वर्तमान परिस्थितियों में जब कार्यालय, होटल और स्कूल सब खुल चुके हैं या खुलने जा रहे हैं, शादी जैसे सामाजिक आयोजन भी हो रहे है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में बहुत जरूरी हो गया है की लोग संक्रमण से बचने के लिए तमाम उपाय करें, जिनमें मास्क का इस्तेमाल सबसे प्रमुख है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार हर जन सामान्य को सिर्फ बाहर ही नहीं, बल्कि घर पर भी मास्क पहन कर रखना चाहिए. वहीं संक्रमण रोकथाम एवं नियंत्रण (आईपीसी) के अनुसार मास्क पहनने के अलावा यह ध्यान रखना की मास्क या चेहरे के खुले हिस्से को बार-बार ना छुए, हाथों की नियमित सफाई तथा सुरक्षा, बंद क्षेत्रों में हवा की सही निकासी, घर तथा कार्यालय में आसपास के स्थानों की सफाई तथा सेनेटाइजेशन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. ऐसे लोग जो चिकित्सीय कारणों से मास्क नहीं पहन पा रहे हो, उन्हें फेस शील्ड अवश्य पहननी चाहिए. हालांकि इसे ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता है.
मास्क के प्रकार
कई लोग शिकायत करते हैं की मास्क के कारण उन्हें सांस लेने में समस्या होती है या अन्य परेशानियां होती है. वहीं कई लोग इस बात को लेकर भी दुविधा में रहते हैं की किस तरह का मास्क पहनना चाहिए. बाजार में इस समय काफी प्रकार के मास्क मिल रहे है. जानकारों के आधार पर मास्क के प्रकार और उनके गुण इस प्रकार हैं;
- श्वसन यंत्र यानि रेस्पिरेटर मास्क :श्वसन यंत्र के साथ आने वाले मास्क वायरस से बचाव के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं. यह सील टेस्टेड रेस्पिरेटर्स फाइबर से बनते हैं, जो हवा को फिल्टर करने में सबसे अधिक कारगर होते हैं. सर्टिफाइड N-95 रेस्पिरेटर्स 95 प्रतिशत तक पार्टिकल्स को फिल्टर कर सकते हैं. N-99 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. N-100 रेस्पिरेटर्स इन पार्टिकल्स को 99.7 प्रतिशत तक फिल्टर कर सकते हैं. इनमें से कुछ रेस्पिरेटर्स में वाल्व होती हैं, जो सांस लेने में मदद करते हैं.
- सर्जिकल मास्क :बाजार में कई प्रकार के सर्जिकल मास्क मिलते है, जो सिर्फ एक बार पहनने वाले होते है. यानि एक बार पहनो और फेंक दो. रेस्पिरेटर्स की तरह इन मास्क में फिल्ट्रेशन मानक नहीं होते. सर्जिकल मास्क 10 से 90 प्रतिशत तक सुरक्षित हो सकते हैं. हालांकि, यह रेस्पिरेटर जितना सुरक्षित नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिर भी इससे बचाव संभव है.
- कपड़े का मास्क :बाजार में मिलने वाले या घर पर खुद बनाए गए कपड़े के मास्क का भी इस्तेमाल वर्तमान समय में लोग काफी ज्यादा कर रहें है, हालांकि, कोरोना जैसे वायरस से बचाव के लिए इसका प्रभाव थोड़ा कम रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि घर पर बने मास्क में नाक, गाल और जबड़े और मास्क के बीच में गैप रहता है. इससे छोटी ड्रॉप्लेट्स का मास्क में आने का खतरा रहता है. घर पर बने मास्क की क्वालिटी इस पर भी निर्भर करती है कि किस कपड़े से मास्क बनाया गया है. हालांकि, घर पर बने मास्क मेडिकल मास्क जितने प्रभावित नहीं होते, लेकिन फिर भी कोई मास्क ना पहनने से यह मास्क पहनना बहुत बेहतर विकल्प है. इन्हे ठीक से पहनने और अच्छे कपड़े से बनाने पर काफी बचाव हो सकता है.