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बढ़ रही हैं एंग्‍जाइटी तथा पैनिक अटैक से पीड़ितों की संख्या

तनाव तथा चिंता आज की जीवनशैली का आम हिस्सा बन गया है. मनोचिकित्सकों की मानें तो चिंता संबंधी समस्याएं तथा मनोविकार के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है. जिसके लिये कोविड़ के बाद उत्पन्न परिस्थितियों के साथ ही वर्तमान समय में कुछ देशों में युद्ध जैसी स्थितियों के चलते लोगों में बढ़ती चिंता, डर तथा घबराहट को जिम्मेदार माना जा सकता है.

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बढ़ रही हैं एंग्‍जाइटी तथा पैनिक अटैक के पीड़ितों की संख्या

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Published : Mar 7, 2022, 6:56 PM IST

पिछले 2-3 सालों से कोरोना महामारी के डर तथा उसके कारण उत्पन्न आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियों के चलते लोगों में मानसिक समस्याओं से जुड़े मामलों में काफी वृद्धि हुई है. दरअसल लंबी अवधि तक महामारी के कारण घर से ही पढ़ाई, नौकरी तथा अन्य कार्य करने की आदत तथा लॉकडाउन के कारण बदली जीवनशैली ने लोगों की आदतों को काफी ज्यादा बदल दिया. ऐसे में अब जब जीवन वापस से सामान्य होने लगा है तो लोगों को विशेषकर बच्चों को पढ़ाई तथा बड़ों को नौकरी व जीवनशैली से जुड़ी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते बच्चों व बड़ों में एंग्‍जाइटी की समस्या काफी ज्यादा देखने में आ रही है.

वहीं दूसरी तरह वतर्मान में रूस-यूक्रेन युद्ध तथा उसे लेकर दूसरे देशों की प्रतिक्रियाएं भी लोगों में भविष्य को लेकर चिंता तथा घबराहट उत्पन्न कर रहे हैं. दिन रात टीवी पर समाचारों और इंटरनेट व सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दिखाए जा रहे युद्ध के हालात तथा पीड़ितों से जुड़ी जानकारी लोगों में एंग्‍जाइटी तथा पैनिक की स्थिति काफी ज्यादा बढ़ा रही है.

मुंबई के मनोचिकित्सक डॉ रॉबर्ट पॉल बताते हैं कि इनके साथ साथ कई अन्य प्रकार की चिंताएं, ट्रॉमा और समस्याएं भी हैं जो हर उम्र के लोगों में एंग्‍जाइटी और पैनिक का कारण बन रहे हैं. यहाँ तक की लोगों में एंग्‍जाइटी तथा पैनिक अटैक के मामले भी पहले के मुकाबले काफी बढ़ गए हैं.

क्या है एंग्‍जाइटी अटैक तथा पैनिक अटैक

डॉ रॉबर्ट पॉल बताते हैं कि एंग्‍जाइटी अटैक वह स्थिति होती है जब व्यक्ति में तनाव, घबराहट तथा चिंता का स्तर ज्यादा बढ़ जाता है. पैनिक अटैक के लक्षण एंग्जाइटी अटैक की तुलना में ज्यादा घातक होते हैं. पैनिक अटैक होने पर लोगों को ज्यादा दुख, घबराहट का अनुभव होने लगता है. यहां तक कि इस अवस्था में कई बार लोगों को यह लगने लगता है कि उनकी जिंदगी खत्म होने वाली है. इसके अलावा इस अवस्था में उनमें ज्यादा पसीना आना, घबराहट, सिहरन, सांस की तकलीफ, दम घुटना, मतली और पेट में दर्द, चक्कर आना, ठंड लगना, स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी महसूस करना, नियंत्रण खोने का डर यहां तक कि मरने का डर जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं.

ऐसे में क्या करें

डॉ रॉबर्ट पॉल बताते हैं कि वैसे तो एंग्‍जाइटी अटैक तथा पैनिक अटैक दोनों की ही स्थिति में चिकित्सक से परामर्श बहुत जरूरी है लेकिन दोनों में से कोई भी अटैक आने पर तत्काल पीड़ित की मदद करना बहुत जरूरी हो जाता है. इसके लिये कुछ विधियों को अपनाया जा सकता है.

