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ध्यान ना देने पर जानलेवा हो सकता है दिमागी बुखार : विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस

दिमागी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से दुनिया भर में हर साल लगभग 5,00,000 बच्चे तथा बड़े प्रभावित होते हैं, आंकड़ों की मानें तो हर मिनट एक व्यक्ति इस समस्या का शिकार होता है।

World encephalitis day
विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस

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Published : Feb 22, 2021, 10:46 AM IST

दिमागी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम ऐसी बीमारी है, जिसके चलते हर साल बड़ी संख्या में बच्चे तथा बड़े अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। हमारे नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाला यह रोग मानव मस्तिष्क से जुड़ा रोग है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं में विभिन्न कारणों से सूजन आ जाती है। दुनिया भर में इस सिंड्रोम के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 22 फरवरी को 'विश्व इंसेफेलाइटिस दिवस' मनाया जाता है। इंसेफेलाइटिस सोसाइटी के तत्वावधान में वर्ष 2014 से लगातार संचालित किए जा रहे इस विशेष दिवस पर आयोजित जागरूकता अभियान में विभिन्न आयोजनों तथा कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को दिमागी बुखार की गंभीरता के बारे में अवगत कराया जाता है। इस वर्ष यह विशेष दिवस लाइट, कैमरा, एक्शन थीम पर मनाया जा रहा है।

क्या होता है इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार

वायरल संक्रमण, रोग प्रतिरोधक प्रणाली में समस्या या किसी वायरस या जीवाणु के कारण मस्तिष्क में होने वाली सूजन के कारण ये रोग होता है। दिमागी बुखार को विभिन्न प्रकार की कैटेगरी में विभाजित किया जा सकता है। इंसेफेलाइटिस सोसाइटी द्वारा चिन्हित की गई कुछ विशेष कैटिगरी इस प्रकार हैं;

  1. अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस
  2. चिकनगुनिया इंसेफेलाइटिस
  3. एंटरोवायरस इंसेफेलाइटिस
  4. हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस इंसेफेलाइटिस
  5. जापानी इंसेफेलाइटिस
  6. मीजल्स इंजेक्शन एंड इंसेफेलाइटिस
  7. टिक जनित इंसेफेलाइटिस
  8. वेस्ट नाइल इंसेफेलाइटिस
  9. जीका वायरस संक्रमण

जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली किसी वायरस की चपेट में आकार या किसी अन्य समस्या से प्रभावित होकर मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं, तो उसे ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस कहा जाता है। ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस निम्न प्रकार का होता है;

  • एक्यूट डिसेमिनेटेड इंसेफलोमएलिटिस
  • एक्यूट डिसेमिनेटेड इंसेफलोमएलिटिस इन चिल्ड्रन
  • हाशिमोटो एक्यूट इंसेफेलोपैथी
  • एल.जी.आई1/ कैस्पर2- एंटीबॉडी इंसेफेलाइटिस
  • लिम्बिक इंसेफेलाइटिस
  • नमदार एंटीबॉडी इंसेफेलाइटिस
  • रासमुसेन इंसेफेलाइटिस

इनके अलावा दिमागों बुखार की कुछ अन्य किस्में इस प्रकार है;

  1. इंसेफेलाइटिस लेथार्जिक
  2. ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी) एंड द ब्रेन
  3. सूबाक्यूट स्क्लेरोजिंग पेनेन्सेफ्लाइटिस ( एसएसपीई)

दिमागी बुखार के लक्षण

इंसेफेलाइटिस दो प्रकार का होता है- प्राइमरी और सेकेंडरी। प्राइमरी इंसेफेलाइटिस में वायरस मस्तिष्क को सीधे प्रभावित करता है। जबकि सेकेंडरी इंसेफेलाइटिस तब होता है, जब संक्रमण शरीर के किसी अन्य हिस्से से होते हुए मस्तिष्क में फैलता है। समस्या के ज्यादा बढ़ने पर रोगी की अवस्था गंभीर भी हो सकती है। इसलिए बहुत जरूरी है की समय रहते लक्षणों को जानकर रोग का इलाज शुरू कर दिया जाये। दिमागी बुखार की शुरुआत में आमतौर पर व्यक्ति में वायरल संक्रमण जैसे लक्षण ही नजर आते हैं। जैसे तेज बुखार, सिरदर्द आदि। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ द्वारा बताए गए दिमागी बुखार के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं;

  • तेज बुखार
  • सर दर्द
  • रोशनी को लेकर संवेदनशीलता
  • गर्दन में अकड़ाहट
  • उल्टी आना
  • भ्रम

दिमागी बुखार में स्थिति गंभीर होने पर रोगी पक्षाघात या कोमा जैसी स्थिति में भी पहुंच सकता है। छोटे बच्चों को यह बीमारी ज्यादा प्रभावित कर सकती है, जो ध्यान ना देने पर जानलेवा भी हो सकती है। बच्चों में नजर आने वाले इंसेफेलाइटिस के लक्षण इस प्रकार है;

  1. उल्टी और मितली
  2. लगातार रोना
  3. शरीर में ऐंठन
  4. भूख ना लगना
  5. ब्रेस्टफीडिंग ना करना
  6. चिड़चिड़ापन

वहीं इंसेफेलाइटिस सोसाइटी के अनुसार ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस के लक्षण आम तौर पर उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण सभी प्रकार के ऑटोइम्यून इंसेफेलाइटिस में समान होते हैं, जो इस प्रकार हैं;

  • भ्रम
  • व्यक्तित्व तथा व्यवहार में अंतर
  • चलने फिरने में समस्या
  • हेलोसिनेशन
  • नींद ना आना
  • याद्दाश्त कमजोर हो जाना

निदान तथा उपचार

दिमागी बुखार का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच के साथ ही मरीज का स्वास्थ्य इतिहास भी देखते हैं। प्रारंभिक लक्षणों के नजर आने के बाद एमआरआई, सीटी स्कैन तथा ईईजी टेस्ट की मदद से इंसेफेलाइटिस का निदान किया जाता है। वहीं कुछ मरीजों में ब्रेन बायोप्सी के द्वारा भी दिमागी बुखार का पता लगाया जाता है। हालांकि बायोप्सी तब की जाती है, जब मरीज में दिमागी बुखार के गंभीर लक्षण नजर आते हैं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर रक्त तथा पेशाब की जांच भी की जाती है। इससे मस्तिष्क में वायरस और अन्य इंफेक्शन का पता चलता है। इलाज की बात करें तो दिमागी बुखार की प्रवृत्ति तथा उसके होने के कारणों तथा उसके प्रकारों के आधार पर रोगी का इलाज किया जाता है, जैसे यदि दिमागी बुखार वायरल संक्रमण के चलते हुआ है, तो उस अवस्था में रोगी को एंटीवायरल दवाइयां दी जाती हैं। यदि दिमागी बुखार किसी व्यक्ति या शरीर में एंटीबॉडीज में गड़बड़ी के चलते हुए हो, तो उस अवस्था में रोग रोगी को इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाइयां दी जाती हैं।

सही समय पर इलाज जरूरी

दिमागी बुखार में यदि रोगी को सही इलाज ना मिले, तो उसके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम नजर आ सकते हैं, जैसे याद्दाश्त भूल जाना, व्यवहार का बदल जाना, पक्षाघात तथा मिर्गी के दौरे पड़ना आदि, इसलिए बहुत जरूरी है कि दिमागी बुखार के लक्षण नजर आते ही तुरंत चिकित्सक की सलाह ली जाए और जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाए।

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