दुनिया भर में फैले कोविड-19 के कहर के लगभग एक छमाही बीतने के बाद भारत सहित कई देशों ने स्कूलों को खोलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए है. लेकिन इतने महीनों से कोरोना ने जो त्राहि मचाई हुई है, उसके चलते स्कूलों में नियमित पढ़ाई शुरू कराना स्कूल प्रशासन के लिए वाकई कठिन काम साबित होगा. हमारे देश में 21 सितंबर से कक्षा नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं तथा बारहवीं के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों के खुलने की बात सामने आ रही है. ऐसे में क्या उपाय किए जाए, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित ना हो, साथ ही बच्चों तथा स्कूल के अन्य कर्मचारियों को कैसे कोरोना से बचाया जाए.
इस संबंध में यूनिसेफ, यूनेस्को और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), टेक्निकल एड्वाइजरी ग्रुप (टीएजी) तथा कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से दुनिया भर के स्कूलों में कोरोना के दौरान स्कूल खोलने के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी की गई है. जिसमें सभी जरूरी बातों और संदर्भों को विस्तृत रूप से समझाया गया है.
स्कूलों को खोलने से पहले क्षेत्र की संवेदनशीलता जांचे
इस दिशा निर्देश में स्कूलों को उनके क्षेत्रों की संवेदनशीलता के क्रम में, उनके क्षेत्रों में कोरोना पीड़ितों की संख्या के आधार पर तथा क्षेत्र में कोरोना के फैलने की रफ्तार को ध्यान में रख कर खोलने की बात कही गई है. जिसके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करने की भी सलाह दी गई है.
- अति संवेदनशील या रेड जोन या कंटेनमेंट इलाकों में स्कूल ना खोले जाए.
- ऐसे क्षेत्र जहां कोरोना पीड़ितों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, वहां सभी जरूरी मानकों को ध्यान में रख कर स्कूल खोला जाए.
- ऐसे इलाकों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में सभी बच्चों की नियमित उपस्थिति की बजाय बच्चों के समूह बनाकर उन्हें अलग-अलग समय पर स्कूल बुलाने की बात कही गई है. इसके अलावा अलग-अलग बच्चों के समुहों के लिए अलग-अलग वैकल्पिक दिनों में कक्षाएं संचालित की जा सकती है.
- यही व्यवस्था ऐसे क्षेत्रों में आने वाले स्कूलों में भी लागू की जा सकती है, जहां कोरोना के कोई भी मामले नहीं है.
स्कूलों के लिए जारी निर्देश
- बच्चों को समूहों में बांट कर उन्हें अलग-अलग पालियों में या वैकल्पिक दिनों में स्कूल बुलाया जाए यानि एक समूह एक दिन, और दूसरा समूह दूसरे दिन.
- बच्चे हो फिर अध्यापक, सभी में सोशल डिस्टेनसिंग यानि सामाजिक तथा शारीरिक दूरी जरूरी है. कक्षाओं में तथा स्कूल के गलियारों में सभी जगह कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर बैठे या चलें.
- स्कूल में पानी पीने वाले स्थानों पर, शौचालयों में, खेल के मैदान में, खाने के कमरों में तथा लैब जैसी विशेष कक्षाओं में नियमित सैनिटाइजेशन तथा साफ सफाई का ध्यान रखा जाए. तथा थोड़ी-थोड़ी देर में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए हाथ को साबून से धोने या सैनिटाइज करने की व्यवस्था की जाए.
- बगैर मास्क के स्कूल में उपस्थिति निषेध की जाए.
- इन सबके अलावा स्कूल प्रशासन को बच्चों के परिजनों से नियमित संवाद करते रहना चाहिए और उन्हें अपने कार्यों के बारे में लगातार सूचित किया जाते रहना चाहिए. ताकि उनमें विश्वास बन सके की स्कूल पूरी सावधानियां बरत रहा है.