हम अपने आसपास कई बार ऐसे लोग देखते हैं, जिनके ना सिर्फ चेहरे बल्कि शरीर की बनावट तो दूसरों से अलग होती ही है, साथ ही ज्यादातर मामलों में उनमें मानसिक अक्षमताएं भी पाई जाती है। इस शारीरिक असमानता तथा मानसिक अक्षमता का कारण डाउन सिंड्रोम हो सकता है। भारत में 1000 बच्चों में से 1 बच्चा डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में हर साल लगभग 3000 से 5000 बच्चे इस क्रोमोजोम विकार के साथ पैदा होते हैं। लेकिन डाउन सिंड्रोम को लेकर अभी भी देश और दुनिया में लोगों में जानकारी का अभाव है। 21 मार्च को 'विश्व डाउन सिंड्रोम दिवस' के अवसर पर ETV भारत सुखीभवा ने इस विकार के बारे में अपने पाठकों को जागरूक करने के उद्देश्य से वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. वीणा कृष्णन से बात की।
क्या है डाउन सिंड्रोम?
डॉ. कृष्णन बताती हैं की यह एक आनुवांशिक विकार है। सामान्यतः एक बच्चा 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होता है, जिनमें से 23 क्रोमोसोम का एक सेट वह अपनी मां से तथा 23 क्रोमोसोम का एक सेट अपने पिता से ग्रहण करता है। जो संख्या में कुल 46 होते हैं। लेकिन यदि बच्चे को उसके माता या पिता से एक अतिरिक्त क्रोमोसोम मिल जाता है, तो वह डाउन सिंड्रोम का शिकार बन जाता है। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित शिशु में एक अतिरिक्त 21वां क्रोमोसोम आ जाने से उसके शरीर में क्रोमोसोम्स की संख्या बढ़कर 47 हो जाती है।
सामान्य बच्चों की अपेक्षा, डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास की गति धीमी रहती है। इस विकार से पीड़ित लोगों के चेहरे की बनावट दूसरों से अलग होती है, साथ ही उनमें बौद्धिक विकलांगता भी पाई जाती है।
डाउन सिंड्रोम के चिन्ह और लक्षण
रोग नियंत्रण तथा निवारण केंद्र (सीडीसी) के अनुसार डाउन सिंड्रोम के चिन्ह और इस बीमारी की गंभीरता हर पीड़ित बच्चे में अलग-अलग हो सकती है। डाउन सिंड्रोम के चलते पीड़ितों में नजर आने वाली कुछ शारीरिक भिन्नताएं तथा विकार के चिन्ह इस प्रकार है;
- चपटा चेहरा, खासकर नाक की चपटी नोक
- ऊपर की ओर झुकी हुई आंखें
- छोटी गर्दन और छोटे कान
- मुंह से बाहर निकलती रहने वाली जीभ
- मांसपेशियों में कमजोरी, ढीले जोड़ और अत्यधिक लचीलापन
- चौड़े, छोटे हाथ, हथेली में एक लकीर
- अपेक्षाकृत छोटी अंगुलियां, छोटे हाथ और पांव
- छोटा कद
- आंख की पुतली में छोटे सफेद धब्बे
डॉ. कृष्णन बताती हैं की इसके अतिरिक्त डाउन सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों तथा वयस्कों में विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं भी पाई जाती है। जैसे ल्यूकेमिया, कमजोर नजर, सुनने की क्षमता में कमी, हृदय रोग, याददाश्त में कमी, स्लीप एपनिया आदि। इसके अलावा उन्हें विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का भी खतरा रहता है।
डाउन सिंड्रोम के प्रकार