पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी पीसीओएस महिलाओं में सेक्स हार्मोन में असंतुलन होने के कारण होने वाली समस्या है , जिसे कई बार पी.सी.ओ.डी यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। पीसीओएस को आमतौर पर बांझपन के कारणों में से एक माना जाता है क्योंकि यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य विशेषकर प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इस समस्या को लेकर लोगों में काफी भ्रम भी व्याप्त हैं ।
गर्भाधान में क्यों समस्या बनता है पीसीओएस
डॉ वैजयंथी बताती हैं की सामान्य मासिक चक्र में हर माह महिलाओं के गर्भाशय में एक अंडा रिलीज होता है, जिससे उसके गर्भधारण करने की संभावना लगभग 20% होती है। लेकिन जो महिलाएं पीसीओएस समस्या से ग्रसित हैं उनका मासिक चक्र सामान्य से कम या ज्यादा हो सकता है उदाहरण के लिए उनमें सामान्य अवस्था में एक चक्र से दूसरे चक्र के बीच की अवधि 35 दिन से लेकर 2 से 3 महीने के बीच में हो सकती है, यदि वह मासिक चक्र को नियमित करने के लिए कोई दवाई ना ले रही हों। जिसके चलते महिलाओं में अंडा रिलीज होने की क्षमता तथा अंडे के विकास की प्रक्रिया पर असर पड़ता है। इन परिस्थितियों में महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोन असंतुलन और मासिक धर्म में अनियमितता के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या आती है।
पीसीओएस पीड़ित महिलाओं के लिए कौन से प्रजनन तकनीक बेहतर
डॉ वैजयंथी बताती हैं की पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में आमतौर पर ओबेसिटी यानी मोटापे जैसी समस्याएं देखने में आती है। जो न सिर्फ प्रजनन में समस्याएं बल्कि और भी कई शारीरिक व मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है। इसके बहुत जरूरी है कि किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले महिलाएं अपने जीवन शैली में बदलाव करें तथा अपने मोटापे को नियंत्रित करने का प्रयास करें।
इस समस्या से ग्रसित महिलाओं के लिए उपयोगी प्रजनन तकनीक
ओवुलेशन इंडक्शन: इस प्रक्रिया में अंडे के रिलीज होने तथा उसके विकास के लिए दवाइयां दी जाती हैं । महिलाओं में अंडे के विकास तथा उनके रिलीज के लिए आमतौर पर महिलाओं को क्लोमीफीन सिट्रेट तथा लेट्रोजोले दवाइयां दी जाती हैं। इन दवाइयों को महिलाओं की माहवारी के दूसरे दिन से लेने की सलाह दी जाती है । यह 5 दिन का कोर्स होता है। इस प्रक्रिया के उपरांत महिला के शरीर में अंडों के विकास तथा उसकी रिलीज का सामान्य स्कैंस की मदद से निरीक्षण किया जाता है जिसमें यह भी ध्यान रखा जाता है कि इन दवाइयों का असर महिलाओं पर हो रहा है और महिलाओं के शरीर में सही गति से अंडों का विकास और रिलीज हो रहा है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में से लगभग 50 से 60% महिलाएं कुछ प्रयासों के उपरांत इसी विधि में गर्भधारण करने में सफल हो जाती हैं।