मुंह से दुर्गंध आना एक आम समस्या है लेकिन यह लोगों को शर्मिंदगी का शिकार बना सकती है. मुंह से बदबू आने की समस्या के लिए कई बार हमारी जीवन शैली से जुड़ी वह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आदतें जिम्मेदार हो सकती है, जो स्वास्थ्य समस्या जनित या उनके प्रभाव स्वरूप हो सकती है. अपने विशेषज्ञों के परामर्श के आधार पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं मुंह से बदबू आने के कुछ ऐसे कारणों के बारें में जो हमारे स्वास्थ्य से तो जुड़े होते ही है, लेकिन उनका आधार हमारी जीवनशैलीके कारण पनपी गलत आदतें हो सकतीं है.
मुंह का सफाई में लापरवाही
हमारी दांतों या जीभ की सही तरीके से सफाई न होने पर मुंह में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं , जो सांसों में दुर्गंध का प्रमुख कारण बनते हैं. सामान्य तौर पर जहां दांतों के बीच भोजन फंस जाने और सफाई के अभाव में उसके सड़ जाने के कारण मुंह से बदबू आने की समस्या बढ़ जाती है वहीं जीभ पर किसी समस्या के कारण भी मुंह में दुर्गंध उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया पनप सकते हैं.
हमारी जीभ का स्वास्थ्य उसकी सफाई तथा हमारी पाचन क्रिया सहित कई चीजों पर निर्भर करता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि नियमित तौर पर ब्रश करने के उपरांत अपनी जीभ की सफाई अवश्य करें, जिसके लिए बाजार में यंत्र सरलता से मिलते हैं . यहीं नही कई प्रकार के ब्रश के पिछले हिस्से में भी ऐसी संरचना तैयार की जाती है जिससे जीभ साफ की जा सके. लेकिन ध्यान रहे की जीभ की सफाई सावधानी से की जाय ताकि जीभ पर किसी प्रकार की चोट न लगे. इसके साथ ही जरूरी है की पाचन को दुरस्त रखने का प्रयास किया जाय क्योंकि पाचन संबंधी अधिकांश बीमारिया जैसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), तथा एसिडिटी, मुंह से बदबू आने का कारण बन सकती है. इसलिए सही समय पर , संतुलित मात्रा में सुपाच्य भोजन करने को ही प्राथमिकता देनी चाहिए.
शराब और धूम्रपान से बनाए दूरी
अल्कोहल का सेवन करने से मुंह से सिर्फ शराब की बदबू ही नही आती बल्कि इसके सेवन से सामान्य तौर पर मुंह से ज्यादा बदबू आने की आशंका बढ़ जाती है. दरअसल शराब वैसे तो तरल पदार्थ होती है लेकिन यह मुंह में सूखे पन की समस्या बढ़ा देती है जिससे मुंह में बैक्टीरिया बनने लगते है. इन बैक्टीरिया की वजह से हैलिटोसिस (मुंह से दुर्गंध आने) समस्या होने लगती है. इसके अतिरिक्त मुंह सूखने की वजह से सोते समय हमारे मुंह में पर्याप्त लार नहीं बन पाती है, यह भी सांसों की बदबू आने का कारण बन जाती है. शराब के अतिरक्त धूम्रपान , कैफीनयुक्त पेय पदार्थ , मसालेदार भोजन और धूम्रपान भी मुंह में बदबू का कारण बन सकते हैं.
स्पेशल डाइट और मीठा भी हो सकता है कारण
कई बार जब वजन कम करने या किसी विशेष डाइट का अनुसरण करने के चलते जब हम अपने आहार में कार्ब्स को कम कर प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन ज्यादा करने लगते हैं तो हमारा शरीर ऊर्जा के लिए फैट बर्न करना शुरू कर देता है, इस प्रक्रिया में कीटोन्स नामक यौगिक बनाते है, जो सांसों में दुर्गंध का कारण बनते है. इस समस्या का निस्तारण सिर्फ डेंटल हाइजीन से संभव नही है , ऐसे में चिकित्सक या जानकार से सलाह लें.
