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सुरक्षा मानकों के साथ खोले जाएं स्कूल

स्कूलों के खुलने की बात से ही बच्चे तथा उनके परिजन ये सोच कर चिंतित हैं की कोरोना के इस कठिन दौर में स्कूल प्रशासन कैसे बच्चों की सही देखभाल कर पाएगा. क्या उनका बच्चा स्कूल में सुरक्षित रहेगा? यूनिसेफ, यूनेस्को और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), टेक्निकल एड्वाइजरी ग्रुप (टीएजी) तथा कुछ अन्य संस्थाओं ने संयुक्त रूप से एक एडवाइजरी लोगों के साथ सांझा की है. जिसमें स्कूल को संचालित करते समय प्रशासन किस तरह परिस्थितियों को नियंत्रण में रख सकता है, इसके उपाय बताएं गए है.

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Published : Sep 18, 2020, 12:09 PM IST

WHO guidelines for school opening
स्कूल खोलने के लिए डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देश

दुनिया भर में फैले कोविड-19 के कहर के लगभग एक छमाही बीतने के बाद भारत सहित कई देशों ने स्कूलों को खोलने की दिशा में कदम बढ़ा दिए है. लेकिन इतने महीनों से कोरोना ने जो त्राहि मचाई हुई है, उसके चलते स्कूलों में नियमित पढ़ाई शुरू कराना स्कूल प्रशासन के लिए वाकई कठिन काम साबित होगा. हमारे देश में 21 सितंबर से कक्षा नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं तथा बारहवीं के विद्यार्थियों के लिए स्कूलों के खुलने की बात सामने आ रही है. ऐसे में क्या उपाय किए जाए, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी बाधित ना हो, साथ ही बच्चों तथा स्कूल के अन्य कर्मचारियों को कैसे कोरोना से बचाया जाए.

इस संबंध में यूनिसेफ, यूनेस्को और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), टेक्निकल एड्वाइजरी ग्रुप (टीएजी) तथा कुछ अन्य संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से दुनिया भर के स्कूलों में कोरोना के दौरान स्कूल खोलने के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी की गई है. जिसमें सभी जरूरी बातों और संदर्भों को विस्तृत रूप से समझाया गया है.

स्कूलों को खोलने से पहले क्षेत्र की संवेदनशीलता जांचे

इस दिशा निर्देश में स्कूलों को उनके क्षेत्रों की संवेदनशीलता के क्रम में, उनके क्षेत्रों में कोरोना पीड़ितों की संख्या के आधार पर तथा क्षेत्र में कोरोना के फैलने की रफ्तार को ध्यान में रख कर खोलने की बात कही गई है. जिसके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करने की भी सलाह दी गई है.

  • अति संवेदनशील या रेड जोन या कंटेनमेंट इलाकों में स्कूल ना खोले जाए.
  • ऐसे क्षेत्र जहां कोरोना पीड़ितों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, वहां सभी जरूरी मानकों को ध्यान में रख कर स्कूल खोला जाए.
  • ऐसे इलाकों के अंतर्गत आने वाले स्कूलों में सभी बच्चों की नियमित उपस्थिति की बजाय बच्चों के समूह बनाकर उन्हें अलग-अलग समय पर स्कूल बुलाने की बात कही गई है. इसके अलावा अलग-अलग बच्चों के समुहों के लिए अलग-अलग वैकल्पिक दिनों में कक्षाएं संचालित की जा सकती है.
  • यही व्यवस्था ऐसे क्षेत्रों में आने वाले स्कूलों में भी लागू की जा सकती है, जहां कोरोना के कोई भी मामले नहीं है.

स्कूलों के लिए जारी निर्देश

  1. बच्चों को समूहों में बांट कर उन्हें अलग-अलग पालियों में या वैकल्पिक दिनों में स्कूल बुलाया जाए यानि एक समूह एक दिन, और दूसरा समूह दूसरे दिन.
  2. बच्चे हो फिर अध्यापक, सभी में सोशल डिस्टेनसिंग यानि सामाजिक तथा शारीरिक दूरी जरूरी है. कक्षाओं में तथा स्कूल के गलियारों में सभी जगह कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर बैठे या चलें.
  3. स्कूल में पानी पीने वाले स्थानों पर, शौचालयों में, खेल के मैदान में, खाने के कमरों में तथा लैब जैसी विशेष कक्षाओं में नियमित सैनिटाइजेशन तथा साफ सफाई का ध्यान रखा जाए. तथा थोड़ी-थोड़ी देर में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए हाथ को साबून से धोने या सैनिटाइज करने की व्यवस्था की जाए.
  4. बगैर मास्क के स्कूल में उपस्थिति निषेध की जाए.
  5. इन सबके अलावा स्कूल प्रशासन को बच्चों के परिजनों से नियमित संवाद करते रहना चाहिए और उन्हें अपने कार्यों के बारे में लगातार सूचित किया जाते रहना चाहिए. ताकि उनमें विश्वास बन सके की स्कूल पूरी सावधानियां बरत रहा है.

बच्चों और स्कूलकर्मियों का स्वास्थ्य ब्योरा जरूरी

स्कूलों को खोलने से पहले जरूरी है की सभी बच्चों, उनके परिजनों, अध्यापक तथा स्कूल में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के स्वास्थ का ब्योरा निकलवा लिया जाये, ताकि यदि व्यक्ति विशेष में पहले से संक्रमण का खतरा हो, तो उस स्तिथि में संबंधित मानकों का उपयोग किया जा सके. स्कूल के छात्रों और कर्मचारियों में कितनों के उनकी उम्र तथा अन्य कारणों से संक्रमित होने के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका है. दिशा निर्देश के अनुसार यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिये कि बच्चों के स्कूल आने-जाने के लिए सुरक्षित परिवहन व्यवस्था उपलब्ध है या नहीं, स्कूल में साफ-सफाई और सामाजिक दूरी के लिए पर्याप्त संसाधन हैं या नहीं.

परिजनों और बच्चों के लिए जारी निर्देश

इस निर्देशिका में स्कूल जाने वाले बच्चों तथा उनके परिजनों के लिए भी निर्देश जारी किए गए है. जिसमें स्कूल में विद्यार्थियों के लिए मास्क लगाना जरूरी किया गया है.

कोरोना पर बच्चों का असर

कोरोना के लगातार आने वाले मामलों में ऐसे बहुत ही कम मामले आए हैं, जिनमें बच्चे कोरोना से पीड़ित पाए गाये हो. उनमें से भी 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के पीड़ित होने के मामले ना के बराबर आयें है. लेकिन स्कूलों के खुलने पर स्थिति यही रहे यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है. जब स्कूल शुरू होंगे, उस समय स्थिति क्या होगी, इस बात का कयास लगाना भी मुश्किल है. स्कूल के अंदर कक्षाओं और गलियारों के अलावा जब स्कूल में बच्चे एक साथ आएंगे, तो स्कूल शुरू होने और छुट्टी के समय बच्चों के सभी समूह आपस में मिल जायेंगे. इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग कक्षाओं के समूहों के लिए स्कूल की शुरुआत और छुट्टी का समय अलग-अलग निश्चित किया जाना चाहिए.

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