हर महिला करवा चौथ के दिन खूबसूरत नजर आना चाहती है. इसके लिए वह पहले से ही तैयारियां शुरू कर देती है. ज्यादातर सुर्ख रंग के जोड़े के साथ पांव में पायल, बिछुवा, हाथ में चूड़ियां, गले में हार सहित सब श्रृंगार से सजे होने के बावजूद सुहागन महिला का श्रृंगार मेहंदी के बिना पूरा नहीं होता है.
करवा चौथ और मेहंदी
करवा चौथ पर मेहंदी लगाने की परंपरा आज की नहीं, बल्कि प्राचीन समय से ही चली आ रही है. मेहंदी और सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है. विशेष तौर पर करवा चौथ के पर्व पर सुहागन महिलाओं के लिए मेहंदी और सिंदूर का उपयोग जरूरी होता है.
मेहंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द मेन्धिका से मानी गई है. और इसे महिलाओं के सोलह श्रृंगार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. कहा तो यहां तक जाता है कि जिस स्त्री के हाथ की मेहंदी जितनी ज्यादा गहरी है, उसका पति उसे उतना ही ज्यादा प्रेम करता है.
मेहंदी लगाने वालों की बढ़ जाती है मांग
करवा चौथ की तैयारियों के लिए जहां एक ओर बाजार चूड़ियों, कपड़ों तथा नाना प्रकार के आभूषणों से सज जाता हैं, वहीं बाजार में हर आधे किलोमीटर की दूरी पर मेहंदी लगाने वाले बैठे हुए नजर आ जाते हैं. यहां तक कि कई बार महिलाएं बड़े-छोटे सलून में दिनों पहले अपना अपॉइंटमेंट बुक करा देती है, ताकि वह तमाम सौंदर्य संबंधी उपचारों के साथ हाथों तथा पैरों में मेहंदी लगवा सकें. इसके अलावा कहीं महिलाएं समूह बनाकर मेहंदी लगाने वाली स्त्रियों को अपने घर बुलाती हैं.
मेहंदी का फैशन
कोई भी तीज हो या त्योहार, भारतीय महिलाओं के हाथ में मेहंदी नजर आ ही जाती है. अब चूंकि मामला त्योहार का है और विशेष तौर पर जब बात करवा चौथ की होती है, तो महिलाओं में होड़ होती है कि किसकी मेहंदी दूसरे से ज्यादा सुंदर होगी, इसी के चलते वह काफी समय पहले से ही यह निर्धारित कर लेते हैं कि उन्हें हाथ में किस तरह की मेहंदी लगवानी है. मेहंदी के बहुत से डिजाइन तथा प्रकार प्रचलित है. इनमें विशेष तौर पर प्रचलित मेहंदी की स्टाइल निम्नलिखित हैं.
⦁ भारतीय मेहंदी डिजाइन
⦁ मारवाड़ी मेहंदी डिजाइन