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स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता फैलाने को प्रतिज्ञाबद्ध है उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन

हैदराबाद का उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन पिछले कई सालों से गांव-गांव और शहरों में महिलाओं में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने तथा उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं तथा स्तन कैंसर की जांच और इलाज को लेकर सही मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से मुहिम चला रहा है। इसी कड़ी में उन्होंने एक मोबाइल एप भी डिजाइन किया है, जिसमें स्तन कैंसर के लक्षण तथा उनकी जांच सहित प्रारंभिक स्तर पर चिकित्सीय सलाह भी लोगों को मुहैया कराई जा रही है।

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स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता

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Published : Mar 27, 2021, 3:00 PM IST

Updated : Mar 27, 2021, 5:53 PM IST

स्तन कैंसर, देश और दुनिया में महिलाओं में होने वाला सबसे प्रमुख कैंसर है। भारत की बात करें तो स्तन कैंसर को लेकर जागरूकता में कमी तथा महिलाओं में इस रोग को लेकर जांच संबंधी विभिन्न प्रकार के आयोजनों व गतिविधियों में कमी के चलते तथा सही समय पर इलाज ना हो पाने के कारण हर साल बहुत सी महिलाएं अपने जीवन से हाथ धो बैठती हैं। स्तन कैंसर के क्षेत्र में काम कर रही उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन, हैदराबाद के संस्थापक, सीईओ, निदेशक तथा स्तन कैंसर विशेषज्ञ डॉ. पी. रघुराम बताते हैं की आज भी हमारे समाज में स्तन कैंसर को लेकर लोगों में बात करने में असहजता होती है। विशेष तौर पर महिलाएं स्तनों में किसी भी प्रकार की समस्या या असहजता महसूस होने पर अपने परिवार को इस संबंध में बताने में शर्म महसूस करती हैं।

वे बताते हैं की महिलाओं में स्तन कैंसर की गंभीरता को जन- जन तक पहुंचाने, लोगों को इस संबंध में बात करने के लिए मुखर होने का प्रयास करने तथा महिलाओं में स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण नजर आने पर चिकित्सीय सलाह लेने के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य लेकर उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन कार्य कर रही है।

वर्ष 2002 में हैदराबाद की प्रसिद्ध ऑब्सटेट्रिशियन तथा गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. उषा लक्ष्मी में स्तन कैंसर की पुष्टि होने तथा उनके इस रोग के साथ संघर्ष से प्रेरणा लेते हुए उनके पुत्र डॉ. रघुराम ने स्तन कैंसर के खिलाफ एक मुहिम शुरू की, जिसका नतीजा है वर्ष 2007 में शुरू हुआ 'उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन', जो कि एक चैरिटेबल फाउंडेशन है।

गौरतलब है की उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट केयर फाउंडेशन की ओर से सर्वप्रथम वर्ष 2008 में अक्टूबर के महीने में, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तन कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जा रहा था, पहली बार वार्षिक 'पिंक रिबन वॉक' की शुरुआत की गई थी। अंग्रेजी के स्लोगन 'डज योर हार्ट बीट फॉर अर्ली डिटेक्शन ऑफ ब्रेस्ट कैंसर' के साथ लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आयोजित हुई इस वॉक का अब तक 12 बार सफल आयोजन किया जा चुका है। इस आयोजन की सफलता का साक्ष्य यह है कि इस आयोजन को हैदराबाद के कैलेंडर का बेंच मार्क वार्षिक आयोजन माना जाता है। हैदराबाद में इस आयोजन की सफलता के उपरांत फाउंडेशन द्वारा वारंगल, विजयवाड़ा तथा विशाखापट्टनम जैसे शहरों में भी पिंक रिबन वॉक का आयोजन किया गया।

उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट केयर फाउंडेशन, पिंक रिबन वॉक के दिन हैदराबाद की कई ऐतिहासिक और नामी इमारतों जैसे चारमीनार, बुद्धा स्टेच्यू, लेजिस्लेटिव असेंबली, रविंद्र भारती, संयुक्त राष्ट्र की कॉन्स्युलेट इमारत तथा के.आई. एम.एस. अस्पतालों की इमारतों को रोशन करता है।

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सरल नहीं है राह

डॉ. रघुराम फाउंडेशन के कार्यों के दौरान आने वाली समस्याओं की जानकारी देते हुए बताते हैं की स्तन कैंसर की प्रमुख जांच मानी जानी वाली मैमोग्राफी जांच विभिन्न आर्थिक, भौगोलिक और सामाजिक कारणों के चलते हर महिला के लिए संभव नहीं है। विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अभी भी स्तन में गांठ तथा अन्य समस्याओं को लेकर चिकित्सक के पास जाने में शर्म तथा असहजता महसूस करती हैं।

इसी के चलते उषा लक्ष्मी ब्रेस्ट केयर फाउंडेशन के तहत लगभग 3,750 प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों ने लगभग 4000 गांवों में घर-घर जाकर कैंसर की जांच और जागरूकता के लिए अभियान चलाया। जिसका फायदा यह हुआ की महिलाओं ने खुल कर उनके समक्ष अपनी समस्याएं बताई। इस अभियान में जो सबसे चिंतनीय बात सामने आई, वह थी 35 से 65 साल के बीच की उम्र वाली लगभग 2,00,000 महिलाओं में स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण नजर आना ।

डॉ. रघुराम बताते हैं की देश में लोगों को स्तन कैंसर या स्तन स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से फाउंडेशन द्वारा देश का पहला ऐसा मोबाइल एप ('ABC's OF BREAST HEALTH') डिजाइन किया गया है, जो ना सिर्फ लोगों में स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाएगा, बल्कि लोगों को स्तन स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदमों को लेकर भी दिशा निर्देश देगा। यह एप भारत में बोली जाने वाली 12 प्रमुख भाषाओं में मौजूद है।

वर्ष 2017 में लांच हुआ यह मोबाइल एप दुनिया भर में अपनी तरह का पहला तकनीक आधारित प्रयास रहा, जिसका उद्देश्य गांव-गांव, शहर-शहर तक स्तन कैंसर के प्राथमिक लक्षणों तथा स्तन स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी कदमों के बारे में बड़ी संख्या में लोगों को जागरूक करना था। उषा लक्ष्मी फाउंडेशन से जुड़े लोगों का मानना है कि यह मोबाइल एप ऐसे सेलिब्रिटीज और आम जनता दोनों के लिए मददगार रहेगी, जो किसी भी कारण से चिकित्सक के पास जाकर उनसे सलाह लेने में सक्षम नहीं हो पाते है।

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स्तन कैंसर से बचने के तरीके

डॉक्टर रघुराम बताते हैं कि स्तन कैंसर से बचने के लिए केवल 3 तरीके हैं;

  1. सही और संतुलित आहार खाएं, व्यायाम करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।
  2. हर उम्र की महिलाएं अपने स्तनों के स्वास्थ्य के लिए जागरूक रहें। हल्की सी भी समस्या महसूस होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।
  3. 40 से ज्यादा आयु की महिलाएं हर वर्ष मैमोग्राफी टेस्ट लें। 3 चरणों में होने वाली इस टेस्ट से स्तन की कोशिकाओं में हो रहे परिवर्तन तथा उत्पन्न हो रही समस्याओं के बारे में समय रहते जानकारी मिल पाएगी। और रोग को जड़ से समाप्त करने की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगे।

डॉ. पी. रघु राम ओबीई, संस्थापक, सीईओ और निदेशक KIMS-उषा लक्ष्मी सेंटर फॉर ब्रेस्ट डिजीज, हैदराबाद, भारत

www.ubf.org.in

www.breastcancerindia.org

Last Updated : Mar 27, 2021, 5:53 PM IST

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