यदि सुरक्षाएं समय से पूर्व ही कर ली जाएं तो भविष्य में दुर्घटनाओं की संख्या शून्य हो सकती है. साथ ही लोग इसलिए बीमा करवाते हैं, पॉलिसी लेते है, ताकि भविष्य को सुरक्षित कर सके. आज के दौर की नई हवा ऐसी है की हर इंसान भाग रहा है, अपनी बेहतरी और अपनी खुशियों के लिए. जिसके लिए वह जीवनशैली बदल रहा है और नई रीतिया अपना रहा है. वर्तमान समय में बहुत सारे कारणों के चलते पुरुषों में बांझपन, आशुक्राणुता तथा अल्पशुक्राणुता सहित कई समस्याएं सुनने में आने लगी हैं, जो समय पर पता न चलने के कारण गंभीर रूप ले लेती है. ये समस्याएं जो न सिर्फ उनके ग्रहस्थ जीवन बल्कि उनके यौन जीवन को भी प्रभावित करती है.
ऐसे में कितना अच्छा हो अगर विभिन्न जीवनशैली और कई अन्य कारणों जैसे हार्मोनल असंतुलन, कोई भी बीमारी, चोट, यौन अक्षमता, पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं- मधुमेह, अधिक तापमान में काम करना, आनुवांशिक कारणों, एक्स-रे या औद्योगिक कारकों जैसे- रसायन आदि के संपर्क में आने वाले पर्यावरणीय कारकों से पुरुषों में बांझपन काफी बढ़ने लगा है. शुक्राणु की कमी या अल्पशुक्राणुता को तकनीकी रूप से ओलिगोस्पर्मिया के नाम से जाना जाता है, ओलिगोस्पर्मिया पुरुषों में उप-प्रजनन या बांझपन का एक बहुत ही आम कारण है. अल्पशुक्राणुता क्या होती है तथा क्या यह ठीक हो सकता है. इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडोरोलोजिस्ट डॉ. राहुल रेड्डी से बात की हैं.
क्या है अल्पशुक्राणुता
अल्पशुक्राणुता या शुक्राणुओं की कमी का अर्थ है कि यौन संबंधों के दौरान पुरुषों के लिंग से निकलने वाले वीर्य में शुक्राणुओं की कमी का होना. कम शुक्राणुओं की समस्या यानि लो स्पर्म काउंट को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं.
इससे गर्भधारण करने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि यह महिला साथी के अंडे को निषेचन में व्यवहार्य शुक्राणु का मौका कम कर देता है और कुछ मामलों में गर्भावस्था को रोक सकता है. ऐसे कई पुरुष जिनके पास शुक्राणुओं की संख्या कम है, वे पिता बनने में असक्षम है.
सामान्य शुक्राणु की संख्या कितनी होती है
एक पुरुष के वीर्य में सामान्य तौर पर शुक्राणु की संख्या 15 मिलियन शुक्राणु से 200 मिलियन से अधिक शुक्राणु प्रति मिलीलीटर (एमएल) तक होती है.
यदि किसी पुरुष के एक मिलीलीटर सीमेन में 15 मिलियन से कम शुक्राणु की मात्रा हैं, तो उसको कम शुक्राणुओं की समस्या है.
शुक्राणु कम होने के लक्षण
शुक्राणु कम होने के लक्षण में सबसे मुख्य लक्षण है कि पुरुष संतानोपत्ति करने में असमर्थ होता है.
हालांकि, इस समस्या के कोई खास लक्षण या स्पष्ट संकेत दिखाई नहीं देते हैं. कुछ मामलों में हार्मोन में असंतुलनता, फैला हुआ टेस्टिक्युलर नस या शुक्राणु के गुजरने में बाधा उत्पन्न करने वाला एक विकार संभावित रूप से चेतावनी संकेतों का कारण बन सकता है.
शुक्राणु की कमी के लक्षणों में यह भी शामिल हैं
यौन प्रक्रिया की समस्याएं:-
1. कामेच्छा में कमी, स्तंभन दोष या नपुंसकता.
2. वृषण (testes) में दर्द, सूजन या गांठ का होना.
3. शरीर के बालों का कम होना या फिर क्रोमोसोम अथवा हार्मोन की असामान्यता भी शुक्राणु की कमी के लक्षण हो सकते हैं.
शुक्राणु की कमी के क्या कारण होते हैं
अधिकांश पुरुष पूरी तरह से अपनी प्रजनन स्थिति से अनजान होते हैं. जब तक कि महिला साथी गर्भवती ना हो जाएं, तब तक वे अंधेरे में रहते हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में कारण अव्यवस्थित रहता है, क्योंकि शुक्राणु की संख्या में कमी एक अस्थायी परिवर्तन के रूप में हो सकता है.
शुक्राणुओं की कम संख्या कई चिकित्सा मुद्दों, पर्यावरणीय कारकों और जीवनशैली विकल्पों के कारण भी हो सकता है.
शुक्राणु बनने की प्रक्रिया एक जटिल प्रक्रिया है. इसके लिए वृषण के साथ हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथियों को सामान्य रूप से कार्य करने की आवश्यकता होती है. यदि किसी भी अंग में समस्या हुई तो शुक्राणु की पैदावार कम हो सकती है.