फ्रंटियर्स इन साइकियाट्री में प्रकाशित एक अध्धयन में स्वीडिश शोधकर्ताओं ने बताया है की लंबी अवधि में नियमित व्यायाम जैसी शारीरिक सक्रियता पुरुषों और महिलाओं दोनों में एंग्जायटी यानी चिंता में कमी करती है.
इस शोध के लेखक बताते हैं की पूर्व में किए गए शोधों में ज्यादातर मानसिक स्वास्थ्य, तनाव और अवसाद जैसी समायाओं पर ज्यादा ध्यान केन्द्रीत किया जाता रहा है, लेकिन विशेषतौर पर एन्जायटी को लेकर ज्यादा शोध या समीक्षाएं सामने नहीं आती हैं.वहीं इन विषयों पर जो शोध किए भी गये हैं, उनके विषयों यानी प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, क्योंकि ज्यादातर शोधों में या तो महिला विषयों की संख्या कम होती है या होती ही नहीं है.वहीं ज्यादातर शोध व्यायाम के दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य प्रभावों की खोज नहीं करते हैं.
4,00,000 लोगों के डेटा का विश्लेषण
इस शोध के तहत स्वीडिश शोधकर्ताओं ने 4,00,000 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया, जिनमें शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन शैली का नेतृत्व करने वाले, यानी व्यायाम तथा अन्य स्वास्थ्य परक गतिविधयों को लेकर सक्रिय महिला और पुरुष, दोनों शामिल थे.शोधकर्ताओं ने 1989 और 2010 के बीच स्वीडन में दुनिया की सबसे बड़ी, लंबी दूरी की क्रॉस-कंट्री स्की रेस, वासलोपेट (90 किलोमीटर) में भाग लेने वाले लोगों का अध्ययन किया गया, तथा उनमें व्यायामों के स्थाई लाभ तथा एंग्जायटी के स्तर को जाँचने के लिए 21 साल तक उनके स्वास्थ्य का निरीक्षण किया.स्कीयर में नियंत्रण समूह के व्यक्तियों की तुलना में 21 वर्षों की अनुवर्ती अवधि में चिंता विकार विकसित होने की संभावना लगभग 60% रही.
शोध के नतीजों में सामने आया की स्वीडन में हुई इस अल्ट्रा-लॉन्ग क्रॉस-कंट्री स्की प्रतियोगिता में भाग लेने वाले लोगों ने समय के साथ एक नियंत्रण समूह की तुलना में काफी कम चिंता विकार विकसित किए.
शोध की प्रमुख लेखक मार्टिना स्वेन्सन बताती हैं की शोध का विषय रहे स्कीयर, अपने ख़ाली समय में भी काफी अधिक सक्रिय रहे और अन्य लोगों की तुलना में उनका फिटनेस स्तर भी उच्च श्रेणी का रहा.वे बताती हैं की शोधकर्ताओं ने अध्ययन में मनोभ्रंश या अन्य गंभीर बीमारियों, जैसे हृदय रोग या कैंसर वाले लोगों को शामिल नहीं किया.उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रतिभागियों में से किसी को भी चिंता विकार सहित मानसिक विकार नहीं थे।
गौरतलब है की शोधकर्ताओं ने दौड़ के 5 साल के भीतर चिंता विकसित करने वाले लोगों को बाहर कर दिया था.स्वेन्सन बताती हैं की ऐसा “रिवर्स कोजेशन” (reverse causation) के कारणों से किया गया, क्योंकि यदि व्यक्तियों में पहले से ही चिंता के लक्षण हों तो उनके पूर्वाग्रह उन्हे स्की रेस जैसी शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने से रोक सकते हैं.
वहीं शोध में शोधकर्ताओं ने विशेषतौर पर महिलाओं में स्कीइंग के दौरान गति और चिंता के बीच एक अप्रत्याशित संबंध पाया.स्वेन्सन बताती हैं की स्की रेस (स्कीयर के बीच फिनिशिंग टाइम) में शारीरिक प्रदर्शन ने शारीरिक रूप से सक्रिय पुरुषों और महिलाओं में भविष्य की चिंता के जोखिम को अलग तरह से प्रभावित किया.हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शारीरिक रूप से उच्च प्रदर्शन करने वाली महिलाओं में कम प्रदर्शन करने वाली महिलाओं की तुलना में चिंता विकसित होने का जोखिम लगभग दोगुना था।
"हालांकि इन उच्च प्रदर्शन करने वाली महिलाओं में चिंता होने का कुल जोखिम शारीरिक रूप से निष्क्रिय महिलाओं की तुलना में अभी भी कम था।"
स्वेन्सन बताती हैं की शोध के नतीजों में सामने आया है की चिंता और व्यायाम व्यवहार के लक्षणों के बीच संबंध रैखिक नहीं हो सकता है.चूंकि ऐसा संभव है की "व्यायाम व्यवहार और चिंता के लक्षण आनुवंशिकी, मनोवैज्ञानिक कारकों और व्यक्तित्व लक्षणों से प्रभावित हों, लेकिन इन संबंधों की जांच इस समूह में संभव नहीं थी.वे बताती हैं की अत्यधिक व्यायाम व्यवहार चिंता के विकास को कैसे प्रभावित करता है और पुरुषों और महिलाओं में इनके ट्रिगर क्या हो सकते हैं, इस बारे में अधिक विश्लेषणात्मक अध्ययनों की आवश्यकता है।