टोक्यो : देश-दुनिया में लोग जाने-अनजाने में जरूरत से ज्यादा नमक सेवन करते हैं. कई लोग खाने के समय काफी मात्रा में अतिरिक्त नमक का सेवन करते हैं. निर्धारित मात्रा से अत्याधिक नमक सेवन करते हैं. इस कारण धीरे-धीरे हाई बीपी के अलावा कई गंभीर मेडिकल समस्या से ग्रसित हो जाते हैं. इसी प्रकार की एक समस्या है डिमेंशिया (Dementia) है. इस कारण मस्तिष्क (दिमाग) के तंत्रिका कोशिकाओं को काफी नुकसान होता है. डिमेंशिया के शिकार लोगों में सोचने, याद रखने और तर्क करने की क्षमता प्रभावित हो जाता है. जापान में यह समस्या काफी आम है. डिमेंशिया के कारण कई बार पीड़ित पागलपन तक के शिकार हो सकते हैं.
मेडिकल साइंस में डिमेंशिया को बीमारी नहीं माना गया है. फिलहाल, इससे दिमाग पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए संतोषजनक उपचार नहीं है. या कहें डिमेंशिया को ठीक करने के लिए कोई दवा-चिकित्सा उपलब्ध नहीं है.दुनिया की बढ़ती आबादी के साथ, डिमेंशिया रोकथाम और उपचार दवाओं की खोज महत्वपूर्ण है.
WHO की अपील: प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का करें सेवन
चिकित्सा विज्ञान के जानकारों का मानना है कि डिमेंशिया की समस्या के पीछे मुख्य कारण अतिरिक्त टेबल नमक की खपत से जोड़ा गया है, जो एक सर्वव्यापी भोजन अव्यव है. उच्च नमक (एचएस) का सेवन भी उच्च रक्तचाप का कारण बन सकता है. प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणामों को रोकने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रति दिन 5 ग्राम से कम नमक का सेवन सीमित करने की सिफारिश करता है.
Angiotensin II (Ang II) की भागीदारी - एक हार्मोन है, जो रक्तचाप और द्रव संतुलन को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. और इसके रिसेप्टर 'एटी1', साथ ही शारीरिक रूप से महत्वपूर्ण लिपिड अणु प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 (पीजीई2) और इसके उच्च रक्तचाप और न्यूरोटॉक्सिसिटी में रिसेप्टर 'ईपी1' अच्छी तरह से पहचाना जाता है. हालांकि, उच्च नमक (एचएस) मध्यस्थ उच्च रक्तचाप और भावनात्मक/संज्ञानात्मक हानि में इन प्रणालियों की भागीदारी मायावी बनी हुई है.