एक उम्र के बाद वयस्क महिलाओं में मासिक व जननांग सहित अन्य प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा नजर आने लगती हैं. आमतौर पर महिलाएं तब तक अपनी समस्यायों पर ध्यान नहीं देती हैं जब तक उनके प्रभाव शरीर पर, दर्द या अन्य गंभीर रूप में नजर न आने लग जाएं. ज्यादातर मामलों में वे अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों को लेकर सचेत भी नहीं रहती हैं जिससे उन्हें अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों के बारें में पता भी नहीं चल पाता है. आज हम अपने पाठकों के साथ साझा कर रहे हैं वयस्क महिलाओं में नजर आने वाली कुछ समस्याएं व रोग तथा उनके लक्षण.
पीएमएस (PMS)
मासिकधर्म के दौरान महिलाओं को अनेकों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. किंतु पीएमएस से ग्रस्त महिलाओं को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस समस्या में सामान्य तौर पर मासिकधर्म आने के पहले पेट में दर्द, ऐंठन, कमर दर्द, स्तनों में दर्द व सूजन आदि लक्षण महसूस होते हैं. हालांकि महिलाओं में पीएमएस का स्तर उम्र के आधार पर भिन्न-भिन्न होता है, लेकिन कुछ महिलाएं इसे 20 से 25 की उम्र में महसूस कर सकती हैं. इसके अलावा जिन महिलाओं की उम्र 30 से अधिक है, उनमें पीएमएस के लक्षण कम हो सकते हैं क्योंकि मेनोपॉज़ की स्थिति में जाने से पहले समस्या बढ़ सकती है. पीएमएस के लक्षण बहुत सी महिलाओं में आम होते हैं, जिसका उनको पता भी नहीं चलता है. कई बार कुछ मामलों में महिलाएं मासिकधर्म के दो सप्ताह पहले से लक्षण महसूस करने लगती हैं. वहीं कई बार पीएमएसएस्ट्रोजनऔर प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन की वजह से भी हो सकता है. पीएमएस के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं.
- मुंहासे आना.
- पेट में दर्द, दस्त या कब्ज होना.
- थकावट, चिड़चिड़ापन,तनाव, अवसाद या उदासी महसूस होना.
- स्तनों में दर्द होना या जी मचलाना.
- सिरदर्द होना.
- पेट में सूजन प्रतीत होना.
अनियमित पीरियड्स
अनियमित मासिक धर्म महिलाओं में होने वाली सामान्य समस्या है. कई बार यह समस्या थोड़ी सावधानी व उपचार से ठीक हो जाती है लेकिन कई मामलों में यह किसी गंभीर बीमारी का लक्षण भी हो सकती है. इसलिए इस समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. आमतौर पर किसी भी स्वस्थ महिला के मासिक चक्र की अवधि 21 से 35 दिन के बीच होती है. यदि एक बार महावारी से दूसरी बार माहवारी होने के बीच इससे ज्यादा समय लगे या दो बार माहवारी होने के बीच की अवधि बेहद कम हो तो इसे अनियमितपीरियड्स कहते हैं. इस समस्या के लिए ज्यादातर तनाव को जिम्मेदार माना जाता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि तनाव का सीधा असर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोंस पर पड़ता है जिससे माहवारी में अनियमितता बढ़ जाती है. वहीं कई बार लंबे समय तक लगातार बीमार रहने या थायरॉयड की वजह से भी महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या हो जाती है. अनियमित पीरियड्स की पहली पहचान है यूट्रस में दर्द. इसके अलावा भूख कम लगना, स्तन, पेट, हाथ-पैर और कमर में दर्द, अधिक थकान, कब्ज तथा दस्त भी इसके लक्षण होते हैं.
एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
एंडोमेट्रियोसिस गर्भाशय में होने वाली एक बीमारी है, जिसमें गर्भाशय की आंतरिक परत बनाने वाले एन्डोमेट्रियल ऊतक में असमान्य बढ़ोतरी होने लगती है और वह गर्भाशय के बाहर अन्य अंगो में फैलने लगता है. इसकी वजह से पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग और पेट में दर्द की शिकायत होती है. एंडोमेट्रियोसिस एक बहुत ही सामान्य समस्या है. एंडोमेट्रियोसिस सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुसार लगभग 25 मिलियन भारतीय स्त्रिओं में यह समस्या पायी जाती है. इसका सबसे पहला और सामान्य लक्षण होता है की माहवारी के समय अत्यधिक दर्द होना. इसके अतिरिक्त माहवारी के समय अत्यधिक रक्त स्त्राव होना, यौन-सम्बन्ध के दौरान या बाद में अधिक दर्द होना, शौच के दौरान या पेशाब करते समय दर्द होना या खून आना, अधिक थकान,चक्कर आना व कब्ज होना तथा निसंतानता इसके मुख्य लक्षणों में से एक हैं.