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Robot assisted surgeries: भारतीय मूल के सर्जन का मानना है देश में स्वास्थ्य सेवा को बदल देगी रोबोट सहायता वाली सर्जरी

भारतीय मूल के सर्जन डॉ भंडारी (surgeon Dr Mahendra Bhandari) ने जोर देकर कहा कि रोबोटिक सर्जरी में चिकित्सा देखभाल तक पहुंच बढ़ाकर और संभावित रूप से लागत कम करके भारत में स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने की क्षमता है.

Robot-assisted surgeries will transform healthcare in country
भारतीय मूल के सर्जन का मानना है देश में स्वास्थ्य सेवा को बदल देगी रोबोट सहायता वाली सर्जरी

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Published : Apr 23, 2023, 10:43 PM IST

नई दिल्ली: रोबोट की मदद से सर्जरी दुनिया भर में अपनी जगह बना रही (Robot assisted surgery in world) है. रोबोटिक सर्जरी में उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल तक पहुंच बढ़ाकर और लागत कम करके भारत में स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने की क्षमता है. यह बात अमेरिका स्थित वट्टीकुटी फाउंडेशन के सीईओ व इस क्षेत्र में अग्रणी डॉ. महेंद्र भंडारी ने शनिवार को कही. रोबोटिक अनुसंधान और शिक्षा, वट्टीकुटी यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट, हेनरी फोर्ड अस्पताल, डेट्रोइट (मिशिगन) के निदेशक पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. भंडारी ने आईएएनएस को बताया कि हालांकि रोबोट सर्जिकल उपकरणों में प्रारंभिक निवेश महंगा हो सकता है, लेकिन मरीज के अस्पताल में रुकने की अवधि कम कर, तेजी से ठीक कर और जटिलताओं में कमी कर स्वास्थ्य देखभाल की कुल लागत कम कर देती है.

रोबोटिक सर्जरी

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोबोटिक सर्जरी की लागत-प्रभावशीलता प्रक्रिया के प्रकार, रोगी के चिकित्सा इतिहास और कुशल रोबोटिक सर्जनों की उपलब्धता सहित कई कारकों पर निर्भर करती है. डॉ. भंडारी ने जोर देकर कहा कि जहां रोबोटिक सर्जरी में चिकित्सा देखभाल तक पहुंच बढ़ाकर और संभावित रूप से लागत कम करके भारत में स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने की क्षमता है, वहीं यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि तकनीक का उचित उपयोग किया जाए और मरीजों को पूरी तरह से प्रशिक्षित सर्जनों से उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल मिले.

उन्होंने आईएएनएस को बताया, वट्टीकुटी फाउंडेशन के मिशनों में से एक अपने फेलोशिप कार्यक्रमों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाले रोबोटिक सर्जनों को प्रशिक्षित करना है. रोबोटिक सर्जरी में, सर्जन सर्जिकल उपकरणों को नियंत्रित करने के लिए एक कंप्यूटर नियंत्रित रोबोटिक प्रणाली का उपयोग करता है, जिसे छोटे चीरों के माध्यम से रोगी के शरीर में डाला जाता है. पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी के कई संभावित लाभ हैं, इसमें रोगी को कम आघात, बढ़ी हुई सटीकता, कम अस्पताल में रहना और संक्रमण का कम जोखिम शामिल है. हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोबोटिक सर्जरी सहित किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया से जुड़े संभावित जोखिम हैं.

इन जोखिमों में संज्ञाहरण, रक्तस्राव, संक्रमण और अन्य सर्जिकल जटिलताओं से संबंधित जटिलताएं शामिल हो सकती हैं. इसके अतिरिक्त, प्रक्रिया के दौरान उपकरण की विफलता या खराब होने का जोखिम हो सकता है. हेनरी फोर्ड अस्पताल डेट्रायट में वट्टीकुटी यूरोलॉजी संस्थान में रोबोटिक सर्जरी का बीड़ा उठाया गया था, जहां डॉ मणि मेनन ने 2001 में दुनिया में बहुत ही सफल रोबोटिक रेडिकल प्रोस्टेटक्टोमी कार्यक्रम शुरू किया था. वट्टीकुटि यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट, वट्टीकुटी फाउंडेशन द्वारा राज और पद्मा वट्टीकुटी द्वारा 20 मिलियन डॉलर के उदार अनुदान के साथ स्थापित किया गया पहला संस्थान है.

राजस्थान विश्वविद्यालय से मेडिकल स्नातक डॉक्टर भंडारी, जिन्होंने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लौर से यूरोलॉजी में अध्ययन किया, ने कहा, वर्तमान दा विंची रोबोट एक मास्टर स्लेव प्रणाली है और रोबोट पूरी तरह से सर्जन के नियंत्रण में है और अपने दम पर कुछ भी नहीं करता है. उन्होंने कहा, रोबोटिक सर्जरी अब यूरोलॉजी, पेट की सर्जरी, कोलोरेक्टल सर्जरी, थोरैसिक सर्जरी, सिर और गर्दन की सर्जरी जैसी कई विशिष्टताओं में उपयोगी पाई गई है. संक्षेप में, पारंपरिक लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के माध्यम से की जाने वाली सभी प्रक्रियाएं रोबोट की सहायता से की जा सकती हैं.

रोबोटिक सर्जिकल उपकरणों की उच्च लागत और सर्जनों और सर्जिकल टीमों के लिए आवश्यक विशेष प्रशिक्षण के कारण रोबोटिक्स सर्जरी की लागत आम तौर पर पारंपरिक सर्जरी विधियों की तुलना में अधिक है. नतीजतन, वर्तमान में रोबोटिक्स सर्जरी भारत में औसत व्यक्ति के लिए सुलभ नहीं हो सकती है. भंडारी ने आईएएनएस को बताया, हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रोबोटिक्स सर्जरी की लागत कई कारकों के आधार पर अलग-अलग हो सकती है, जैसे कि प्रक्रिया का प्रकार, सर्जन का अनुभव और अस्पताल या सर्जिकल सेंटर का स्थान.

क्या रोबोटिक सर्जरी को लेकर कोई लांछन है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कुछ है, तो यह जानकारी की कमी या दुष्प्रचार अभियान हो सकता है. कुल मिलाकर, भारत में रोबोटिक्स सर्जरी को अपनाने में उच्च लागत, सीमित पहुंच, प्रशिक्षण और विशेषज्ञता, मौजूदा प्रणालियों के साथ एकीकरण, नियामक मुद्दों और रोगी जागरूकता और स्वीकृति सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. डॉ भंडारी ने कहा, इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, नीति निमार्ताओं और उद्योग के हितधारकों से एक ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मरीजों को उच्च गुणवत्ता वाली शल्य चिकित्सा देखभाल उपलब्ध हो. डॉ. रूमा सिन्हा, क्लिनिकल लीड फॉर गाइनेकोलॉजिकल रोबोटिक सर्जरी, अपोलो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अनुसार, रोबोटिक सर्जरी कैमरे को जूम इन और जूम आउट करके सर्जिकल क्षेत्र के पूर्ण नियंत्रण में हैं. Robot assisted surgeries will transform healthcare

(आईएएनएस)

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