डायबिटीज और पालक : मधुमेह से पीड़ित लोगों में किसी भी प्रकार के आंतरिक या बाह्य घावों को भरने में काफी समय लगता है. इस तथ्य के बारे में बहुत से लोग जानते हैं. वहीं मधुमेह से पीड़ित लोगों में क्रोनिक डाइबटिक अल्सर को भी एक गंभीर समस्या माना जाता है. जिसे ठीक होने में कई बार कई महीने या कई साल भी लग जाते हैं. लेकिन हाल ही में चूहों पर हुए एक शोध के नतीजों में सामने आया है कि पालक के अर्क का नियमित सेवन इस तरह की समस्याओं में विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है. साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस शोध के नतीजों में सामने आया है कि Spinach extract या Spinacia oleracea ( एस.ओलेरासिया ) का नियमित सेवन ना सिर्फ क्रोनिक डाइबटिक अल्सर या मधुमेह में अन्य कारणों से होने वाले घावों के भरने की गति को बढ़ा सकता है और उनके उपचार में मदद कर सकता है, बल्कि यह वजन घटाने में भी मददगार होता है.
कैसे हुआ अध्ययन :मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार इस शोध के दौरान हुए परीक्षण में 72 वयस्क चूहों को शामिल किया गया, जिन्हें छह समूहों में विभाजित किया गया. इस परीक्षण में शोधकर्ताओं ने दो प्रकार के Spinach extract की प्रभावकारिता की जांच की थी. जिनमें से एक जल-आधारित (एक्वाटिक) था, और दूसरा अल्कोहल-आधारित था. इन छः समूहों में दो चरणों में परीक्षण किया गया था. पहले चरण में समूह ‘ए’ में मधुमेह से पीड़ित चूहों तथा समूह ‘बी’ में बिना मधुमेह वाले चूहों को एक महीने तक ट्यूब से 300 मिलीग्राम सलाइन सोल्यूशन खिलाया गया था. इसके बाद ग्रुप ‘सी’ में मधुमेह से पीड़ित चूहों को एक महीने तक ट्यूब से 300 मिलीग्राम एक्वाटिक स्पिनेशिया ओलेरासिया ( जलीय अर्क) खिलाया गया, वहीं ग्रुप ‘डी’ में बिना मधुमेह वाले चूहों को एक महीने तक ट्यूब से 300 मिलीग्राम अल्कोहलिक Spinacia oleracea का अर्क खिलाया गया.
परीक्षण के अगले चरण में समूह ‘ई’ में उन बिना मधुमेह वाले चूहों को, जिन्हें एक महीने तक ट्यूब से एक्वाटिक स्पिनेशिया ओलेरासिया खिलाया गया, शोधकर्ताओं द्वारा मधुमेह के संपर्क में लाया गया. और इसके बाद उन्हे फिर से एक महीने तक 300 मिलीग्राम एक्वाटिक Spinacia oleracea का अर्क खिलाया गया. वहीं इस चरण में दूसरे ग्रुप ‘एफ’ में उन बिना मधुमेह वाले चूहों को जिन्हें एक महीने तक 300 मिलीग्राम अल्कोहलिक स्पिनेसिया ओलेरासिया का अर्क खिलाया गया था, शोधकर्ताओं द्वारा मधुमेह के संपर्क में लाया गया. और फिर से एक महीने तक उन्हे 300 मिलीग्राम अल्कोहलिक स्पिनेशिया ओलेरासिया का अर्क ट्यूब से खिलाया गया.
इस परीक्षण के बाद समूह ई और एफ के उन चूहों में सबसे मजबूत तथा तेज़ घाव रिकवरी देखी गई, जिन्होंने मधुमेह होने से पहले से और बाद में 2 महीने तक स्पिनेशिया ओलेरासिया का अर्क खाया था. हालांकि इन दोनों ही समूहों के चूहों के घाव ठीक हो गए थे लेकिन अल्कोहलिक अर्क लेने वाले चूहों में घाव भरने की गति अपेक्षाकृत थोड़ी ज्यादा थी. घाव भरने की प्रक्रिया का आकलन शोधकर्ताओं द्वारा स्टेराइल बायोप्सी पंच द्वारा किया गया था. इस जांच में सेल्फ हीलिंग, वीईजीएफ, रक्त शर्करा का स्तर और वजन कम होने जैसे कारकों को भी शामिल किया गया था.