आई.सी.एस.आई यानी इंट्रा साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन एक ऐसी उन्नत तकनीक है जो उन दम्पत्तियों के लिए वरदान सरीखी हैं जिनमें पुरुष में शुक्राणुओं की कम संख्या के कारण महिला को गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
क्या पुरुषों में बाँझपन की समस्या की दूर कर सकता है स्पर्म इंजेक्शन ?
पुरुषों में इंट्रा साइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आई.सी.एस.आई) काफी हद तक बांझपन को दूर करने में सफल रहता है। प्रजनन विशेषज्ञ डॉ.एस. वैजयंती बताती हैं की आई.सी.एस. आईवीएफ की वह तकनीक है, जिसका का प्रयोग उस स्थिति में किया जाता है जब अंडों की संख्या कम होती है या फिर शुक्राणु, अंडाणु से क्रिया करने लायक बेहतर अवस्था में नहीं होते।
कब होती है आई.सी.एस.आई की जरूरत
डॉ.एस. वैजयंथी बताती हैं की पुरुषों में ओलिगोस्पर्मिया बहुत आम समस्या मानी जाती है जिसमें उनके शुक्राणुओं की संख्या काफी कम होती है। लगभग एक तिहाई जोड़े शुक्राणु से संबंधित या उसकी कमी के कारण गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। ऐसे में चिकित्सक पुरुषों को आई.सी.एस.आई अपनाने की सलाह देते हैं।
चिकित्सक निम्नलिखित पारिसतिथ्यों में आई.सी.एस.आई के लिए निर्देशित करते हैं।
- ओलिगोस्पर्मिया-काफी कम शुक्राणु संख्या
- कम शुक्राणु गतिशीलता
- शुक्राणु का असामान्य आकार
- शुक्राणु रहित पुरुषों में एपिडीडिमिस (पीईएसए) या टेस्टिकल्स (टीईएसए) की अवस्था या एज़ोस्पर्मिया में
- निषेचन में समस्या के लिए अस्पष्टीकृत कारण होना
आई.सी.एस.आई की प्रक्रिया
डॉ.एस. वैजयंथी बताती हैं की इस ट्रीटमेंट के चक्र में 4 से 6 सप्ताह लगता हैं। इसमें माइक्रोमैनिपुलेटर नामक उपकरण का उपयोग करते हुए, एक उच्च आवर्धन माइक्रोस्कोप की मदद से भ्रूणविज्ञानी सबसे व्यवहार्य शुक्राणु का चयन करते है । वहीं इस दौरान महिलाओं के अंडकोष में अधिक अंडे उत्पन्न करने के लिए उन्हे भी विशेष दवा दी जाती है। एक बार जब अंडे तैयार हो जाते हैं, तब उन्हें निकल कर पुरुष के शुक्राणु को उसमे इंजेक्ट किया जाता है जिससे निषेचन की संभावनाए अधिक रहती हैं।
सामान्य तौर इस प्रक्रिया में शुक्राणु को आमतौर पर माइक्रोस्कोप के तहत 400 गुना तक बढ़ाया जाता है ताकि वैज्ञानिक अंडे को इंजेक्ट करने के लिए सबसे अच्छा शुक्राणु चुन सकें।