कोरोना महामारी के दौरान टेली काउंसलिंग ना सिर्फ कैंसर के रोगियों बल्कि तमाम शारीरिक और मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर सामने आई। कोरोना काल में टेली काउंसलिंग की सकारात्मक भूमिका के चलते बहुत से मरीज ना सिर्फ अपना इलाज सुचारु रख सके बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बरकरार रख सके। ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए पूर्व कैंसर काउंसलर तथा साइकोलॉजिस्ट काजल दवे बताती हैं की महामारी के दौरान ऐसे रोगी जिनकी प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कम थी, संक्रमण की चपेट में आने के डर से अस्पताल या चिकित्सक के पास जाने से घबरा रहे थे। ऐसे में टेली काउंसलिंग उनके लिए एक अच्छा विकल्प बन कर सामने आई।
हेल्थ सेंटर बने मददगार
काजल दवे बताती हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दे जैसे तनाव, बेचैनी और घरेलू हिंसा आदि के लिए लॉकडाउन शुरू होने के शुरुआती दौर में ही हेल्पलाइन सुविधाओं की शुरुआत कर दी गई थी। लेकिन ऐसे रोगी जो कैंसर जैसे गंभीर रोग से पीड़ित थे और जिनकी नियमित रूप से चिकित्सीय जांच और इलाज जरूरी था, उनके लिए लॉकडाउन के शुरुआती दौर में समस्याएं और चिंताए दोनों ही बढ़ गई। ऐसे में चिकित्सकों द्वारा उन कैंसर रोगियों की मदद के लिए हेल्पलाइन या टेली काउंसलिंग सुविधा की शुरुआत की गई, जिनका पहले से ही इलाज चल रहा था। टेली काउंसलिंग सुविधा के तहत मरीजों को सिर्फ उनके इलाज से संबंधित जानकारियां तथा मदद ही मुहैया नहीं कारवाई गई बल्कि किस तरह से वह अपने आसपास साफ-सफाई और अन्य उपायों को अपनाकर कोरोना से संक्रमण से स्वयं का बचाव कर सकते हैं, इस बारे में भी जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त कोरोना के दौरान रोगी अपनी मानसिक अवस्था को स्वस्थ कैसे रख सकते हैं, इस बारे में भी उनको मदद प्रदान की गई।
काजल दवे बताती है कि इन काउंसलिंग सेशन के जरिए कैंसर रोगियों तथा उनके परिजनों को विस्तार से इन बातों के बारे में जानकारी दी गई कि मरीज की अवस्था के आधार पर उसके समक्ष क्या-क्या चुनौतियां हैं, जिससे वे अनावश्यक भ्रम, अफवाहों या डर का शिकार ना हो पाए।
चुनौतियों से भरी रही राह
काजल दवे बताती हैं कोरोनावायरस संक्रमण के चलते अधिकांश अस्पतालों की ओपीडी सुविधा पर असर पड़ा, यही नहीं जो चिकित्सक अपने गंभीर रोगों के इलाज या नियमित जांच के लिए अस्पताल आना चाहते थे, उन्हें भी अस्पताल आकर चिकित्सक से सलाह मशवरा करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। जिससे कैंसर जैसे रोग से पीड़ित ऐसे रोगी जिनका पहले से ही इलाज चल रहा था, उनके सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी। इन्ही सब समस्यों से बचाव के लिए कई बड़े अस्पतालों में टेली काउंसलिंग की शुरुआत की गई, जिससे फोन तथा अन्य संचार माध्यमों से मरीज से बात करके तथा उसकी अवस्था के बारे में जानकारी लेकर उसे जरूरी सलाह दी जा सके।
टेली काउंसलिंग की शुरुआत सरल नहीं रही। इस जनहित से जुड़ी योजना के चलते सभी अस्पतालों तथा एनजीओ में टेली कॉलिंग सेंटर की शुरुआत करने में समय लगा। इस योजना की शुरुआत के बाद लोगों को इस सुविधा के बारे में जानकारी देने के लिए अखबारों में विज्ञापन देकर तथा एनजीओ कार्यकर्ताओं द्वारा अस्पतालों से डाटा लेकर कैंसर का इलाज करा रहे मरीजों को कॉल करके लोगों तक सूचना पहुंचाने का प्रयास किया गया। टेली काउंसलिंग सेशन में चिकित्सकों, कैंसर काउंसलर तथा एनजीओ कार्यकर्ताओं ने पूरा प्रयास किया कि वह मरीजों की अवस्था के बारे में जानकारी लेकर उन्हें सही प्रदान कर सके।
काजल दवे बताती हैं कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान मरीजों की चिंताएं सिर्फ उनकी इलाज तक ही सीमित नहीं थी। लॉकडाउन के चलते उनकी आर्थिक अवस्था पर पड़ी असर भी कई लोगों के सामने एक बड़ी समस्या थी। इस समस्या को दूर करने के लिए भी टेली काउंसलिंग टीम ने पूरा प्रयास किया और मरीजों तथा उनके परिजनों को अस्पताल की नीतियों तथा सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी मुहैया कराई। इसके अतिरिक्त जो मरीज अवसाद से ग्रसित है, उन्हें उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में भी मदद प्रदान की गई।
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काजल दवे बताते हैं कि महामारी की इस आपदा के दौरान तकनीक ने हर क्षेत्र में लोगों की मदद की। वर्तमान समय में बड़ी संख्या में लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए टेली काउंसलिंग की मदद ले रहे हैं। आने वाले समय में यकीनन हालात बेहतर होंगे, लेकिन जिस तरह से संचार तकनीक कठिन समय में लोगों के लिए मददगार साबित हुई है, उम्मीद है कि आने वाले समय में परिस्थितियों के सामान्य होने के बाद भी लोगों को जन जागरूक करने तथा उनकी मदद करने के लिए इस तकनीकी प्लेटफार्म का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जा सकेगा।