नई दिल्ली : भारत में हुई एक नई खोज से गठिया यानी आर्थराइटिस की बीमारी का इलाज और इस रोग से जुड़े दर्द को कम किया जा सकता है. एक नई बायोकंपैटिबल थेराप्यूटिक नैनो-मिसेल औषधि वितरण प्रणाली को सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) दवाओं के साथ मिलाकर प्रयोगशाला स्तर पर किए गए परीक्षण में रूमेटोइड गठिया (आर्थराइटिस) को ठीक करने की बेहतर क्षमता देखी गई है. गौरतलब है कि Arthritis बीमारी का स्थायी उपचार आज तक उपलब्ध नहीं है. औषधि वितरण की यह वितरण प्रणाली सरल, लागत प्रभावी एवं सुरक्षित है और इसमें महत्वपूर्ण अनुप्रयोगात्मक क्षमता है. अब तक चूहों पर किए गए इसके परीक्षणों और एसीएस नैनो में प्रकाशित हुए rheumatoid arthritis के रोग की गंभीरता को कम करते हुए भविष्य में कई रोगियों के लिए दीर्घकालिक राहत ला सकते हैं.
Union Ministry of Science and Technology (केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय ) के मुताबिक, यह नई खोज, गठिया के रोग से जुड़े दर्द को कम करने में मदद कर सकती है और हड्डी को लचीलापन प्रदान करने वाली उस उपास्थि (कार्टिलेज) की समग्रता को फिर से ठीक करके करके रोग को दूर कर सकता है.
दर्द से राहत प्रदान करने पर ध्यान
Union Ministry of Science and Technology के मुताबिक, रूमेटोइड गठिया के विकास में सूजन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. परिणामत: इसके उपचार के लिए रणनीतियों में बहुत सीमा तक दर्द से रोगसूचक राहत प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता रहा है. मेथोट्रेक्सेट (एमटीएक्स) को बीमारी के उपचार के लिए सुनहरा मानक माना जाता है, लेकिन इसके गंभीर दुष्प्रभावों के कारण, शोधकर्ता वर्तमान में रोग पर नियंत्रण पाने के लिए वैकल्पिक दवाओं या रणनीतियों की खोज कर रहे हैं.
Department of Science and Technology - DST के एक स्वायत्त संस्थान, Nano Science and Technology - INST Mohali के वैज्ञानिकों ने फूड एंड ड्रग एडमिनिष्ट्रेशन- FDA से अनुमोदित सूजन रोधी (एंटी-इंफ्लेमेटरी) औषधि 9-एमिनोएक्रिडीन (9एए) और सामान्यत कॉफी या वाइन में पाए जाने वाले प्राकृतिक यौगिक कैफिक एसिड (सीए) की क्षमता का पता लगाया है. आम तौर पर कॉफी या वाइन में पाया जाता है और इस यौगिक में संधिशोथ रोधी (एंटी-आर्थराइटिक) संधिशोथ क्षमता होने की जानकारी दी जाती है. इसे एक एम्फीफिलिक अणु नैनो मिसेल्स से संयुग्मित किए जाने पर आरए के उपचार के लिए पानी में डूबे होने पर गोलाकार संरचनाएं बनती हैं.