दिल्ली

delhi

ETV Bharat / sukhibhava

युवाओं में कैंसर के मामले बढ़ा रही है आसीन जीवनशैली - खाने पीने की आदतें

कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही दिल में डर तथा माथे पर चिंता की लकीरें आ जाती है. लेकिन वर्तमान समय में कैंसर एक अन्य कारण से भी लोगों को डरा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में युवाओं में कैंसर होने की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई है.

Sedentary lifestyle impacts youth health
आसीन जीवनशैली का युवाओं के स्वास्थ्य पर असर

By

Published : Feb 12, 2021, 7:41 PM IST

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में युवाओं में कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है. चिकित्सक तथा जानकार इस परिस्थिति के लिए लोगों की बेतरतीब जीवनशैली, मोटापे की समस्या और युवाओं में बढ़ती धूम्रपान या नशीले पदार्थों की आदतों को जिम्मेदार मानते है, लेकिन इसके अलावा और भी बहुत से कारण है, जो युवाओं में बढ़ती कैंसर की घटनाओं के लिए जिम्मेदार हो सकते है. युवाओं में बढ़ती कैंसर की घटनाओं के कारणों के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए वरिष्ठ कैंसर सर्जन, विशेषज्ञ तथा इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. दिग्पाल धारकर, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने तथा कैंसर के अन्य संभावित कारणों को पहचानने और उनकी चिकित्सा के लिए शोध तथा अन्य प्रयास किए जाने पर जोर देते है.

कम आयु के लोगों में बढ़ रहे है कैंसर के मामले

ETV भारत सुखीभवा को जानकारी देते हुए डॉ. धारकर बताते है की कम उम्र के लोगों में बढ़ती कैंसर की घटनाओं के बहुत से कारण है, जिनमें से आसीन जीवनशैली, मोटापा तथा जेनेटिक कारणों से लगभग सभी लोग परिचित है, लेकिन कुछ कारण ऐसे भी है जिनके बारे में अभी भी ज्यादा जानकारी तथा सूचना नहीं है. इन कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए बहुत जरूरी है की ऐसे सर्वे या शोध करवाए जाये जिनमें यह आंकड़े प्राप्त हो सके की वर्तमान में युवाओं में नशीले पदार्थों की खपत कितनी ज्यादा है, कितनी प्रतिशत युवतियां तथा महिलाएं किसी ना किसी कारण से हार्मोन थेरेपी लेती है, कितनी प्रतिशत महिलायें तथा पुरुष मोटापे का शिकार है. इसके अलावा ऐसे अन्य कारणों के बारे में भी जानकारी बहुत जरूरी है. जिनके कारण कैंसर होने की आशंका बढ़ सकती है, जिसके लिए शोध होना बहुत जरूरी है.

जेनेटिक कारण

डॉ. धारकर बताते है कैंसर के कुल मामलों में से लगभग 10 प्रतिशत आनुवंशिक होते है. एक ही परिवार की अलग-अलग पीढ़ियों में या फिर एक ही परिवार में दो या दो से ज्यादा लोगों में कैंसर का कारण ज्यादातर अनुवांशिकता ही होती है. जिनके परिवार में ऐसी स्थिति हो उन्हें पहले से ही अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत रहना चाहिए. डॉ. धारकर बताते है कैंसर के जेनेटिक कारणों को लेकर पिछले कुछ समय में कई शोध हुए है, जिनके नतीजे बताते है की स्तन, गर्भाशय या अंडाशय तथा बड़ी आंत यानि कोलन कैंसर सहित कैंसर के कुछ प्रकारों का एक कारण आनुवंशिकता हो सकता है.

औसत उम्र का बढ़ना

डॉ. धारकर बताते है की कैंसर के मरीजों की तादाद बढ़ने की एक वजह व्यक्ति की औसत उम्र का बढ़ना भी है. वर्तमान समय में एक आम आदमी की औसत उम्र लगभग 65-70 वर्ष हो गई है. यानि आजकल लोग पहले से ज्यादा जीते हैं, लेकिन ज्यादा उम्र का मतलब यह नहीं है की जीवन जीने की गुणवत्ता अच्छी है, बल्कि वे ज्यादा इसलिए जीते है, क्योंकि चिकित्सा के क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है और गंभीर रोगों के इलाज भी संभव है.

