बैठ कर खाना हमारे देश की पुरातन परंपरा रही हैं. हमारे बड़े बुजुर्ग भी हमेशा इसी बात पर जोर देते है की भोजन हमेशा बैठ कर और शांत मन से किया जाना चाहिए, तभी शरीर को उसका पोषण पूरी तरह से मिलता है. यही मानना चिकित्सकों का भी है. पोषण में पीएचडी प्राप्त तथा एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर में आहार एवं पोषण विशेषज्ञ डॉ. संगीता मालू के अनुसार हमारे खाने पीने की आदतें जैसे हम क्या खाते है, कैसे खाते हैं और किस मनःस्थिति के साथ खाते हैं, ये सभी बातें ना सिर्फ हमारी पाचन प्रक्रिया बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर बहुत ज्यादा असर डालती है.
खड़े होकर खाने से अवरोधित होती है पाचन प्रक्रिया
डॉ. संगीता बताती हैं की हम खड़े होने से ज्यादा बैठने में आराम महसूस करते हैं. जिससे हमारा शरीर और मन दोनों ही शांत महसूस करता हैं. वहीं बैठ कर भोजन ग्रहण करने से वह पाचन की सभी प्रक्रियाओं से गुजरता है, जिससे ना सिर्फ भोजन अच्छे से पचता है. साथ ही पाचन तंत्र पर जोर भी नहीं पड़ता है. वहीं यदि हम खड़े होकर भोजन करते हैं, तो धरती के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के चलते भोजन तीव्र गति से शरीर में पाचन अंगों से गुजरता है. इस अवस्था में कई बार भोजन या तो सही तरीके से पचता नहीं है या फिर हमारे पाचन तंत्र का काम बढ़ा देता है. दोनों ही अवस्था में ना तो शरीर को भोजन का पूरा पोषण मिल पाता है और साथ ही पाचन तंत्र पर ही काफी नकारात्मक असर पड़ता है. जिसके परिणाम स्वरूप कई प्रकार के रोग भी शरीर में उत्पन्न हो सकते है.
खाते समय क्या हो बैठने का सही तरीका
डॉ. संगीता कहती हैं की अधिकांश लोग डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खाने को तवज्जो देते है, जो खड़े होकर खाने से बेहतर है. लेकिन भोजन सही समयावधि में पचे और शरीर को उसका सही और पूरा पोषण मिले इसके लिए बेहतर है की सुख आसन या पद्मासन यानि जमीन पर आलती पालती मार कर बैठ कर भोजन किया जाए. इस अवस्था में जमीन का गुरुत्वाकर्षण बल हमारी पाचन प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर पाता है.