वर्ष 1992 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को मानते हुएविश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस’ मनाए जाने की घोषणा कर एक पहल की थी , जिससे पूरे विश्व में ऐसे लोगों की मदद की जा सकते जो किसी न किसी प्रकार की मानसिक अवस्था या रोग का सामना कर रहे थे. इसके बाद यूनाइटेड नेशन के उप सचिव ने 1994 में इसे प्रतिवर्ष एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की. इस वर्षडब्ल्यूएफएमएच (WFMH) के अध्यक्ष डॉ. इंग्रिड डेनियल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 को ‘एक असमान दुनिया में’ मानसिक स्वास्थ्य थीम पर मनाए जाने की घोषणा की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में 450 मिलियन लोग अलग अलग प्रकार के मानसिक विकारों तथा समस्याओं से पीड़ित हैं। विश्व में चार व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जीवन के किसी मोड़ पर मानसिक विकार या तंत्रिका संबंधी विकारों से प्रभावित होता ही है.
कौन से मानसिक विकार करते हैं ज्यादा प्रभावित?
गौरतलब है की मानसिक स्वास्थ्य विकार मुख्य रूप से प्रभावित लोगों के विचारों, मनोदशाओं और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं. यह आनुवंशिक, परीस्तिथिजन्य (जैसे महामारी, दुर्घटना, किसी की मृत्यु , हिंसा), स्वास्थ्य कारणों से , मानसिक दबाव, उम्र तथा कई बार जीवनशैली के कारण हो सकते हैं. कुछ प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकार व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन कार्य करने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करते हैं वहीं कुछ मानसिक विकार व्यक्ति को हिंसक, अपराधी, यह तक की स्वयं की जान ले सकने में सक्षम भी बना सकते हैं.
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर अपने पाठकों के साथ पूर्व में अपने मानसिक रोग विशेषज्ञों के साथ हुई बातचीत के आधार पर ETV भारत सुखीभवा उन मानसिक विकारों के बारें में जानकारी साँझा करने जा रहा है जो सामान्य रूप से लोगों में नजर आ सकते हैं.
डिप्रेशन या तनाव
सामान्य जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी , ज्यादा या कम मात्रा में तनाव या स्ट्रेस महसूस करता ही है , जो सामान्य है . लेकिन जब यह तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे और नियंत्रण से बाहर होने लगे तो यह हमारे व्यवहार और सोच पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है और तनाव अवसाद में बदल जाता है. अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो यह उसके मानसिक ही नही शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.
एंजायटी डिसॉर्डर या चिंता विकार
इसे दुनिया भर में सबसे आम मानसिक विकारों में गिना जाता है. चिंता विकारों को लेकर किए की रिसर्च के आँकड़े बताता हैं की विकसित देशों के लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं. इनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. सिर्फ भारत की ही बात करें तो अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटीऔर 15.17% लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. भारत में 2017 में, 197·3 मिलियन लोगों को मानसिक विकार थे, जिनमें अवसादग्रस्तता विकारों के साथ 45·7 मिलियन और चिंता विकारों के साथ 44·9 मिलियन शामिल थे. चिंता विकारों से पीड़ित लोगों को परेशानी, भय और आकारण गलत होने की आशंका का अनुभव होता है. "चिंता" वास्तव में एक व्यापक शब्द है जिसमें कई विशिष्ट विकार शामिल हैं, जिनमें मुख्य हैं:
- सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD)
- जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD)
- घबराहट की समस्या
- दुर्घटना के बाद का तनाव विकार (पीटीएसडी)
- सामाजिक चिंता विकार