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नियमित तौर पर मशरूम खाने वाले कम होते हैं अवसाद के शिकार - मशरूम अवसादरोधी गुण पाए जाते हैं

नियमित तौर पर मशरूम खाने वालों में अवसाद की संभावना कम होती है क्योंकि उसमें ऐसे कई तत्व होते हैं जिनमें अवसादरोधी गुण पाए जाते हैं. पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता विभिन्न शोधों का आयोजन कर विस्तार से मशरूम खाने के संभावित स्वास्थ्य लाभों की जांच कर रहे हैं. इसी शोध में यह बात सामने आयी है.

अवसाद की आशंका
अवसाद की आशंका

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Published : Nov 5, 2021, 2:32 PM IST

पेन स्टेट के एक अध्ययन में सामने आया है कि नियमित रूप से मशरूम का सेवन अवसाद की आशंका को कम करने में सक्षम है. गौरतलब है कि मशरूम खाने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उसके प्रभावों यानी कि फायदों को लेकर पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता लंबे समय से शोध कर रहे हैं. इसी श्रंखला में उन्होंने यह तीसरी अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की है.

अवसाद से दूर रख सकता है नियमित मशरूम का सेवन : शोध

हमारा आहार न सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखता है बल्कि मानसिक समस्याओं को भी दूर रखने की क्षमता रखता है. जिसका कारण होता है खाद्य पदार्थों में मिलने वाले वे तत्व जो पोषण देने के साथ कई बार अच्छी सेहत के लिए औषधी सरीखा काम भी करते हैं. इसी श्रेणी में मशरूम भी शामिल हो गया है क्योंकि हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि मशरूम का सेवन डिप्रेशन के खतरे को कम कर देता है.

नियमित मशरूम खाने वालों में अवसाद कम

पेन स्टेट के एक अध्धयन में सामने आया है कि प्रतिदिन या नियमित तौर पर मशरूम खाने वालों में अवसाद का अनुभव करने की संभावना कम होती है क्योंकि उसमें ऐसे कई तत्व होते हैं जिनमें अवसादरोधी गुण पाए जाते हैं. गौरतलब है कि पेन स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ता विभिन्न शोधों का आयोजन कर विस्तार से मशरूम खाने के संभावित स्वास्थ्य लाभों की जांच कर रहे हैं . इसी श्रंखला में उन्होंने मई 2021 में एक अध्ययन प्रकाशित किया था जिसमें मशरूम के सेवन से कैंसर का जोखिम कम होने की बात की गई थी. वहीं उन्होंने अपने एक अन्य अध्धयन में नियमित रूप से आहार में मशरूम खाने से, समय से पहले मृत्यु का जोखिम कम होने की बात कही थी.

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शोधकर्ताओं ने मशरूम पर आधारित अपने इस तीसरे अध्यन में मशरूम में अवसाद रोधी गुण होने की बात कही है. गौरतलब है इस शोध से पहले भी मशरूम के संभावित एंटीडिप्रेसेंट गुणों पर शोध हुए हैं, लेकिन उन शोधों की संख्या काफी कम है. साथ ही जो शोध हुए भी हैं वे ऐसे छोटे नैदानिक ​​​​परीक्षण थे जिनमें 100 से कम प्रतिभागी शामिल थे.

24,699 प्रतिभागियों पर हुआ परीक्षण

वर्तमान में 'जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर' में भी प्रकाशित हो चुके इस अध्ययन के दौरान परीक्षण में 24,699 प्रतिभागियों में भाग लिया. प्रतिभागियों को दो अलग- अलग बार पिछले 24 घंटों के दौरान उनके द्वारा खाए गए सभी खाद्य पदार्थों को लेकर प्रश्नावली भरनी थी. जिनके आधार पर शोधकर्ताओं ने मशरूम खाने वालों को उनकी मशरूम की खपत की सीमा के अनुसार तीन समूहों में विभाजित किया. इनमें से जिस समूह के लोग प्रतिदिन मशरूम की औसत मात्रा यानी 4.9 ग्राम, खाते थे, वह एकमात्र समूह था जिसके सदस्यों में अवसाद की कमी का अनुभव किया गया. शोध में बताया गया है कि सिर्फ औसत मात्रा में मशरूम का सेवन अवसाद को कम करता है.

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शोधकर्ताओं का मानना है की मशरूम के एंटीडिप्रेसेंट गुण कवक में मौजूद विशिष्ट यौगिकों से संबंधित हो सकते हैं, वहीं इस शोध के मुख्य लेखक डॉ. जिब्रिल बा,( पीएचडी, एमपीएच),के अनुसार मशरूम में अमीनो एसिड एर्गोथायोनीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. माना जाता है कि अमीनो एसिड एर्गोथायोनीन का उच्च मात्रा में सेवन ऑक्सीडेटिव तनाव के खतरे को कम कर सकता है, जिससे अवसाद के लक्षणों में भी कमी आती है.

इस अध्ययन में लेखकों द्वारा इस संभावना पर भी विचार किया गया है कि अवसाद के लिए पोटेशियम की कमी को भी जिम्मेदार माना जा सकता है और चूंकि बटन मशरूम में पोटेशिम भरपूर मात्रा में पाया जाता है इसलिए इसका सेवन अवसाद में कमी कर सकता है.

इस शोध में शोधकर्ताओं ने इस बिन्दु पर भी प्रकाश डाला है कि मशरूम की खास प्रजाति लायन्स मेन या हेरिकियम एरीनेसियस, शरीर के नर्व ग्रोथ फैक्टर (तंत्रिका वृद्धि कारक) को प्रभावित कर सकता है जिससे' उदासी' जैसे न्यूरोसाइकिएट्रिक विकारों को रोकने में मदद मिल सकती हैं. हालांकि शोधकर्ताओं ने यह भी माना है की यह अध्धयन कुछ सीमाओं में बांधा हुआ है तथा इस विषय पर ज्यादा शोध की आवश्यकता है.

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