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Leprosy : 'कलंक' नहीं सिर्फ एक बीमारी है, जानिए अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस से जुड़ी जरूरी बातें

दुनियाभर में कुष्ठ रोग और उसके इलाज के बारे में जागरूकता फैलाने तथा कुष्ठ रोगियों के उत्थान के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल जनवरी के अंतिम रविवार को World Leprosy Day ( विश्व कुष्ठ रोग दिवस ) मनाया जाता है. इस साल यह विशेष आयोजन 29 जनवरी को होगा.

Leprosy Day Act Now End Leprosy World Leprosy Day 2023 Theme
अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस

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Published : Jan 29, 2023, 12:04 AM IST

Updated : Jan 30, 2023, 3:25 PM IST

हमारे देश में कुष्ठ रोग को सिर्फ एक बीमारी के रूप में ही नहीं देखा जाता है बल्कि एक 'कलंक' के रूप में भी देखा जाता है. ऐसा नहीं है की यह एक लाइलाज बीमारी है लेकिन जागरूकता की कमी के चलते लोगों में मन में इसे लेकर बहुत से भ्रम रहते हैं और इससे पीड़ित लोगों को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में World Leprosy Day 29 January ( अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस 29 जनवरी ) एक ऐसा अवसर है जो इस रोग को लेकर जागरूकता बढ़ाने, इसका इलाज हर पीड़ित जन के लिए संभव हो इसके लिए प्रयास करने तथा जो लोग इस रोग से पीड़ित हैं उन्हें सामाजिक भेदभाव का सामना ना करना पड़े, इस बात के लिए प्रयास करने के लिए मौका प्रदान करता है.

यह विशेष आयोजन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि ( Mahatma Gandhi death anniversary ) के अवसर पर मनाया जाता है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे जनवरी माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है. इस वर्ष यह विशेष दिवस 29 जनवरी रविवार को “अभी कार्य शुरू करें, कुष्ठ रोग समाप्त करें.” या "Act Now, End Leprosy" थीम पर मनाया जा रहा है. World Leprosy Day 2023 Theme .

कुष्ठ रोग दिवस - कॉन्सेप्ट इमेज

थीम का उद्देश्य व इतिहास ( World Leprosy Day 2023 Theme Purpose and history )
सभी जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कुष्ठ रोगियों के विकास, उनके लिये इलाज व सुविधायें उपलब्ध कराने तथा इस रोग को लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए कितना प्रयास किया है. उसके बाद भी हमारे देश में लगातार इस रोग को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर कई तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं. लेकिन अभी तक इस रोग को लेकर आम जन के रवैये में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.

इसी दिशा में लोगों को ज्यादा प्रयास करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इस साल 'अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस' 'Act Now, End Leprosy' थीम के साथ मनाया जा रहा है. इस थीम का चयन कुछ खास उद्देश्यों व संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए किया गया है. जो इस प्रकार हैं. कुष्ठ रोग का उन्मूलन संभव है. क्योंकि इसके संचरण को रोकने और इस बीमारी को हराने की शक्ति और साधन यानी इलाज मौजूद है. अभी से कार्य शुरू करें, क्योंकि कुष्ठ रोग को समाप्त करने के लिए हमें संसाधनों के साथ प्रतिबद्धता की भी आवश्यकता है. कुष्ठ उन्मूलन को प्राथमिकता दें. ऐसे लोगों तक भी पहुंचे जो पहुंच से बाहर हों. कुष्ठ रोग निवारणीय और उपचार योग्य है इसलिए इससे पीड़ित क्यों रहना.

कुष्ठ रोग दिवस - इंफोग्राफिक्स

गौरतलब है कि विश्व कुष्ठ दिवस की स्थापना 1954 में फ्रांसीसी पत्रकार राउल फोलेरेउ ने दो लक्ष्यों के साथ कि थी. पहला , कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के समान उपचार की वकालत करना और दूसरा, रोग के आसपास की ऐतिहासिक गलत धारणाओं को ठीक करके कुष्ठ रोग के बारे में जनता को फिर से शिक्षित करना. विशेषतौर पर इस आयोजन के लिए इस दिन का चयन उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए किया था. क्योंकि कुष्ठ रोग के क्षेत्र में उनके कार्यों को दुनियाभर में जाना और माना जाता है, और 30 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि ( mahatma gandhi martyrdom day ) होती है.

