सर्दियों के मौसम में बहुत से लोग सर्दी से बचने के लिए रात में सोते समय भी स्वेटर या मोजे पहन कर सोते हैं. लेकिन बच्चे हों या बड़ें , यह आदत किसी के लिए भी अच्छी नही होती है. चिकित्सकों का मानना है की यह आदत सर्दियों में मधुमेह रोगियों, ह्रदय रोगियों, रक्तचाप की समस्या से पीड़ित लोगों तथा श्वास सम्बधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए परेशानियाँ बढ़ा सकती हैं. हरियाणा के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ राजेश सिंह ग्रेवाल बताते हैं कि सर्दियों में ज्यादा स्वेटर पहन कर सोने से ना सिर्फ संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है बल्कि इस अभ्यास से सेहत व त्वचा संबंधी कई समस्याएं भी हो सकती हैं. जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं.
श्वास संबंधी समस्या
डॉ राजेश बताते हैं कि आमतौर पर ऊनी कपड़े मोटे फाइबर से बने होते हैं, जिन पर रेशे होते हैं. ज्यादातर लोग ऊनी कपड़ों को रोजाना नही धोते हैं. ऐसे में कई बार उनके रेशों में धूल के कण एकत्रित होने लगते हैं. या फिर गरम कपड़ों के चलते शरीर पर आने वाले पसीने या गंदगी के कारण उनमें बैक्टीरियाँ पनपने लगते हैं. इसके अलावा ऊनी कपड़ों पर लिन्ट भी आ जाता है. ऐसे में उन लोगों के लिए जिन्हे पहले से ही अस्थमा, ब्रॉन्काइटीस जैसी श्वास संबंधी बीमारियाँ हैं, धूल, बैक्टीरिया या लिन्ट के कारण उनकी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसके अलावा ना सिर्फ उनके लिए बल्कि स्वास्थ्य लोगों के लिए भी एलर्जी या सर्दी , बुखार, जुखाम जैसे संक्रमण के संपर्क में आने की आशंका बढ़ जाती है. यही नहीकई बार रात में स्वेटर पहनने से उनमें फंसी धूल के कारण खांसी की समस्या भी हो सकती है.
रक्तचाप पर असर
वह बताते हैं कि रात में स्वेटर पहन कर सोने से ज्यादा पसीना आता है जो रक्तचाप को प्रभावित कर सकता है . दरअसल सर्दियों में हमारी रक्तवाहिनियां सिकुड़ जाती हैं. ऐसे में जब हम स्वेटर, टोपी या मौजे पहन कर सोते हैं तो स्वेटर तथा रजाई दोनों के प्रभाव में हमारा शरीर तो गर्म हो जाता है, लेकिन वह गर्मी हमारे ऊनी कपड़ों और रजाई के कारण बाहर नही निकल पाती है जिससे घुटन, बेचैनी तथा घबराहट जैसी परेशानियाँ महसूस होने लगती है. साथ ही रक्त चाप पर भी असर पड़ता है.