लेकिन चाहे प्रदूषण हो, जीवनशैली हो या खराब स्वास्थ्य, आम लोगों में कैंसर जैसे गंभीर रोग होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है. यह कहना गलत नहीं होगा की भले ही लोगों की उम्र बढ़ी हो, लेकिन उनमें बीमारियों का खतरा पहले के मुकाबले काफी ज्यादा बढ़ गया है.

जीवनशैली है सबसे बड़ा कारण

वर्तमान समय में ना सिर्फ युवाओं बल्कि हर उम्र के महिला तथा पुरुषों में कैंसर की बढ़ती घटनाओं के लिए वर्तमान आसीन जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेदार है. अंतर्राष्ट्रीय यूनियन अगैनस्ट कैंसर (यूआईआईसीसी) के अनुसार 1/3 यानि तीन में से एक व्यक्ति में कैंसर का कारण उसकी जीवन शैली होती है. आज के दौर में ज्यादातर लोग ऐसी ही जीवनशैली जीने के आदी हो चुके है, जिसमें अनुशासन की कमी है, सोने-जागने के समय को लेकर नियम नहीं है, भोजन संबंधी स्वस्थ आदतों का पालन नहीं किया जाता है, और ज्यादातर लोग व्यायाम से कोसों दूर रहते है.

इनके अलावा सबसे चिंतनीय बात यह है कि आजकल युवाओं में कम उम्र में धूम्रपान तथा नशीले पदार्थों का सेवन एक फैशन जैसा हो गया है. धूम्रपान हो या शराब का सेवन, दोनों ही किसी भी प्रकार के कैंसर के शरीर में फैलने का एक कारण हो सकते है. साथ ही शरीर में होने वाली किसी भी समस्या को ट्रिगर कर उसे गंभीर बना सकते है.

खाने पीने की आदतें

जीवन शैली के अलावा हमारा भोजन तथा हमारे खाने पीने की आदते भी कैंसर का कारण बन सकती है. कैंसर का संबध सीधा भोजन से जुड़ा हुआ होता है. हम क्या खाते है और उसे कैसे पकाते है, ये कारक भी कैंसर के खतरे को बढ़ाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते है. उदाहरण के तौर पर बीफ तथा पोर्क या जंगली सूअर का मांस जैसे मांसाहार को अवन में ज्यादा आंच पर पकाने या फिर अवन में बार-बार गरम करने पर कैंसर की संभावनाए बढ़ जाती है.

डॉ. धारकर बताते है की आजकल ना सिर्फ बच्चों, बल्कि युवाओं के भोजन में भी चीज जैसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, शर्करा तथा फैट से भरपूर पेय तथा खाद्य पदार्थों की मात्रा बहुत ज्यादा, बढ़ गई है. ये सभी चीजे कोमोरबिटी का खतरा बढ़ाती है. और यदि किसी भी प्रकार की कोमोरबिटी से पीड़ित व्यक्ति को कैंसर रोग हो जाए, तो उसके उपचार में समस्याएं आ सकती है.

इसके अलावा नियमित खानपान की आदतों में पौष्टिक भोजन की कमी भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम करती है, जिससे कैंसर तथा कई अन्य गंभीर रोग होने का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.

डॉ. धारकर बताते है युवाओं में बढ़ते कैंसर की प्रवत्ति पर रोक लगाने के लिए बहुत जरूरी है की किसी भी प्रकार से स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली आदतों के कारण कैंसर पनपने की आशंका को लेकर सचेत रहा जाये. इसके साथ ही कैंसर के सभी प्रकारों का इलाज हो सके इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर डेमोग्रेफिक स्टडी यानि जनसंख्या, आयु, समुदाय तथा भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर शोध किया जाए, जिससे कैंसर होने के अनजाने कारणों के बारे में भी पता चल सके और उनका इलाज संभव हो सके. डॉ. धारकर कहते हैं की युवाओं में बढ़ रहे कैंसर के सभी कारणों को जानने के लिए उनकी व्यायाम, खानपान तथा जीवनशैली से जुड़ी आदतों को लेकर भी सर्वे किया जाना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details