क्या कहते हैं आँकड़े
भारत में National Leprosy Eradication Program ( राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम ) के तहत सालों से इस रोग को लेकर कार्य किए जा रहे हैं. हालांकि वर्ष 2005 में आधिकारिक तौर पर भारत को कुष्ठरोग मुक्त घोषित ( leprosy free 2005 ) किया गया था, लेकिन आंकड़ों की माने तो अभी भी देश में बड़ी संख्या में कुष्ठ रोग के मामले सामने आते रहते हैं. लेकिन तसल्ली की बात यह है कि उपचार और सुविधाओं तक आम जन की पहुंच होने तथा इस दिशा में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों के चलते इसके मरीजों के पूरी तरह से ठीक होने के आंकड़ों में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. वर्ष 2020-2021 के लिए NLEP report के अनुसार, भारत में 94.75 फीसदी रोगियों को ठीक किया गया है.

कुष्ठ रोग दिवस - कॉन्सेप्ट इमेज

यही नहीं World Health Organisation की वेबसाइट पर प्रकाशित सूचना के अनुसार उनका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 120 देशों में नए कुष्ठ मामलों को शून्य तक पहुंचाना है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड़ 19 से पहले हर साल लगभग वैश्विक स्तर पर लगभग 200,000 लोगों में कुष्ठ रोग के होने के आंकड़े सामने आ रहे थे, लेकिन इस महामारी के चलते इस रोग के इलाज में पीड़ितों को व्यवधानों का सामना करना पड़ा था. WHO report के अनुसार, मौजूदा समय में दुनिया भर में लगभग 208,000 लोग कुष्ठ रोग से संक्रमित हैं, तथा लाखों लोग कुष्ठ रोग से संबंधित विकलांगों के साथ जी रहे हैं, जिनमें से अधिकांश Asia, Africa and South America में हैं.

कुष्ठ रोग दिवस - इंफोग्राफिक्स

क्या है कुष्ठ रोग : What is leprosy
दिल्ली के चर्म रोग विशेषज्ञ Dr Suraj Bharti Dermatologist ( डॉ सूरज भारती )बताते हैं कि कुष्ठ रोग एक क्रोनिक संक्रामक बीमारी है. इसे Hansen disease or Hanseniasis ( हैनसेन रोग या हैनसेनिएसिस ) के रूप में भी जाना जाता है. यह संक्रामक रोग Mycobacterium leprae or Mycobacterium leprae matosis bacteria ( माइकोबैक्टीरियम लेप्री या माइकोबैक्टीरियम लेप्री मैटोसिस बैक्टीरिया ) के कारण होता है. Mycobacterium leprae bacteria बहुत धीरे धीरे प्रभाव दिखाता है. यहां तक कई बार इसके लक्षण दिखने में 20 साल तक लग सकते हैं. वह बताते हैं कि कुष्ठ रोग अत्यधिक संक्रामक रोग नहीं है और समय पर इलाज से इसका प्रबंधन तथा निदान पूरी तरह से संभव है. वह बताते हैं कि यदि कुष्ठ रोग का समय पर पता चल जाए है, तो अधिकांश मामलों को 6 से 12 महीनों के बीच रोग को ठीक किया जा सकता है. लेकिन यदि इस रोग का समय पर पता ना चले या इसे या इलाज को लेकर लापरवाही बरती जाए तो रोगियों में गंभीर दीर्घकालिक तंत्रिका क्षति का खतरा हो सकता है.

कुष्ठ रोग के लक्षण

  1. इसके लक्षणों की बात करे तो प्रभावित त्वचा का रंग बदलने के साथ ही इसके कुछ अन्य लक्षण भी माने जाते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  2. त्वचा हल्के रंग के पैच बनना . कई बार प्रभावित त्वचा सुन्न भी हो सकती है.
  3. प्रभावित स्थान की त्वचा का मोटा या सख्त हो जाना या उस स्थान पर शुष्कता बढ़ जाना.
  4. मांसपेशियों विशेषकर हाथों व पैरों की मांसपेशियों में कमजोरी या लकवा.
  5. आंखों की समस्याएं या कई बार दृष्टिहीनता, आदि.

अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोग दिवस ( International leprosy day )
International Leprosy Day or World Leprosy Day के दिन आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी व गैर-सरकारी संगठन विशेषकर एनजीओ सार्वजनिक और शैक्षणिक स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं. साथ ही इस अवसर पर इस रोग के इलाज, प्रबंधन, अनुसंधान तथा पीड़ितों के उत्थान के लिए कई संगठन धन जुटाने के लिए भी कार्यक्रम आयोजित करते हैं. इसके अलावा इस अवसर पर रोगियों को उपचार प्रदान करने और बीमारी से पीड़ित लोगों के पुनर्वास के लिए रैली, मैराथन, सेमिनार और कार्यशालाओं जैसी गतिविधियां भी आयोजित की जाती है.

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