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मधुमेह रोगियों की संख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर, जानें आज का दिन क्यों है खास - World Diabetes Day 2023

मधुमेह एक ऐसी कोमोरबीटी है जो कई अन्य गंभीर अवस्थाओं व समस्याओं का कारण भी बन सकती है. वैश्विक स्तर आम लोगों को इस समस्या के कारणों, बचाव, इसके निदान तथा मधुमेह के सही तरह से प्रबंधन के तरीकों को लेकर जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. ये भी पढ़ें. WORLD DIABETES DAY 2023. World Diabetes Day In Hindi, World Diabetes Day History.

WORLD DIABETES DAY 2023
विश्व मधुमेह दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 14, 2023, 1:34 PM IST

हैदराबाद :मधुमेह एक आम कोमोरबीटी है जो दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या को प्रभावित करती है. मधुमेह को कई कम या ज्यादा गंभीर रोगों व अवस्थाओं के लिए जिम्मेदार कारणों व उनके प्रभावों में भी गिना जाता है. जिनमें से कुछ के प्रभाव कई बार जानलेवा भी हो सकते हैं. पिछले कुछ सालों में युवा वयस्कों तथा वयस्कों में इसके लगातार बढ़ते मामलों के चलते इसे वर्तमान समय के सबसे बड़े वैश्विक स्वास्थ्य संकटों में से एक माना जा रहा है. उपलब्ध आंकड़ों की माने तो वर्तमान समय में हर 10 में से एक वयस्क मधुमेह से पीड़ित है, यानी वैश्विक स्तर पर अनुमानतः आधा अरब लोग इस कोमोरबीटी से पीड़ित हैं. लेकिन चिंता की बात यह है कि सही जांच के अभाव में लगभग आधे लोगों को पता ही नहीं लग पाता है कि वह इस समस्या से पीड़ित हैं .

मधुमेह की व्यापकता और इसके खतरों व प्रभाव को उजागर करने और लोगों को मधुमेह से बचाव व उसके निदान के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष यह आयोजन " मधुमेह देखभाल तक पहुंच " थीम पर मनाया जा रहा है.

विश्व मधुमेह दिवस का इतिहास
विश्व मधुमेह दिवस की स्थापना वर्ष 1991 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय मधुमेह फाउंडेशन (आईडीएफ) द्वारा की गई थी. इसके बाद इस आयोजन को संयुक्त राष्ट्र संकल्प 61/225 के तहत 2006 में आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित किया गया. विश्व मधुमेह दिवस के लिए 14 नवंबर का चयन 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन के सह-खोजकर्ता सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिन को मनाने के लिए किया गया था. इस दिन के लिए ब्लू सर्कल को वैश्विक प्रतीक माना जाता है तथा इस दिन सोशल मीडिया तथा अन्य प्लेटफॉर्म पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों व अभियानों के 'ब्लू सर्कल लोगो' का इस्तेमाल किया किया जाता है.

क्या कहते हैं आंकड़े

  1. इंटरनेशनल डायबिटीज फाउंडेशन (आईडीएफ) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में मधुमेह के कारण लगभग 67 लाख लोगों की मौत हुई. वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2019 में इस समस्या के कारण लगभग 1.5 मिलियन मौतें हुई थी. इसके अलावा वर्ष 2014 में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 8.5% वयस्कों में मधुमेह के मामले संज्ञान में आए थे.
  2. आईडीएफ के कुछ अन्य आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में लगभग 53.7 करोड़ यानी 10 में से 1 लोग इस बीमारी के साथ जी रहे थे. संस्था के एक अनुमान के मुताबिक इस संख्या के वर्ष 2030 तक लगभग 64.3 करोड़ और वर्ष 2045 तक 78.3 करोड़ तक बढ़ने की आशंका है.
  3. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह से प्रभावित अधिकांश लोग टाइप 2 मधुमेह से पीड़ित हैं. जिनमें से लगभग 10.2 लाख किशोर/युवा वयस्क भी शामिल हैं. इसके अलावा लगभग 54.1 करोड़ वयस्कों में टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का खतरा है.
  4. वहीं सिर्फ भारत की बात करें तो दुनिया भर में मधुमेह रोगियों की संख्या के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. विभिन्न वेब साइट्स पर उपलब्ध आंकड़ों तथा विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों व संस्थाओं द्वारा बताए गए अनुमान के अनुसार वर्ष 2021 में लगभग 74 मिलियन से ज्यादा भारतीयों में मधुमेह का इलाज किया गया था. वहीं एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2045 तक यह संख्या बढ़कर 124 मिलियन होने की आशंका है .

