नई दिल्ली : दुनिया भर में कैंसर पीड़ितों की बढ़ती संख्या ना सिर्फ चिकित्सकों के माथे पर चिंता की लकीरे खींच रही है , बल्कि वैश्विक पटल पर एक अलार्म का काम भी कर रही है कि यदि तत्काल इस बढ़ती संख्या को रोकने के लिए प्रयास नहीं किया किया गया तो भविष्य में स्थिति बेहद चिंताजनक हो सकती है. आंकड़ों की माने तो वर्ष 2010 में जहां कैंसर से मरने वालों का आंकड़ा 82.9 लाख था, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 20.9% बढ़कर एक करोड़ पर पहुंच गया था. वहीं सिर्फ भारत की बात करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान समय में दुनिया के 20% कैंसर मरीज भारत में हैं.
इस बीमारी के कारण हर साल देश में लगभग 75,000 हजार लोगों की मौत हो जाती है. सिर्फ इन आंकड़ों से ही नही, कैंसर की भयावहता का पता इस बात से भी चलता है कि वैश्विक स्तर पर मौत के कारणों में कैंसर की गिनती टॉप 10 में होती है. दुनिया भर में लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व कैंसर दिवस पिछले वर्ष की भांति "क्लोज द केयर गैप" थीम पर मनाया जा रहा है.
क्या कहते हैं आंकड़े
सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हर प्रकार के कैंसर के मामलों की बढ़ती संख्या एक बड़ी चिंता का विषय है. राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के मुताबिक साल 2020 में करीब 14 लाख लोगों को कैंसर के कारण जान से हाथ धोना पड़ा था. वहीं अलग-अलग प्रकार के कैंसर के मरीजों की संख्या में संयुक्त रूप से हर वर्ष 12.8 % तक की बढ़ोतरी देखी जा रही है. यही नहीं एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2025 तक कैंसर के कारण लगभग 15,69,793 जिंदगियां जीवन से हाथ धो बैठेंगी. वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार कैंसर के अलग-अलग प्रकारों के चलते देश में हर घंटे में 159 लोगों की मौत होती है.
सरकारी आंकड़ों की माने तो देश में वर्ष 2020 तक विभिन्न कैंसर जांच केंद्रों में ओरल कैंसर के 16 करोड़, ब्रेस्ट कैंसर के 8 करोड़ और सर्वाइकल कैंसर के 5.53 करोड़ मामले सामने आए थे . इतना ही नहीं पिछले आठ साल में इस बीमारी से जुड़े लगभग 30 करोड़ गंभीर मामले सामने आए हैं. वर्ष 2020 में ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च तथा नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इन्फार्मैटिक्स एंड रिसर्च की ओर से जारी एक रिपोर्ट में , वर्ष 2020 में कैंसर प्रभावित पुरुषों की संख्या लगभग 6.8 लाख जबकि महिलाओं की संख्या 7.1 लाख होने की बात कही गई थी. वही इस रिपोर्ट में यह अंदेशा जताया गया था की वर्ष 2025 तक पुरुषों में कैंसर के लगभग 7.6 लाख मामले तथा महिलाओं में 8.1 लाख मामले सामने आ सकते हैं.
उद्देश्य तथा इतिहास
4 जनवरी को वैश्विक स्तर पर सभी प्रकार के कैंसर के उन्मूलन के लिए जागरूकता फैलाने, इससे जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए ना सिर्फ चिकित्सकों बल्कि सरकारी,सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी संस्थाओं को मंच देने तथा कैंसर के सभी प्रकारों से बचाव के लिए उपायों को प्रसारित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इस दिन सरकारी, गैर सरकारी, सामाजिक, शैक्षणिक तथा स्वास्थ्य सम्बंधी संस्थाओं द्वारा कैंसर रोग से बचाव तथा उसकी जांच व इलाज को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन भी किया जाता है.
विश्व कैंसर दिवस को सर्वप्रथम यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल द्वारा वर्ष 1993 में मनाया था. लेकिन औपचारिक रूप से इस दिवस की स्थापना तथा उसे हर साल मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत 4 फरवरी 2000 को पेरिस में हुए एक विश्व कैंसर सम्मेलन “वर्ल्ड मिलेनियम अगेंस्ट कैंसर फॉर द न्यू मिलेनियम” में, वैश्विक पटल पर लोगों को इस रोग की गंभीरता तथा उसके लक्षणों व इलाज के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से की गई थी.
