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सिंह क्रिया: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्राचीन योग तकनीक - ETV Bharat Sukhibhava

सिंह आसन प्राणायाम की श्रेणी में आने वाला आसन है जो न सिर्फ हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है बल्कि हमारे श्वसन तंत्र सहित तंत्रिका तंत्र तथा मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने का कार्य भी करता है। योगाचार्य बतातें हैं की 6 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति सिंह क्रिया कर सकता है , यहाँ तक की गर्भवती महिलायें भी कुछ विशेष सावधानियों के साथ यह आसन कर सकती है।

Simha Kriya
Yoga to boost immunity

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Published : Jul 5, 2021, 1:47 PM IST

सिर्फ कोरोना ही नही बल्कि किसी भी प्रकार के संक्रमण का मुकाबला अच्छी इम्युनिटी के साथ किया जा सकता है। हमारे शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में पौष्टिक भोजन और सप्लीमेंट्स के साथ ही योग व व्यायाम भी काफी मदद करते हैं। ऐसा ही एक योग आसन है सिंह क्रिया, जो शरीर में प्रतिरक्षा के निर्माण और फेफड़ों की क्षमता में सुधार के लिए एक बेहतरीन योगिक तरीका माना जाता है। इस क्रिया के बारे में अधिक जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने डॉ. जान्हवी कथरानी, ​​फिजियोथेरेपिस्ट, अल्टरनेटिव मेडिसिन प्रैक्टिशनर और योग टीचर से बात की।

सिम्हा क्रिया

डॉ. जान्हवी बताती हैं की यह प्राचीन योग क्रिया है जिसका उल्लेख घेरंडा संहिता सहित विभिन्न शास्त्रों में मिलता है। प्राचीन योग ग्रंथों में इस आसन को "कुंभक" के रूप में जाना जाता है।

सिंह क्रिया के विभिन्न चरण

  • सिंह आसन करने के लिए सबसे पहले आप अपने पैरों के पंजों को आपस में मिलाकर उस पर बैठ जाएं।
  • दोनों एडि़यों को अंडकोष के नीचे इस प्रकार रखें कि दाईं एड़ी बाईं ओर तथा बाईं एड़ी दाईं ओर हो और ऊपर की ओर मोड़ लें।
  • पिंडली की हड्डी का आगे के भाग जमीन पर टिकाएं।
  • हाथों को भी जमीन पर रखें।
  • मुंह खुला रखे औरऔर जितना सम्भव हो सके जीभ को बाहर निकालिये।
  • आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिये।
  • नाक से श्वास लीजिये।
  • सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिये।

सांस लेने की प्रक्रिया

डॉ जहान्वी बताती है की इस आसन में सिंह मुद्रा में आराम से बैठ कर व्यक्ति को पूरी तरह से साँस छोड़नी चाहिए और जितना हो सके गहरी साँस लेनी चाहिए। चेहरे पर शेर जैसी अभिव्यक्ति हो और आंखें खुली हुई होनी चाहिये । व्यक्ति का जबड़ा जितना संभव हो उतना चौड़ा खोलना चाहिए और जीभ को बाहर निकालना चाहिए। यह आसन प्राणायाम श्रेणी के सबसे लाभकारी आसनों में से एक माना जाता है। इस आसन के नियमित अभ्यास के दौरान एक अवधि के उपरांत लोग श्वास लेने और छोड़ने के बीच श्वास को रोकने को अवधि को बढ़ा सकते हैं और श्वास को छोड़ते समय भी उसे अपेक्षाकृत ज्यादा तीव्र गति से तथा तीव्र आवाज में छोड़ सकते हैं। आमतौर पर इस शुरुआत में आसन के अभ्यास के दौरान व्यक्ति को कम से कम एक-एक मिनट के विराम के साथ तीन बार इस मुद्रा में सांस लेने की प्रक्रिया दोहराने की सलाह दी जाती है। इस आसन को सुबह और शाम तीन-तीन बार दोहराया जा सकता है।

सिंह क्रिया के लाभ

  • शरीर में इम्युनिटी बूस्टर की तरह काम करता है।
  • फेफड़ों का विस्तार करता है और फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि करता है।
  • आसन के दौरान शेर की दहाड़ जैसी आवाज निकलने पर जीभ की मांसपेशियों में खिंचाव आता है साथ ही जोर से सांस छोड़ने के कारण गले और छाती की रूकावट दूर होती है।
  • आसन के दौरान सही तरीके से सांस लेने वाले का भी अभ्यास करने पर यह ऑक्सीडेटिव तनाव और कार्बन डाइऑक्साइड को प्रभावी ढंग से दूर कर सकता है
  • यह क्रिया प्राणिक यानी शरीर में नाड़ियों में प्राण ऊर्जा, प्रवाह में सुधार करती है जो कई शारीरिक और मानसिक मुद्दों को ठीक कर सकती है।
  • इस आसन का नियमित अभ्यास मानसिक शक्ति को बढ़ाता है और गले के चक्र को साफ करता है।
  • हृदय को स्वास्थ्य रखता है।
  • श्वसन तंत्र की मांसपेशियों और चेहरे की मांसपेशियों को आराम देता है।

सावधानियाँ

डॉ जहान्वी बताती हैं की आमतौर पर कोई भी योग या आसन खाली पेट या भोजन करने के कम से कम दो घंटे के उपरांत ही करना चाहिए। वे बताती है की योग के किसी भी आसन का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग शिक्षक के निर्देशन में या उनसे सीखने के बाद ही करना चाहिए।

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अपने प्रश्नों के लिए, डॉ जान्हवी कथरानी से jk.swasthya108@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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