कई बार अचानक से किसी का नाम , कोई बात या कोई सामान किसी स्थान पर रख कर भूल जाना सामान्य बात है. जो कभी-कभी व्यस्तता, तनाव, मानसिक दबाव या किसी अन्य कारण से हो सकती है. लेकिन यदि भूलने का आदत स्थाई होने लगे तो यह किसी के लिए भी परेशानी का सबब बन सकती है. गंभीर मस्तिष्क संबंधी बीमारी के अलावा भी स्मृति हानि यानी भूलने की बीमारी के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है, जैसे आयु, मस्तिष्क संबंधी सामान्य समस्याएं, आनुवंशिकता और कुछ मामलों में आहार और जीवनशैली भी.
हालांकि बीमारी, दुर्घटना तथा मस्तिष्क विकार जैसी अवस्था में स्मृतिहानि को रोकना ज्यादा संभव नही है. लेकिन आयु, तनाव तथा अन्य सामान्य अवस्थाओं में भूलने की समस्या पर लगाम लगाने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं.
मुंबई महाराष्ट्र के मनोवैज्ञानिक तथा मनोविज्ञान विषय के व्याख्याता डॉ. अतुल राणे बताते हैं कि याददाश्त को दुरुस्त रखने लिए जितना स्वस्थ आहार जरूरी है. उतना शारीरिक व मानसिक रूप से सक्रिय रहना भी जरूरी है. वह बताते हैं कि जिस तरह से लंबे समय तक किसी मशीन को न चलाने से उसमें जंग लग जाता है उसी तरह से यदि ऐसे कार्यों में भागेदारी ना की जाय जिनमें दिमाग की सक्रियता बनी रहती है, तो याददाश्त पर असर पड़ने लगता है. याददाश्त दुरुस्त रखने के लिए कुछ आदतों को अपने जीवन में शामिल किया जा सकता है.
दिमाग को रखें सक्रिय
स्वस्थ रहने तथा सुचारु ढंग से कार्य करने के लिए मस्तिष्क को नियमित उपयोग की आवश्यकता होती है. ऐसे में मानसिक व्यायाम या खेल जैसे क्रॉस वर्ड पजल, सूडोकू, शतरंज और पहेलियां आदि जिनमें दिमाग का ज्यादा उपयोग हो. याददाश्त को दुरुस्त बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.
कुछ वर्ष पूर्व इसी संबंध में जर्नल पीएलओएस वन (PLOS One) में प्रकाशित एक शोध के नतीजों में भी सामने आया था कि क्रॉस वर्ड पहेली हल करने वाले लोगों की कार्य संबंधी स्मृति, अल्पकालिक स्मृति, और समस्या समाधान कौशल दूसरों से बेहतर होते हैं. इस शोध के दौरान आयोजित तुलनात्मक परीक्षण में सामने आया था कि जो लोग सप्ताह में कम से कम 5 दिन सिर्फ 15 मिनट की मस्तिष्क प्रशिक्षण गतिविधियां करते हैं उनके मस्तिष्क ज्यादा सक्षम होता हैं.
व्यायाम
डॉ. राणे बताते हैं की शारीरिक सक्रियता विशेषकर व्यायाम हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य को भी दुरुस्त रखता है. इसके अलावा तेज चलना, दौड़ना, लंबी पैदल यात्रा, तैराकी तथा नृत्य जैसे व्यायाम भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं.
इसी संबंध में जर्नल ऑफ एक्सरसाइज रिहैबिलिटेशन में प्रकाशित एक शोध के नतीजों में भी इस बात की पुष्टि हुई थी, कि नियमित व्यायाम उम्र के साथ संज्ञानात्मक गिरावट के जोखिम को कम करते हैं और भूलने की बीमारी में भी फायदा पहुंचाते हैं.