ट्रॉमा का हिन्दी में शाब्दिक अर्थ है सदमा या आघात. इसे साधारण शब्दों में समझा जाये तो यह उस गुम चोट सरीखा है जो देखने में कम नजर आता है लेकिन उसके कारण होने वाला दर्द या नुकसान लंबे समय तक या कभी-कभी आजीवन परेशान कर सकता है. ट्रॉमा सिर्फ शारीरिक चोट या दर्द के कारण नहीं होता है, बल्कि यहाँ ट्रॉमा को लेकर जिस संदर्भ में हम बात कर रहे हैं उसका संबंध मानसिक आघात से है.
किसी अपने की मृत्यु, किसी खास से दूरी, बीमारी , हिंसा, असफलता, प्राकृतिक आपदा या विकलांगता, बहुत से ऐसे कारण हैं जो हमारे जीवन में किसी गंभीर सदमें का कारण बन सकते हैं . यदि इस अवस्था पर समय रहते नियंत्रण न हो पाए तो कई बार पीड़ित पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (PTSD) जैसे मनोविकारों का शिकार भी बन सकते हैं. ट्रॉमा जैसी परिस्तिथि से स्वयं बचने तथा अपने परिजनों तथा नजदीकियों को बचाने के लिए बहुत जरूरी है की जहां तक संभव हो सके आपात परिसतिथ्यों में सुरक्षा तथा बचाव दोनों को लेकर लोग जागरूक रहें. इसी के चलते दुनिया भर में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को पूरी दुनिया में 'विश्व ट्रॉमा दिवस' मनाया जाता है. सर्वप्रथम इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत वर्ष 2011 में देश की राजधानी दिल्ली में की गई थी .
ट्रॉमा के प्रभाव तथा लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ट्रॉमा विश्व भर में मृत्यु और विकलांगता का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है. ट्रॉमा को किसी एक बीमारी के रूप में परिभाषित नही किया जा सकता है. यह एक ऐसी अवस्था है जिसका पीड़ित के सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य तथा व्यवहार पर असर पड़ता है. वहीं ट्रॉमा का शिकार होने के लिए जरूरी नही है की आपदा या दुर्घटना का शिकार आप स्वयं या आपका कोई नजदीकी व्यक्ति हुआ हो. कई बार महामारी, युद्ध , प्राकृतिक आपदा या किसी सामाजिक समस्या के बारें में टीवी या संचार के अन्य माध्यमों से जानने के बाद भी लोगों में डर तथा स्वयं के साथ भी कुछ बुरा होने का आशंका घर करने लगती है जो ट्रॉमा का कारण बन सकती है. जिसका सबसे ताजा उदारहण हाल ही में कोरोना महामारी के रूप में नजर आया है . जहां महामारी और उसके चलते मृत्यु के डर ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित किया है . इस दौर में फैले डर का असर अभी भी बड़ी संख्या में लोगों के मन मस्तिष्क पर पोस्ट ट्रोमेटिक डिसॉर्डर के रूप में नजर आ रहा है।
ट्रॉमा से पीड़ित व्यक्ति में आमतौर पर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं .
- क्रोध, चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव
- निराशा और उदासी
- अकेलेपन का अहसास
- किसी भी काम में मन न लगना
- सामाजिक जीवन से दूरी बना लेना
- चिंता और डर
- नींद की कमी
- बात-बात पर चौंक जाना या घबरा जाना
- अविश्वास
- भावनात्मक आघात
सड़क दुघर्टना के प्रमुख कारण
पूरे विश्व में ट्रॉमा का सबसे प्रमुख कारण सड़क दुघर्टनाओं को माना जाता है ,जिसे 'आरटीए' के नाम से भी जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं विकसित देशों में होती हैं.