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अतिरिक्त विटामिन सेहत के लिए नुकसानदायक - अतिरिक्त विटामिन से नुकसान

हमारा स्वास्थ्य उत्तम रहे, उसके सभी तंत्र सही तरीके से काम करते रहे और शरीर को ऊर्जा मिलती रहे, इसके लिए बहुत जरूरी है की शरीर को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहें. प्रोटीन, विटामिन और मिनरल आदि खनिज वो पोशक तत्व हैं, जो हमारे शरीर के लिए जरूरी है. इनमें विटामिन एक ऐसा खनिज है, जिसके अलग-अलग प्रकार शरीर के विभिन्न तंत्रों को रोगमुक्त रखने का कार्य करते हैं. लेकिन जब लोग अनावश्यक रूप से मल्टीविटामिन सप्लीमेंट लेने लगते हैं, तो शरीर में विटामिन का संतुलन बिगड़ जाता है. जिससे शरीर को काफी नुकसान भी पहुंच सकता है.

usage of multivitamins
मल्टीविटामिन का सेवन

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Published : Sep 24, 2020, 7:26 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 11:28 AM IST

हमारे शरीर में ब्लड सेल्स को नियंत्रित करने, त्वचा नर्वस सिस्टम को संतुलित रखने के लिए विटामिन बहुत जरूरी होते हैं, जो सामान्य रूप से हमे हमारे रोजमर्रा के खानपान में मिल जाते हैं. लेकिन कई बार लोग ज्यादा बेहतर स्वास्थ की कामना से बगैर चिकित्सीय सलाह के मल्टीविटामिन लेना शुरू कर देते हैं. जिसके चलते उनके शरीर में विटामिन की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ जाती है. जिससे शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है. साथ ही शरीर के तंत्रों के कार्य करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है. बगैर चिकित्सीय सलाह के मल्टीविटामिन की दवाइयां लेना उचित है? इस बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने डॉ. राजेश वुक्काला एमडी जनरल मेडिसिन तथा कंसलटेंट फिजिशियन वीआई एनएन अस्पताल, हैदराबाद से बात की.

शरीर को विटामिन की जरूरत

डॉ. राजेश वुक्काला बताते हैं की मानव शरीर के विकास के लिए विटामिन सबसे महत्वपूर्ण खनिजों में से एक है. विटामिन हमारे इम्यून सिस्टम को बूस्ट, घावों को भरने, कई रोगों से शरीर को बचाने में तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का कार्य करता है. विटामिन के कई प्रकार होते हैं जो कि हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों और तंत्रों को स्वस्थ व सक्रिय रखने में मदद करते हैं. आमतौर पर सभी विटामिन हमें रोजमर्रा के खाने में सरलता से मिल जाते हैं. कुछ विशेष परिस्थितियों में ही ऐसा होता है, जब किसी कारणवश भोजन के माध्यम से जरूरी विटामिन शरीर को नहीं मिल पाते है. इस अवस्था में चिकित्सक मरीज को सप्लीमेंट्स यानि दवाओं के माध्यम से विटामिन की अतिरिक्त खुराक लेने की सलाह देते है.

लेकिन कई बार लोग इस विचार के साथ की उनके शरीर में किसी प्रकार की परेशानी ना हो, लोग अपने आप मल्टीविटामिन लेने लगते हैं, जो गलत है. किसी भी अवस्था में स्वयं कोई भी दवाई या टॉनिक लेने से बचना चाहिए. क्योंकि शरीर में विटामिन की मात्रा जरूरत से ज्यादा बढ़ने पर शरीर के विभिन्न तंत्रों के कार्यों पर असर पड़ता है.

डॉ. राजेश वुक्काला बताते हैं पिछले कुछ समय में जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, अब लोग मल्टीविटामिन की बजाय आपनी जांच करवा कर सिर्फ जरूरी सप्लीमेंट्स का सेवन करने लगे है, जो सही है और सुरक्षित भी.