  • कोग्निटिव डाइवर्जन
    जब भी कभी किसी व्यक्ति को एंग्जायटी अटैक या पैनिक अटैक आए तो उसके मानसिक विचलन के लिये प्रयास करना चाहिए. ऐसे में उसे गिनती के साथ सांस लेने तथा माइंडफुल ब्रिदिंग के लिये कहना चाहिए. जैसे सुविधानुसार 5 से 10 तक गिनती करते हुए सांस ले, कुछ क्षण सांस रोके और फिर उतनी ही गिनती पर सांस छोड़े. इसके अलावा उन्हे उलटी गिनती करने के लिये भी कहा जा सकता है या फिर उन्हे उनकी पसंद का कोई गीत या कोई ऐसी बात बोलने के लिये भी प्रेरित किया जा सकता है जो उनका मन भटकाने तथा उसे शांत करने में मदद कर सके.
  • ग्राउंडिंग
    इस विधि में पीड़ित को सबसे पहले किन्हीपाँच ऐसी चीजों को चुनने के लिये कहा जा सकता है जिन्हें वे देख सकते हैं, इसके बाद चार ऐसी चीजें जिन्हें वे छू सकते हैं, फिर तीन ऐसी चीज़ें जिन्हें वे सुन सकते हैं, उसके बाद दो ऐसी चीज़ें जिन्हें वे सूँघ सकते हैं और अंत में एक ऐसी चीज़ जिसे वह चख सकते हों, को चुनने तथा उसके बारें में बताने के लिये कहा जाता है.
  • प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन
    इस क्रिया में शरीर के कुछ मुख्य अंगों की मांसपेशियों जैसे जबड़ा, हाथ तथा कंधे, कूल्हे, जाँघ तथा पिडलियों की मांसपेशियों को कुछ क्षणों के लिये कस ले या उनमें तनाव उत्पन्न करें और कुछ क्षणों बाद उन्हे ढीला छोड़ दें. इससे एक तो ध्यान डर से हटता है साथ ही डर के चलते मांसपेशियों में उत्पन्न तनाव में भी राहत मिलती है.

एंग्जाइटी पीड़ित रखें ध्यान

डॉ रॉबर्ट पॉल बताते हैं कि ऐसे लोग जो एंग्‍जाइटीसे पीड़ित हैं तथा जो एंग्जायटी या पैनिक अटैक को लेकर ज्यादा संवेदनशील है उन्हें अपने तनाव व डर को नियंत्रित करने के लिये तथा किसी भी आपात अवस्था से बचने के लिये कुछ बातों को अपनाना बहुत जरूरी है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  • ऐसे लोग अपनी परेशानी की अनदेखी ना करें तथा उसे स्वीकारें. क्योंकि किसी भी भावना को नज़रअंदाज़ करना या उन्हें दबाकर रखना उन्हें और भी ज्यादा शक्तिशाली बना देता है.
  • ऐसे विचार या भावनाएं जिनसे डर उत्पन्न होता है या बढ़ता है उन्हे एक डायरी में लिखें और फिर उनका आँकलन करें कि वो भावनाएं आपकों डराती क्यों है. जब आप अपनी समस्याएं को पहचानने लगते हैं तो उनसे मुक्ति पाना या उनका पर नियंत्रण रखना आसान हो जाता है.
  • मेडिटेशन तथा माइन्ड्फल ब्रिदिंग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाए.
  • व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं. क्योंकि इससे ना सिर्फ शरीर स्वस्थ रहेगा बल्कि व्यायाम करने से शरीर में एंडोर्फिन नामक हार्मोन रिलीज होता है, जो शांति और खुशी की भावना को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं.
  • कैफीन और निकोटिन युक्त तथा अन्य ऐसे खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं तो उत्तेजना बढ़ाते हैं.
  • एक जगह खाली बैठने से बचे. इससे चिंता तथा नकारात्मक विचार मन को ज्यादा घेरने लगते हैं.
  • स्वस्थ और संतुलित आहार लें.
  • पसंदीदा संगीत सुने. ऐसी समस्याओं में संगीत एक थेरेपी की तरह काम करता है.
  • ज्यादा तनाव होने पर लैवेंडर या अन्य प्रकार की खुशबु तथा एसेंशियल ऑयल की खुशबू सुघनें से भी भावनाओं, मनोदशा डर तथा तंत्रिकाओं को आराम मिलता हैं.
  • दोस्तों तथा परिजनों के साथ बिताया अच्छा समय हर मानसिक परेशानी में काफी राहत दे सकता है.

जांच जरूरी

डॉ रॉबर्ट पॉल बताते हैं कि ऐसे लोग जिनके किसी परिजन या दोस्त को पैनिक या एंग्जायटी अटैक आते हों उन्हे विशेषतौर पर इस बात की जानकारी रखनी चाहिए की ऐसी अवस्था में वे पीड़ित की किस तरह मदद कर सकते हैं. इसके अलावा यदि पीड़ित को कम अंतराल पर अटैक आ रहें हो या फिर उनकी समस्या उनके जीवन को प्रभावित कर रही हो तो उन्हे चिकित्सक को अवश्य दिखाना चाहिए.

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