थीम का उद्देश्य
विश्व मधुमेह दिवस वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाले सबसे बड़े स्वास्थ्य देखभाल अभियानों में से एक हैं. जिसके तहत हर साल 160 से अधिक देशों में इस अवसर पर विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया किया जाता है. गौरतलब है कि इस वर्ष इस स्वास्थ्य देखभाल दिवस के लिए 'मधुमेह देखभाल तक पहुंच' थीम का चयन सिर्फ लोगों को शिक्षित व जागरूक करने, उनके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों और अन्य वैश्विक संस्थानों में बेहतर अवसर तथा वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए मौके उपलब्ध कराने, रोग के निदान के लिए स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरो को बेहतर तरीके से प्रशिक्षित करने के लिए प्रयास करने तथा आम लोगों को जीवनशैली में बदलाव करके इस बीमारी से बचाव के तरीकों के बारें में जागरूक करने के लिए ही नहीं किया गया है , बल्कि इसका एक उद्देश्य विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2030 तक मधुमेह कवरेज लक्ष्य को पूरा करने के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ाना भी है.

जिनमें मधुमेह से प्रभावित कम से कम 80% लोगों का निदान व उपचार उपलब्ध कराने , 40 वर्ष और उससे अधिक आयु वाले लगभग 60% मधुमेह पीड़ितों को रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करे वाली स्टैटिन दवा उपलब्ध कराने तथा टाइप 1 मधुमेह से प्रभावित 100% लोगों के लिए इंसुलिन और उचित रक्त ग्लूकोज स्व-प्रबंधन सुविधा तक आसान पहुंच के लिए प्रयास करना शामिल है.

कश्मीर में 25 साल से कम उम्र के युवा हो रहे हैं मधुमेह से पीड़ित
श्रीनगर कश्मीर घाटी में 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो मधुमेह से पीड़ित हैं लेकिन उन्हें नहीं पता कि वे मधुमेह से प्रभावित हैं, इसलिए उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. ये बातें जीएमसी के एसोसिएट प्रोफेसर और घाटी के जाने-माने एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. नजीर अहमद पाला ने बताया कि कश्मीर घाटी में 100 मरीजों में से केवल 50 मरीजों को ही इलाज मिलता है. बाकी 50 लोगों को इलाज नहीं मिल पाता क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता कि वे मधुमेह से पीड़ित हैं.

डॉ. नजीर अहमद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में 9.5 फीसदी लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं. ऐसे में कुछ साल पहले यह बीमारी 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करती थी, लेकिन अब यह बीमारी सिर्फ 25 साल से कम उम्र के युवाओं को ही नहीं, बल्कि स्कूली बच्चों को भी हो रही है. यह बीमारी बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है। कुल मिलाकर कश्मीर में मधुमेह एक महामारी बनती जा रही है.

डॉ. नजीर ने आगे बताया कि 'टाइप टू' मधुमेह कश्मीरी वयस्कों में अधिक आम है, जबकि 'टाइप वन' मधुमेह युवाओं और बच्चों में देखा जाता है. उन्होंने कहा कि सामान्य से अधिक पेशाब करते समय सुस्ती मधुमेह के सामान्य लक्षण हैं, खासकर रात, थकान महसूस होना, वजन कम होना, धुंधली दृष्टि, घावों का ठीक न हो रहा है तो डॉक्टर से जरूर मिलेंय मधुमेह की जटिलताओं के बारे में बात करते हुए डॉ. नजीर अहमद पी ने कहा कि उच्च रक्त शर्करा रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है.

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