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World Fertility Day : जरूरी है प्रजनन से जुड़े मुद्दों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना

दुनिया भर में बांझपन या प्रजनन से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा करने व लोगों को अपनी समस्याओं को लेकर आगे आने व इलाज कराने के लिए प्रेरित व जागरूक करने के उद्देश्य से 2 नवंबर को विश्व प्रजनन दिवस (World Fertility Day) मनाया जा रहा है. World fertility day . ivf technology for reproduction . ivf babel community .

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विश्व प्रजनन दिवस

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Published : Nov 2, 2022, 12:00 AM IST

सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में युवा लोगों में प्रजनन में समस्या या बच्चे को जन्म दे पाने में अक्षमता के मामले काफी तेजी से बढ़ रहें है. आंकड़ों की बात करें तो US में जहां हर 8 में से 1 जोड़ा (महिला या पुरुष) गर्भधारण करने में असमर्थ है वहीं भारत में यह आंकड़ा विशेषकर शहरी आबादी में लगभग 6 में से 1 का है. बांझपन के कई कारण हो सकते हैं जो शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य तथा कई बार जीवनशैली से जुड़े भी हो सकते हैं. बांझपन के कारणों तथा इससे जुड़ी आम गलतफहमियों को दूर करने तथा बांझपन के निदान व इलाज तथा इससे जुड़े महत्वपूर्ण कारकों को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 2 नवंबर को विश्व प्रजनन दिवस मनाया जा रहा है. World fertility day . ivf technology for reproduction . ivf babel community .

इतिहास : विश्व प्रजनन दिवस की शुरुआत 2 नवंबर 2018 को आईवीएफ बेबल द्वारा की गई थी. आईवीएफ बेबल एक कम्युनिटी है जिसकी शुरुआत सारा व ट्रेसी नामक दो महिलाओं ने की थी. जिन्होंने प्रजनन के लिए आई.वी.एफ तकनीक की मदद ली थी. इस कम्युनिटी की शुरुआत के पीछे उनका उद्देश्य प्रजनन में समस्या तथा अपनी आई.वी.एफ यात्रा के दौरान के संघर्षों तथा कठिनाइयों को अन्य ऐसे लोगों के साथ साझा करना था जो यह ट्रीटमेंट ले रहे थे या लेना चाहते थे. साथ ही उनका उद्देश्य लोगों को एक ऐसा प्लेटफार्म देना भी था जहां उन्ही की तरह अन्य लोग अपनी परेशानियों व संघर्ष के बारें में बात कर सकें और जिसका फायदा दूसरे लोग भी उठा सके.

उनकी इस पहल पर शुरू हुआ विश्व प्रजनन दिवस अब एक ऐसे मौके के रूप में स्थापित हो चुका है जो लोगों को वैश्विक पटल पर एक ऐसा मंच देता है जहां प्रजनन जैसे मुद्दे पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने के साथ ही साल में कम से कम एक बार प्रजनन समस्याओं से जुड़े विभिन्न कारकों को लेकर विचार-विमर्श संबंधी तथा अन्य अभियान आयोजित किया जाते हैं.

आम हो रही है बांझपन की समस्या

द इंटरनेशनल कमेटी फॉर मॉनिटरिंग असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (The International Committee for Monitoring Assisted Reproductive Technology) ने बांझपन को परिभाषित करते हुए बताया है कि” बांझपन "एक ऐसी बीमारी है जो 12 महीने के नियमित, असुरक्षित संभोग के बाद नैदानिक गर्भावस्था स्थापित करने में विफलता या किसी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता की हानि के कारण होती है.

वर्ष 1990 से वर्ष 2004 के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के सहयोग से आयोजित हुए जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया था कि विकासशील देशों में हर चार जोड़ों में से एक में बांझपन की समस्या देखी जाती है.चिंता कि बात है कि देश और दुनिया में इनफर्टिलिटी या बांझपन या प्रजनन में समस्या के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे है. यह एक ऐसी समस्या है जो शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को तो प्रभावित करती ही है बल्कि महिला या पुरुष के पारिवारिक व सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करती है.

आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर में बांझपन की समस्या से लगभग 186 मिलियन व्यक्ति प्रभावित हैं. वहीं इंडियन एसोसिएशन ऑफ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 10 से 14 प्रतिशत आबादी बांझपन की समस्या से प्रभावित हैं. यही नहीं भारत समेत दुनिया के कई देशों में प्रजनन दर में भी लगातार गिरावट देखी जा रही है.

बांझपन को लेकर समाज का नजरिया बड़ी समस्या
हमारे समाज में या किसी भी समुदाय में बच्चे को जन्म देना , व्यक्ति या जोड़े के लिए बेहद जरूरी माना जाता है. जो लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं उन्हे आमतौर पर समाज या परिवार के प्रश्नों का सामना करना पड़ता है. विशेषतौर पर प्रजनन में समस्या होने पर ज्यादातर मामलों में महिलाओं को जिम्मेदार माना जाता है. वहीं यदि कोई पुरुष प्रजनन में असमर्थ या इस समस्या के इलाज के लिए प्रयास कर रहा है तो उसकी कथित मर्दानगी पर सवाल उठाया जाता है. वहीं महिलाओं के लिए तो बांझ एक गाली सरीखा शब्द है.

आज के दौर में भी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी प्रजनन में अक्षमता या समस्या को एक सामाजिक ताबू के रूप में देखा जाता है तथा इससे जुड़े कई भ्रम, गलतफहमियां तथा डर भी लोगों में होते है. जिसके चलते बहुत से लोग प्रजनन सम्बंधी समस्या होने पर चिकित्सक से सलाह लेने, यहां तक की अपने परिजनों से भी इस बारें में चर्चा करने से भी कतराते हैं. वहीं बांझपन या अन्य प्रजनन संबंधी समस्याओं के इलाज के महंगे होने तथा शरीर के लिए ज्यादा कष्टकारी होने के कारण भी बहुत से लोग इस तरह की समस्याओं के इलाज से कतराते हैं.

बांझपन का इलाज
पुरुषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन कई बार दोनों जन के स्वस्थ होने के बावजूद भी वे गर्भधारण करने में समस्या का सामना कर सकते है. ऐसे में महिलाओं और पुरुषों दोनों की शारीरिक जांच के बाद उन्हें जरूरी इलाज के लिए निर्देशित किया जाता है. कई बार अंडाशय को अंडे की बेहतर गुणवत्ता के लिये स्टिम्युलेट करने की दवाइयों, पुरुषों में शुक्राणुओं के स्वास्थ्य को दुरुस्त करने वाली दवाइयों तथा कई बार हार्मोन के इंजेक्शन आदि उपचारों से ही गर्भधारण संभव हो जाता है.लेकिन यदि इससे फ़ायदा ना मिले तो चिकित्सक अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (IUI) या फिर इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) जैसी सहायक प्रजनन तकनीक को अपनाने की सलाह देते हैं.

विश्व प्रजनन दिवस का उद्देश्य (Purpose of World Fertility Day)

विश्व प्रजनन दिवस एक ऐसा मौका है जो वैश्विक पटल पर तथा सार्वजनिक तौर पर लोगों को एक मंच देता है जहां प्रजनन में समस्या से जुड़े कारकों, गलतफहमियों तथा उनके इलाज से जुड़े भ्रम को दूर करने का प्रयास किया जा सके. इसके अलावा बांझपन के कारणों, महिलाओं और पुरुषों की अलग अलग समस्याओं तथा उनके इलाज को लेकर जानकारी, अपनी समस्या को लेकर लोगों के सामने आने की हिम्मत तथा सही इलाज प्राप्त करने के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए प्रयास करना भी इस विशेष दिवस के मुख्य उद्देश्यों में से एक है.

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