असुरक्षित सेक्स जनित रोग हो या अनियोजित गर्भावस्था, इन दोनों तथा और भी कई बीमारियों और समस्याओं से बचने के लिए जरूरी है की आंतरिक संबंधों के दौरान प्रोटेक्शन यानि सुरक्षा के तौर पर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाए. आमतौर पर सभी वयस्क गर्भनिरोधक की जरूरत और उससे होने वाले फायदों के बारे में जानते है, लेकिन फिर भी बड़ी संख्या में आज भी लोग इसका इस्तेमाल करने में झिझकते है. गर्भनिरोधक के उपयोग तथा उसकी जरूरत को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 26 सितंबर को 'विश्व गर्भनिरोधक दिवस' मनाया जाता है. विश्व गर्भनिरोधक दिवस का एक मुख्य उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को प्रेरित करना भी है.
विश्व गर्भनिरोधक दिवस
भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में गर्भ निरोध के प्रति लोगों को यौन जागरूकता और युवा पीड़ी को इसके बारे में सही जानकारी देने के लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर लगातार कार्यक्रम चलाए जाते हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य युवा पीड़ी में यौन जागरूकता बढ़ाने तथा अनियोजित गर्भधारण बचाव के उपायों के बारे में लोगों को जानकारी देना है. लेकिन विश्व गर्भनिरोधक दिवस के अवसर पर बड़े स्तर पर इस संबंध में गोष्ठियों, सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
भारत में मुख्य तौर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी)प्रजनन तथा यौन स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ एनजीओ और अस्पतालों की मदद से काम करता है. इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी पूरी दुनिया में बड़े स्तर पर गर्भनिरोधक संबंधी जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते है.
विश्व गर्भनिरोधक दिवस पर डब्ल्यूसीडी की रिपोर्ट
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 21 राज्यों में 94.5 फीसदी विवाहित महिलाओं को गर्भनिरोधक के उपायों और उसके इस्तेमाल किए जाने वाले साधनों के बारे में जानकारी है, लेकिन जानकारी होने के बावजूद 50 फीसदी महिलाएं ही इस संसाधनों का इस्तेमाल कर रही हैं. इसके अलावा 44 फीसदी महिलाएं ऐसी भी है जो शादीशुदा है और उन्हें इसके बारे में पता है. लेकिन फिर भी वो इन उपायों को नहीं अपनाती.
गर्भनिरोधक का कार्य
गर्भनिरोधक तीन प्रकार के होते है. एक वह जिसमें दवाई का सेवन किया जाता है. मुख्यतः महिलाएं इस साधन का उपयोग करती है, दूसरा जिसमें शरीर के आंतरिक जनांगों में डिवाइस लगाई जाती है तथा तीसरा जिसमें बाह्य जनांगों पर सुरक्षा का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कॉन्डम. इन तीनों ही प्रक्रियाओं का उद्देश्य अंडोत्सर्ग और निषेचन को रोकना होता है. जिसमें महिला गर्भ धारण ना कर पाए. इसके अतिरिक बाह्य सुरक्षा जैसे कॉन्डम शारीरिक संसर्ग के दौरान फैलने वाले रोगों से भी बचाव करता है.
गर्भनिरोध के साधन
दुनिया भर में पुरुष और महिलाएं गर्भधारण को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाते हैं. इनमें मुख्य हैं;
⦁ कॉन्डम