यूं तो हमारे देश में हर त्यौहार बहुत उत्साह से मनाया जाता है. लेकिन होली का नाम सुनते ही ज्यादातर लोगों के चहरों पर उल्हास भरी मुस्कुराहट नजर आ जाती है. रंगीन चटक गुलाल, पानी से भरी पिचकारी और नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन इस उत्सव के उत्साह को दोगुना कर देते हैं. वहीं ज्यादातर लोग इस त्यौहार को मनाने के बाद मन को हल्का और ऊर्जावान महसूस करते हैं.जिसके लिए इस त्यौहार से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं और रंग गुलाल के मन पर असर को जिम्मेदार माना जा सकता है.
क्यों और किस तरह यह त्यौहार हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर , मन को उल्लासित तथा सोच को सकारात्मक बनाता है , यह जानने के लिए ETV Bharat सुखीभव ने अपने विशेषज्ञों से बात की.
मन होता है आनंदित
होली का उत्सव दो दिन मनाया जाता है. जिसमें पहले दिन छोटी होली मनाई जाती है. इस दिन पूजा पाठ के साथ होलीका दहन का आयोजन किया जाता है. वही दूसरे दिन फाग या रंग वाली होली मनाई जाती है. मनोचिकित्सक डॉ रेणुका शर्मा बताती हैं कि कि चाहे कोई भी त्यौहार हो हमारे मन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता ही है . विशेषकर होली की बात करें तो इस अवसर पर खेले जाने वाले रंग व उनकी खुशबू तथा नाना प्रकार के व्यंजनों के जायके हमारे संवेदी अंगों को प्रभावित करती हैं जिससे हम बेहतर महसूस करते हैं. वहीं यह एक मौका होता है जब सब लोग एक दूसरे के साथ ऐसा समय बिताते हैं जो उनके मन को प्रसन्न तथा आनंदित करता हैं. ऐसे में मन में व्याप्त तनाव, चिंता तथा बैचनी को काफी राहत मिलती है.
मनः स्थिति को प्रभावित करते रंग
वहीं बैंगलुरु की कलर थेरेपिस्ट कृति एस भी बताती हैं कि होली पर रंग खेलने से हमारी मनः स्तिथि को काफी फायदा होता है. वह बताती हैं कि अलग-अलग रंग हमारे मन और शरीर को अलग-अलग शारीरिक और मानसिक फायदे पहुंचाते हैं. जैसे लाल रंग हमारे दिल की धड़कन की गति को नियमित रखने और सांस लेने की प्रक्रिया को सुचारू रखने में काफी मदद करता है. वही पीला और नीला रंग हमारे मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है, साथ ही मन को आनंद और प्रफुल्लता से भरता है.