कैंसर के कारण
कैंसर के लगातार बढ़ते आंकडे एक भयावह तस्वीर प्रस्तुत करते हैं यह सत्य है. लेकिन यह भी सत्य है पिछले सालों में चिकित्सा क्षेत्र तथा उपचार पद्धतियों में काफी विकास हुआ. जिसका नतीजा है की आज के दौर में कैंसर को एक लाइलाज बीमारी नहीं माना है. इंदौर के वरिष्ठ कैंसर सर्जन, विशेषज्ञ तथा इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ दिग्पाल धारकर के अनुसार यदि सही समय पर रोग की पुष्टि हो जाए तो सही उपचार से कैंसर के अधिकांश मामलों में इलाज पूरी तरह से संभव है. लेकिन दूसरे चरण या तीसरे चरण में रोग का पता चलने पर इलाज में मुश्किलें आ सकती हैं. डॉ धारकर बताते है की हर उम्र के लोगों में बढ़ती कैंसर की घटनाओं के बहुत से कारण हो सकते है. लेकिन उनमें से आसीन जीवनशैली, मोटापा तथा जेनेटिक कारण मुख्य कारणों में से आते हैं.
वह बताते है कैंसर के कुल मामलों में से लगभग 10 % आनुवंशिक होते है. वहीं वर्तमान समय में न सिर्फ युवाओं बल्कि हर उम्र के महिला तथा पुरुषों में कैंसर की बढ़ती घटनाओं के लिए आसीन जीवनशैली तथा आहार में गड़बड़ी काफी हद तक जिम्मेदार है. अंतर्राष्ट्रीय यूनियन अगेंस्ट कैंसर के अनुसार भी 1/3 यानी तीन में से एक व्यक्ति में कैंसर का कारण उसकी खराब जीवन शैली होती है . आहार में लापरवाही, दिनचर्या में अनुशासनहीनता तथा शारीरिक सक्रियता की कमी तथा व्यायाम से दूरी ही नहीं बल्कि आजकल के युवाओं में कम उम्र में ही धूम्रपान तथा शराब या अन्य नशीले पदार्थों का सेवन किसी भी प्रकार के कैंसर के शरीर में फैलने का एक कारण हो सकते है. वह बताते है कि कैंसर के मरीज़ों की तादाद बढ़ने की एक वजह व्यक्ति की औसत उम्र का बढ़ना भी है.
क्या हैं बचाव के उपाय
डॉ धारकर बताते हैं कि कैंसर या किसी भी रोग से बचना है तो बहुत जरूरी है पौष्टिक व संतुलित आहार खाएं, तथा जीवनशैली को अनुशासित व सक्रिय रखें, तथा ऐसे आहार से बचे जो मोटापे या ओबेसिटी का कारण बन सकता है. इसके अलावा धूम्रपान व नशे से परहेज करें , दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करें तथा ऐसी दिनचर्या का पालन करें जिसमें शारीरिक सक्रियता ज्यादा हो. इसके अलावा नियमित जांच करवाते रहें. विशेषकर ऐसे लोग जिनके परिवार में कैंसर का इतिहास है उन्हे नियमित जांच अवश्य करवानी चाहिए. वह बताते हैं कि लगातार बढ़ते कैंसर के मामलों के चलते इंदौर कैंसर फाउंडेशन द्वारा सिर्फ इंदौर में ही नहीं बल्कि देश भर में लोगों को कैंसर के लक्षणों, संकेतों तथा इलाज के बारें में जानकारी मुहैया करवाने के लिए खास प्रयास किए जा रहे हैं.
इसी के तहत फाउंडेशन द्वारा “कैंसर संकेत” मोबाइल एप तैयार किया है. जिसमें लगभग सभी प्रकार के कैंसर के लक्षणों व संकेतों के बारे में सूचना उपलब्ध है. जिससे व्यक्ति अपने संकेतों के बारे में जान सकता है, साथ ही उन संकेतों के नजर आने पर सही समय पर इलाज के लिए प्रयास भी कर सकता है. इसके अलावा फाउंडेशन द्वारा कैंसर होम केयर एप का संचालन भी शीघ्र शुरू किया जाने वाला है. जोकि 10 क्षेत्रीय भाषाओं में कैंसर की विभिन्न विधाओं को लेकर सूचना तथा होम केयर सुविधा के क्षेत्र में काफी मददगार साबित होगा.
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