विटामिन के प्रकार

विटामिन के 13 प्रकार माने गए हैं, जो इस प्रकार है;

⦁ विटामिन ए : विटामिन ए जिसे रेटिनॉल नाम से भी जाना जाता है, हमारे आंखों के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है. आंखों के धब्बेदार विकार 'मैक्यूलर डीजेनरेशन' मोतियाबिन्द से बचाव के लिए विटामिन ए आवश्यक होता है. इसके अलावा मुहांसों और त्वचा रोगों से बचाव व मुक्ति के लिए यह सहायक होता है. विटामिन ए कैरोटिनॉइड के रूप में बालों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखता है.

⦁ विटामिन बी-1 : विटामिन बी-1 को थायमिन भी कहा जाता है. थायमिन मेटाबोलिज्म बढ़ाने, मस्तिष्क के विकास, बेरी-बेरी रोग, हृदय रोग तथा पाचन संबंधी रोगों को दुरुस्त रखने के लिए बहुत जरूरी होता है.

⦁ विटामिन बी-2 :इसे राइबोफ्लेविन भी कहा जाता है. विटामिन बी2 मोतियाबिंद, एनीमिया यानि खून की कमी, और तंत्रिका तंत्र में सुधार लाता है. यह मुंह के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है.

⦁ विटामिन बी-3 : इससे नियासिन भी कहा जाता है. यह कमजोरी, सर दर्द, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह तथा अपच को नियंत्रण में रखने में मदद करता है.

⦁ विटामिन बी-5 : जिसे पैंटोथैनिक भी कहा जाता है. पैंटोथैनिक एसिड तनाव, गठिया, विभिन्न संक्रमणों, कोलेस्ट्रॉल तथा त्वचा के रोगों का निवारण करने का कार्य करता है. शरीर में वसा या फैट के संस्करण को संतुलित रखता है.

⦁ विटामिन बी-6 : विटामिन बी-6 यानि पाइरीडॉक्सिन मधुमेह , बवासीर, अनिन्द्रा, थकान और तनाव के उपचार में मदद करने के साथ होमोसिस्टीन के स्तर को कम करता है.

⦁ विटामिन बी-7 :इसे बायोटीन भी कहा जाता है. यह बालों, त्वचा और नाखूनों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है.

⦁ विटामिन बी-9 : इसे फोलिक एसिड भी कहते हैं. यह शरीर में ब्लड सेल्स के निर्माण विशेष तौर पर आरबीसी के निर्माण में जरूरी होता है. इसके अलावा यह एसिड एनीमिया, मस्तिष्क संबंधी विकारों, गठिया तथा अपच में मदद करता है.

⦁ विटामिन बी-12 : साइनोकोबालमिन नाम से भी जाना जाने वाला विटामिन बी-12 गर्भावस्था, लिवर की समस्या, गुर्दे की समस्या, मुह के अल्सर, तथा धूम्रपान के दुष्प्रभावों को कम करने का कार्य करता है.

⦁ विटामिन सी या एस्कॉर्बिक एसिड: इस विटामिन को रिपेयर विटामिन भी कहा जाता है. यह आंखों के रोग, मधुमेह, तनाव, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, बवासीर, कॉर्नियल अल्सर, गुर्दे संबंधी विकार, सूजन जैसी कई बीमारियों से शरीर को बचाता है. इसके अलावा यह लेड विषाक्तता, कॉग्निटिव डिकलाइन तथा सेरेब्रो वैस्कुलर से इलाज में भी मदद करता है.

⦁ विटामिन डी :विटामिन से सुखा रोग, दांतों के रोग, आस्टियो-पोरोसिस सहित हड्डियों के अन्य रोगों से बचाव करता है.

⦁ विटामिन ई :विटामिन ई यानि टोकोफेरॉल उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट तत्व पाए जाते हैं. यह हमारी तंत्रिका तंत्र की समस्याओं को दूर करने तथा हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने में काफी मदद करता है.

⦁ विटामिन के : विटामिन के हमारे शरीर में रक्त के दबाव और संचालन के लिए बहुत जरूरी होता है. यह हमारे शरीर के क्लॉटिंग सिस्टम को संतुलित रखता है तथा इस बात को सुनिश्चित करता है कि शरीर में खून का सर्कुलेशन सही तरीके से हो रहा है या नहीं.

Last Updated : Sep 25, 2020, 11:28 AM IST

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