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है. ये दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके. इस दौड़-भाग भरी जिंदगी में आमतौर पर लोग अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं देते हैं. वर्ष 1992 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को मानते हुए WFMH विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ (World Mental Health Association) ने ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ मनाए जाने की घोषणा कर एक पहल की थी, जिससे पूरे विश्व में ऐसे लोगों की मदद की जा सकते जो किसी न किसी प्रकार की मानसिक अवस्था या रोग का सामना कर रहे थे. इसके बाद यूनाइटेड नेशन के उप सचिव ने 1994 में इसे प्रतिवर्ष एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की.
वहीं, चिकित्सकों का कहना है कि खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण मरीज को शारीरिक बीमारियों से भी जूझना पड़ता है. डॉक्टरों का कहना है कि देश में लगभग 19 करोड़ 70 लाख की आबादी किसी ना किसी मानसिक रोग से ग्रसित है. ये लगभग हर 7 में से एक व्यक्ति का मानसिक रोग से पीड़ित होना दर्शाती है. इनमें से लगभग 9 करोड़ की आबादी में अवसाद या चिंता जैसी बीमारियां पाई गई हैं. अवसाद का सीधा संबंध आत्महत्या जैसे कदम उठाने से भी है और वर्तमान में दुनिया में लगभग हर 40 सेकेंड में एक आत्महत्या घटित होती है.
मानसिक रोगों के लक्षण: चिकित्सकों का मानना है कि हर मनोरोग के अपने अलग-अलग लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण शुरुआती तौर पर दिखाई देते हैं. जिससे आसानी से पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति किसी न किसी मानसिक अवसाद या मनोरग से पीड़ित है. इसमें सामान्य गतिविधियों और लोगों से कटना, नींद और भूख में बदलाव, व्यवहार में परिवर्तन जैसे गुमसुम, चिड़चिड़ापन या उत्तेजित होना, अनावश्यक रूप से चिंतित होना और घबराहट महसूस करना शामिल है. इसके अलावा मन में उदासी और काम में मन न लगना भी शामिल हैं. इसके अलावा मानसिक रोग से ग्रसित व्यक्ति में डर घबराहट के लक्षण भी दिखाई देते हैं और इस दौरान वह नशे की गिरफ्त में भी आ जाता है. मानसिक रोगों के अन्य और भी कारण होते हैं जिसमें अनुवांशिक, मनोवैज्ञानिक, मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर में बदलाव आदि शामिल हैं.
कौन से मानसिक विकार करते हैं ज्यादा प्रभावित?
गौरतलब है की मानसिक स्वास्थ्य विकार मुख्य रूप से प्रभावित लोगों के विचारों, मनोदशाओं और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं. यह आनुवंशिक, परीस्तिथिजन्य (जैसे महामारी, दुर्घटना, किसी की मृत्यु , हिंसा), स्वास्थ्य कारणों से, मानसिक दबाव, उम्र तथा कई बार जीवनशैली के कारण हो सकते हैं. कुछ प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकार व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन कार्य करने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करते हैं वहीं कुछ मानसिक विकार व्यक्ति को हिंसक, अपराधी, यह तक की स्वयं की जान ले सकने में सक्षम भी बना सकते हैं. विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर अपने पाठकों के साथ पूर्व में अपने मानसिक रोग विशेषज्ञों के साथ हुई बातचीत के आधार पर ETV भारत सुखीभवा उन मानसिक विकारों के बारें में जानकारी साँझा करने जा रहा है जो सामान्य रूप से लोगों में नजर आ सकते हैं.
डिप्रेशन या तनाव:सामान्य जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी, ज्यादा या कम मात्रा में तनाव या स्ट्रेस महसूस करता ही है , जो सामान्य है . लेकिन जब यह तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे और नियंत्रण से बाहर होने लगे तो यह हमारे व्यवहार और सोच पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है और तनाव अवसाद में बदल जाता है. अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो यह उसके मानसिक ही नही शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.
एंजायटी डिसॉर्डर या चिंता विकार:इसे दुनिया भर में सबसे आम मानसिक विकारों में गिना जाता है. चिंता विकारों को लेकर किए की रिसर्च के आँकड़े बताता हैं की विकसित देशों के लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं. इनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. सिर्फ भारत की ही बात करें तो अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटीऔर 15.17% लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. भारत में 2017 में, 197·3 मिलियन लोगों को मानसिक विकार थे, जिनमें अवसादग्रस्तता विकारों के साथ 45·7 मिलियन और चिंता विकारों के साथ 44·9 मिलियन शामिल थे. चिंता विकारों से पीड़ित लोगों को परेशानी, भय और आकारण गलत होने की आशंका का अनुभव होता है. "चिंता" वास्तव में एक व्यापक शब्द है जिसमें कई विशिष्ट विकार शामिल हैं, जिनमें मुख्य हैं:
- सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD)
- जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD)
- घबराहट की समस्या
- दुर्घटना के बाद का तनाव विकार (PTSD)
- सामाजिक चिंता विकार