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चीन में रहस्यमयी बीमारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का बड़ा बयान, कहा- कोरोना जैसी घातक बीमारी....

चीन में इस समय रहस्यमयी बीमारी को लेकर ऊहापोह मचा हुआ है. वहीं, इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बड़ा बयान दिया है. (WHO On China Pneumonia, China Pneumonia Outbreak)

By ANI

Published : Nov 28, 2023, 2:27 PM IST

Updated : Nov 28, 2023, 3:32 PM IST

WHO statement on mysterious disease in China
चीन में रहस्यमयी बीमारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का बड़ा बयान

नई दिल्ली:कोरोना के बाद से हर देश परेशान है. कोई न कोई नई बीमारी फैल रही है. इस समय भारत के पड़ोसी देश चीन में एक नई बीमारी पैर फैला रही है. इस पर विश्व स्वास्थय संगठन ने भी बयान दिया है. डॉक्टर इस बीमारी को कोरोना से जोड़कर देख रहे हैं. उनका कहना है कि यह बीमारी बहुत तेजी से एक-दूसरे में फैल रही है. बता दें, चीन में तेज बुखार के साथ लोगों को खांसी और दम फुलाने वाली बीमारी सामने आई है.

वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने संज्ञान लेते हुए कहा कि यह कोरोना जितनी घातक नहीं है. उन्होंने कहा कि हाल-फिलहाल में कोई नया केस सामने नहीं आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यवाही निदेशक मारिया वान ने कहा कि यह रोग संक्रमित बच्चों में ज्यादा देखने को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि कोरोना जितनी यह बीमारी घातक नहीं हैं. विशेषज्ञ इसे निमोनिया कह रहे हैं.

बता दें, हाल के सप्ताहों में उत्तरी चीन में बच्चों में श्‍वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि का संकेत देने वाली रिपोर्ट सामने आई है. इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पर्याप्त सावधानी बरतने के लिए श्‍वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के उपायों की विस्तृत समीक्षा करने का निर्णय लिया है. हाल ही में विश्‍व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साझा की गई जानकारी से चीन के उत्तरी भागों में श्वसन संबंधी बीमारी में वृद्धि का यह संकेत मिला है.

मुख्य रूप से इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, सार्स-कोव-2 आदि के सामान्य कारणों को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, मौजूदा इन्फ्लूएंजा और सर्दी के मौसम को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, जिसके परिणामस्वरूप श्‍वसन संबंधी बीमारी में वृद्धि हुई है. भारत सरकार इस पर बारीकी से नजर रख रही है. भारत सरकार ने कहा है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को लिखे गए एक पत्र में उन्हें जन स्वास्थ्य और अस्पताल की तैयारियों की तुरंत समीक्षा करने की सलाह दी गई है.

मानव संसाधन, अस्पताल में फ्लू के लिए दवाएं और टीके, मेडिकल ऑक्सीजन, एंटीबायोटिक औषधियों, व्यक्तिगत सुरक्षा के उपकरणों, टेस्टिंग किट एवं रिएजेंट, ऑक्सीजन प्लांट और वेंटिलेटर की पर्याप्त उपलब्धता, स्वास्थ्य सेवाओं में संक्रमण की रोकथाम के पर्याप्त उपाय इनमें शामिल हैं.

विश्‍व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सर्दी के मौसम की शुरुआत के साथ-साथ माइकोप्लाज्मा निमोनिया जैसी श्‍वसन संबंधी बीमारियों के प्रसार के साथ-साथ कोविड-19 प्रतिबंधों को हटाया जाना भी इसमें वृद्धि का कारण बना, जबकि विश्‍व स्वास्थ्य संगठन ने चीनी अधिकारियों से अतिरिक्त जानकारी मांगी है. यह आकलन किया गया है कि फिलहाल घबराने का कोई कारण नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को 'कोविड-19 के संदर्भ में संशोधित निगरानी रणनीति के लिए परिचालन दिशानिर्देश लागू करने की सलाह दी गई है. इसे इस वर्ष की शुरुआत में जारी किया गया था और जो इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्‍वसन रोग (एसएआरआई) के मामलों के रूप में पेश होने वाले श्‍वसन रोगजनकों की एकीकृत निगरानी प्रदान करता है.

राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है कि एकीकृत रोग निगरानी परियोजना (आईडीएसपी) की जिला और राज्य निगरानी इकाइयों द्वारा विशेष रूप से बच्चों और किशोरों में लक्षणों की बारीकी से निगरानी की जानी चाहिए. विशेष रूप से मेडिकल कॉलेज अस्पतालों सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों से मिलने वाले आईएलआई, एसएआरआई का डेटा आईडीएसपी-आईएचआईपी पोर्टल पर अपलोड करना जरूरी है.

राज्यों ने श्‍वसन परीक्षण के लिए राज्यों में स्थित वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लेबोरेटरीज (वीआरडीएल) को एसएआरआई वाले रोगियों, विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के नाक और गले के स्वाब के नमूने भेजने के लिए कहा गया है. इन एहतियाती और व्यापक उपायों के परिणामस्वरूप किसी भी संभावित स्थिति का मुकाबला करने और नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होने की उम्मीद है.

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Last Updated : Nov 28, 2023, 3:32 PM IST

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