वहीं अतिरिक्त मिठास वाले सूखे मेवे या अन्य मीठे आहार का जरूरत से ज्यादा सेवन भी हमारी साँसों में दुर्गंध का कारण बन सकता है. दरअसल ज्यादा मीठे सूखे मेवे या अन्य चिपचिपे आहार हमारे दांतों के बीच में फंस जाते हैं और सामान्य तरीके से ब्रश करने पर आसानी से बाहर नही निकलते हैं. ऐसे में यह दातों में सड़न का कारण बनते हैं और सांस का बदबूदार बनाने लगते हैं. इसके अतिरिक्त चिपचिपा आहार हमारे दांतों को ऊपरी सुरक्षा परत को भी नुकसान पहुंचता है. इसलिए जब भी कुछ मीठा खाया जाय तो उसके बाद फ्लॉस और ब्रश जरूर करें.
शारीरिक संक्रमण या रोग तथा दवाइयों का ज्यादा सेवन
सर्दी या फ्लू होने पर हमारे शरीर में कफ या बलगम का निर्माण काफी ज्यादा बढ़ जाता है तथा वह स्वाभाविक तौर पर नाक या मुंह से सलाईवा के साथ मिलकर शरीर से बाहर आता है. पोस्ट नेजल ड्रिप कही जाने वाली इस अवस्था के तहत जब कफ मुंह से बाहर आता है तो मुंह में बदबू उत्पन्न करने वाले बैक्टीरिया को आकर्षित तथा पनपने का मौका देता है. इसके अतिरिक्त साईनस, ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन पथ के संक्रमण के चलते भी साँसों में दुर्गंध आने की समस्या हो सकती है.
वहीं हमारा मुंह हमारे शरीर के अंदरूनी स्वास्थ्य के बारें में भी बताता है. जैसे कई बार पेट, गले या मुंह में छालों के रूप में नजर आते है, जिनका कारण किसी न किसी प्रकार की शारीरिक समस्या होती है. सिर्फ अल्सर होने पर ही नही बल्कि अल्सर का कारण बनने वाले बैक्टीरिया जैसे “हेलिकोबैक्टर पाइलोरी” भी दुर्गंध युक्त सांस का कारण बन सकते हैं. इसलिए बहुत जरुरी है कि आहार का ध्यान रखने के साथ शरीर या मुंह में होने वाली असहजताओं का भी ध्यान रखा जाय.
दवाइयों का सेवन भी कई बार मुंह से बदबू आने का कारण बन सकता है. दरअसल अपने सामान्य जीवन में हर छोटी बड़ी समस्या के लिए हम विभिन्न प्रकार की दवाइयों का सेवन करते हैं. इन दवाइयों में से बड़ी संख्या में ऐसी दवाइयाँ भी आती है जो हमारे मुंह में लार के प्रवाह और उसकी मात्रा को प्रभावित करती है. जिससे मुंह के सुखने की समस्या बढने लगती है और मुंह में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन (American Dental Association) के अनुसार जब भी हम किसी प्रकार की दवाई का सेवन करते हैं तो जरूरी है की अपने शरीर को हाइड्रेटेड या रखने का प्रयास करें यानी मुंह में नमी बनाए रखें. जिसके लिए थोड़ी-थोड़ी देर के उपरांत कुल्ला किया जा सकता है या चीनी रहित (शुगर फ्री ) च्यूइंगम चबाई जा सकती है.
मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी जर्नल (Medical Microbiology Journal) में प्रकाशित एक अध्धयन के अनुसार मुँह में बैक्टीरिया का इलाज करने से बदबू से स्वतः छुटकारा मिल जाता है. इसके साथ ही बहुत जरूरी है की असिन जीवन शैली की खराब आदतों से परहेज किया जाय, जैसे भोजन संबंधी आदतों में अनुशासनहीनता, बेसमय सोने जागने सम्बधी आदतें , शरीर के मुंह के हाइजीन संबंधी आदतें.
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