बहरापन तथा सुनने में कमी या समस्या, चाहे वो स्थाई हो या अस्थाई लोगों के जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है. इसलिए इसे श्रवण विकलांगता भी कहा जाता है. वैश्विक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को किसी भी कारण से होने वाली कम या ज्यादा स्तर की श्रवणहानी की समस्या से बचाया जा सके, इसलिए आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को वैश्विक स्तर पर “विश्व श्रवण दिवस” या “वर्ल्ड हियरिंग डे” मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष वर्ल्ड हियरिंग डे के लिए “सभी के लिए कान और श्रवण देखभाल!” थीम निर्धारित की गई है.
इस वर्ष इस थीम के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर कान व श्रवण की देखभाल को सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य के तहत प्राथमिक देखभाल श्रेणी में एकीकृत करने की अपील है. संगठन के अनुसार प्राथमिक देखभाल में कान और श्रवण जांच व देखभाल से श्रवण समस्याओं के निदान में आम जन को काफी लाभ मिल सकता है. World Hearing Day 2023 . Ear and Hearing Care for All . World Hearing Day 2023 Theme .
क्या कहते हैं आंकडे़
विभिन्न बेवसाइट्स पर उपलब्ध आंकड़ों की माने तो वैश्विक स्तर पर लगभग 1.5 अरब लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बहरेपन या श्रवणहानी का सामना कर रहें हैं. वहीं सिर्फ भारत की बात करें तो यहां लगभग साढ़े छः करोड़ से ज्यादा लोग आंशिक या पूर्ण बहरेपन की समस्या का सामना कर रहे हैं हैं. चिंता की बात यह कि बड़ी संख्या में लोग किसी भी कारण से सुनने की क्षमता में कमी होने के शुरुआती दौर में समस्या को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. जिससे समस्या के निदान में देरी हो जाती है और जो कई बार समस्या के बढ़ने का कारण भी बन जाती है.
क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में श्रवण विकारों से जुड़ी पहली वैश्विक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें आशंका जताई गई थी कि वर्ष 2050 तक विश्व भर में लगभग 2.5 बिलियन लोग या प्रत्येक 4 में से 1 व्यक्ति कम या ज्यादा स्तर की श्रवण हानि की समस्या का शिकार बन सकता है. इस रिपोर्ट यह भी कहा गया था कि वैश्विक स्तर पर ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिनमें सुनने की शक्ति में कमी आने का जोखिम ज्यादा है. रिपोर्ट में सुनने की शक्ति के कमज़ोर या ख़त्म होने के पीछे तेज़ आवाज़ में सुनने तथा बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को मुख्य कारणों में से एक बताया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि शीघ्र इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2050 तक लगभग 700 मिलियन लोगों को कान और श्रवण क्षमता से जुड़ी देखभाल तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं की आवश्यकता होगी.