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लंबी उम्र के लिए बच्चों का टीकाकरण जरूरी: विश्व टीकाकरण दिवस

बच्चे के जन्म के उपरांत उसे विभिन्न बीमारियों तथा संक्रमण से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के टीके तथा दवाइयां दी जाती हैं, जो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार इन दवाइयों का असर बच्चों के शरीर में लंबे समय तक बना रहता है, जिससे वह इन जानलेवा बीमारियों से बच पाते हैं.

World Immunization Day
विश्व टीकाकरण दिवस

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Published : Nov 10, 2020, 11:00 AM IST

Updated : Nov 11, 2020, 10:01 AM IST

दुनिया भर में लोगों को टीको की जरूरत तथा उनके महत्व के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से 10 नवंबर को विश्व टीकाकरण दिवस बनाया जाता है.

विश्व टीकाकरण दिवस

दुनिया भर में बच्चों को गंभीर बीमारियों से दूर रखने के विभिन्न प्रकार की टीकों को लगाया जाना जरूरी किया गया है. जिसके लिए वृहद स्तर पर कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं, लेकिन उसके बावजूद हर साल बहुत से बच्चे किसी ना किसी कारण से इन टीकों को नहीं लगवा पाते हैं. अगर बच्चों को महत्वपूर्ण टीके समय पर लगाए जाए, तो उन्हें कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है. आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2003 में दुनिया भर में बच्चों की कुल आबादी के 85 प्रतिशत यानी लगभग 116 मिलियन बच्चों ने डिप्थीरिया टिटनस और परट्यूसिस की तीन-तीन खुराक ग्रहण की थी. लेकिन लगभग 20 मिलियन बच्चे ये जीवनदायी टीके नहीं ले पाए थे.

एनएचपी इंडिया के अनुसार भारत दुनिया भर में सबसे बड़े और वृहद स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाने वाले देशों में से एक है. लेकिन दवाइयों की उपलब्धता, बड़ी संख्या में सरकारी विभागों तथा संस्थाओं की संलग्नता, दूरस्थ ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध कराए जाने के बावजूद बाल जनसंख्या के कुल 65 प्रतिशत बच्चे टीकाकरण का लाभ ले पाते हैं. शत-प्रतिशत बच्चों को टीकाकरण का लाभ मिले इसके लिए भारत सरकार द्वारा 2014 में इंद्रधनुष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य ही था की गर्भवती महिला तथा नवजात सहित तमाम बच्चों को पूर्ण टीकाकरण का लाभ मिल सके.

टीकाकरण की जरूरत तथा महत्व

नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार हमारे शरीर में संक्रमण से बचाव रखने के लिए प्राकृतिक तौर पर प्रतिरक्षण क्षमता यानी इम्यूनिटी मौजूद होती है. शिशु के जन्म लेने के बाद शुरुआती सालों में शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित हो रही होती है. जन्म से पहले माता के गर्भ में तथा जन्म के उपरांत माता के दूध पिलाने पर शिशु के शरीर को एंटीबॉडीज मिलती रहती हैं, जिनसे वह ज्यादातर संक्रमणों से सुरक्षित रहता है. लेकिन धीरे-धीरे एंटीबॉडीज की संख्या कम होने लगती है. उस समय शिशु के शरीर में संक्रमण से बचने के लिए एंटीबॉडीज उत्पन्न करने की जरूरत होने लगती हैं. जीवनदाई टीके शिशु के शरीर में एंटीबॉडीज विकसित करने में मदद करते हैं. ये एंटीबॉडीज इन्फेक्शन या संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं से हमारी रक्षा करते हैं और उसके ठीक होने के बाद भी हमारे शरीर में ही रहते हैं. यह हमारे शरीर में जिंदगी भर के लिए रक्षा करने के लिए रहते है.

बच्चों को जरूरी तौर पर लगाए जाने वाले टीको की सूची

बच्चे के जन्म के उपरांत चिकित्सक द्वारा बच्चे के माता-पिता को उसे लगने वाले टीकों के बारे में जानकारी दी जाती है. बच्चों के टीकाकरण के लिए एक विशेष कार्ड भी बनाया जाता है, जिसमें उसे लगने वाले सभी टीकों के बारे में जानकारी होती है.

टीकाकरण के बाद सावधानियां

टीकाकरण लगवाने के बाद बच्चों में हल्का बुखार, दर्द या सूजन आदि हो सकती है. यह आम बात है, परंतु आप उन्हें इसके लिए ऐसे ही कोई दवा ना दें. अगर बच्चा ज्यादा रोता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें. डीपीटी के टीके के बाद शिशु में इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन या लाली हो सकती है. कई बार एक गांठ सी भी बन जाती है. इसमें चिंता करने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह अपने आप ठीक हो जाता हैं.

टीकाकरण के समय ध्यान देने योग्य बातें

बच्चे का टीकाकरण कराते समय बहुत जरूरी है कि कुछ विशेष बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए. टीकाकरण को लेकर एनएचपी ने भी एक विशेष गाइडलाइन जारी की है;

  • ध्यान दिया जाए कि बच्चे को लगने वाले इंजेक्शन सिर्फ एक बार इस्तेमाल किए जाने वाला हो.
  • बच्चों को लगाई जाने वाली टीकों के लिए चिकित्सक द्वारा उपलब्ध की गई टीकाकरण सारणी को ध्यान में रखें, और उसी के अनुसार निर्धारित समय पर बच्चे को टीके लगवाए.
  • बच्चों का टीकाकरण कराने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें.
Last Updated : Nov 11, 2020, 10:01 AM IST

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