जब एक परिवार में नया मेहमान यानी एक बच्चा आने वाला होता है, तो माता-पिता के दिल और दिमाग में कुछ अलग ही तरह के विचार और उमंगे रहती हैं। लेकिन जन्म लेने वाला बच्चा यदि सामान्य ना हो या फिर ऑटिज्म जैसी अवस्था से पीड़ित हो, तो पहले-पहले माता-पिता इस तथ्य को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में अधिकांश मां-बाप इस अफसोस में रह जाते हैं, कि उनका बच्चा तथा हालात उनकी सोच के मुताबिक नहीं है।
ऑटिस्टिक बच्चों के साथ विशेष तौर पर कार्य कर रही मुंबई की मनोचिकित्सक समृद्धि पाटकर बताती हैं कि ज्यादातर मामलों में माता-पिता के लिए इस बात को स्वीकार कर पाना बहुत कठिन हो जाता है कि उनका बच्चा ऑटिज्म जैसे विकार से पीड़ित है। ETV भारत सुखीभवा को इस संबंध में ज्यादा जानकारी देते हुए वे बताती हैं कि बच्चे में ऑटिज्म की पुष्टि से लेकर माता-पिता द्वारा इस तथ्य को स्वीकारने तक का चक्र अस्वीकार्यता, दुख तथा तनाव से भरा हुआ होता है।
बच्चे में ऑटिज्म की पुष्टि होने पर परिजनों के समक्ष आने वाले भावनात्मक संघर्ष
समृद्धि पाटकर बताती है कि आमतौर पर बाल रोग विशेषज्ञ तथा मनोचिकित्सक बच्चों में लगभग दो साल से भी कम उम्र में ऑटिज्म के लक्षणों को पहचान लेते हैं। बच्चे में जांच और ऑटिज्म की पुष्टि तथा माता-पिता द्वारा इस सच को स्वीकारने के बीच का चक्र ऐसा होता है, जब उसके परिजन मानसिक दबाव तथा विभिन्न प्रकार की भावनाओं के भंवर में फंसे होते हैं। इस दौर में सिर्फ दुख और बच्चे के भविष्य को लेकर अनिश्चितता का तनाव ही माता-पिता को परेशान नहीं करता है, बल्कि इसके साथ ही और भी बहुत से भाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इस दौर में माता- पिता की मनःस्थिति को प्रभावित करने वाली भावनाएं और चिंताएं इस प्रकार हैं;
- सदमा तथा परिस्थितियों को अस्वीकार करना
बच्चे में ऑटिज्म होने की पुष्टि होने पर ज्यादातर माता-पिता सदमे में आ जाते हैं। यहां तक कि कई बार वे चिकित्सक की जांच पर भी सवाल खड़े करने लगते हैं। इसके साथ ही वे बच्चों में ऑटिज्म को लेकर नजर आने वाले लक्षणों की अलग-अलग प्रकार से व्याख्या देने लगते हैं। कुल मिलाकर उनका प्रयास यही रहता है की किसी तरह से वह साबित कर सके कि उनके बच्चे का व्यवहार पूरी तरह से सामान्य है।
- गिल्ट यानी अपराध बोध
बच्चे में ऑटिज्म की पुष्टि होने पर ज्यादातर परिजन विशेषकर माताएं उसकी इस अवस्था के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानना शुरू कर देते हैं। साथ ही ऐसे में माता-पिता उन कारणों को भी खोजने का प्रयास करने लगते हैं, जोकी उनके अनुसार बच्चे में ऑटिज्म होने के जिम्मेदार हैं।
- गुस्सा