विश्व स्तनपान सप्ताह : वैश्विक स्तर पर स्तनपान से जुड़े आंकड़ों की माने तो अलग-अलग कारणों से मात्र 64% बच्चों को ही जन्म के छह महीने तक स्तनपान कराया जाता है, जोकि चिंताजनक है. हालांकि वर्तमान समय में सरकारी प्रयासों तथा कई माध्यमों से होने वाले जागरूकता कार्यक्रमों का नतीजा है कि लोगों में शिशु के लिए कम से कम छह माह तक स्तनपान की जरूरत तथा उसके फ़ायदों को लेकर काफी जागरूकता बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद स्तनपान से जुड़े आंकडों में शत-प्रतिशत बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है. हर वर्ष स्तनपान को जागरूकता व बढ़ावा देने के लिए अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 से 7 अगस्त तकविश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जाता है.
स्तनपान ना करवा पाने के बहुत से कारण हो सकते हैं. जिनमें स्वास्थ्य संबंधी तथा कई बार इससे जुड़े कुछ मिथ्या भ्रमों के अलावा महिला का ज्यादा व्यस्त होने के चलते स्तनपान के लिए जरूरी समय ना निकाल पाने जैसे कारण भी शामिल भी होते हैं. दरअसल एक परिवार में एक स्त्री को कई दायित्वों का निर्वहन करना पड़ता है. वहीं यदि महिला कामकाजी हो तो ऐसे में उसे घर की जिम्मेदारियों के साथ अपने कार्य की जिम्मेदारियों को भी संभालना होता है. ऐसे में कई बार यदि कामकाजी माता को परिवार का सहयोग ना मिले तो उसके बच्चे के स्तनपान पर भी असर पड़ता है.
विश्व स्तनपान सप्ताह थीम
इस वर्ष इस आयोजन के लिए इनेवलिंग ब्रेस्ट-फीडिंग : मेकिंग अ डिफरेंस फॉर वर्किंग पेरेंट्स थीम रखने का उद्देश्य कामकाजी माताओं के लिए परिवार से यथोचित सहयोग प्राप्त कराने की अपील करना है. जिससे उन्हे स्तनपान कराने के लिए ज्यादा समय तथा मौके मिल सके. World Breastfeeding Week Theme - Enveloping Breast Feeding : Making a Difference for Working Parents .