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कैंसर के कुछ इलाज कोविड से मृत्यु का जोखिम बढ़ा सकते हैं: अध्ययन - कोविड से मृत्यु का जोखिम

कैंसर का सक्रिय इलाज कराने वाले कोविड-19 संक्रमितों में मृत्यु का खतरा अधिक है. अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि एंटी-सीडी 20 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्राप्त करने वाले मरीजों में मृत्यु की आशंका अधिक हो जाती है.

Cancer patient have higher risk of death
कैंसर पीड़ितों में मृत्यु का खतरा अधिक

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Published : Sep 21, 2020, 3:28 PM IST

अमेरिकी शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि कैंसर के लिए किए जाने वाले कुछ उपचारों से रोगियों के कोविड-19 संक्रमित होने पर मृत्यु की आशंका बढ़ सकती है. यूरोपियन सोसाइटी फॉर मेडिकल ऑन्कोलॉजी वर्चुअल कांग्रेस 2020 में सिनसिनाटी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा पेश किए गए अध्ययन में कैंसर के ऐसे तरीकों के बारे में बताया गया, जो रोगी के कोरोनावायरस संक्रमित होने पर उस पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं.

यूसी कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हेमटोलॉजी ऑन्कोलॉजी विभाग में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर त्रिशा वाइज-ड्रेपर ने कहा, 'ऐसे मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका 40 प्रतिशत तक होती है. साथ ही उनमें गंभीर श्वसन बीमारी होने और मृत्यु की आशंका होती है.'

कोविड -19 और कैंसर के संबंध पर किए गए पिछले अध्ययन में टीम ने पाया था कि उम्र, लिंग, धूम्रपान करने और सक्रिय कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में मृत्यु की आशंका बढ़ा देती हैं.

ड्रेपर ने आगे कहा, 'अब हमने 3 हजार से अधिक मरीजों के बीच एंटी-कैंसर ट्रीटमेंट के समय और कोविड-19 संबंधित जटिलताओं के बीच संबंध की जांच की थी. इसमें विशेष तौर पर एंटी-सीडी 20 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी प्राप्त करने वालों की मृत्यु की आशंका अधिक थी, जो आमतौर पर कुछ लिम्फोमा में सामान्य बी कोशिकाओं को समाप्त करने के लिए उपयोग किया जाता है.'

कोविड-19 डायग्नोस होने से पहले के एक साल में एंडोक्राइन थेरेपी को छोड़ दें तो कैंसर का ट्रीटमेंट नहीं ले रहे रोगियों की तुलना में सक्रिय कैंसर उपचार ले रहे रोगियों की मृत्यु संख्या अधिक रही.

उन्होंने कहा, 'यह उन रोगियों के लिए अच्छी खबर नहीं है, जो कैंसर से लड़ रहे हैं. इसके अलावा भी कैंसर के रोगियों में किसी भी स्थिति या कारण के चलते मृत्यु की आशंका सामान्य आबादी की तुलना में अधिक है. इसमें वो लोग शामिल हैं, जिनका पिछले साल इलाज नहीं चल रहा था.'

लेखकों ने कहा कि उन्हें इस विषय पर और अधिक शोध करने की जरूरत है. क्योंकि वे रोगियों के समूह पर महामारी के प्रभाव की जांच करना जारी रखना चाहते हैं.

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