हमारे देश में शुरुआत से ही नवजात बच्चों की अभ्यंग या मालिश की परंपरा रही है. पीढ़ी चाहे नई हो या पुरानी, नन्हें बच्चों में मालिश की जरूरत और उसके फायदों को सभी खूब समझते है. घर की बड़ी महिलाओं तथा मां की इस सोच से चिकित्सक भी इत्तेफाक रखते हैं और छोटे बच्चों के सम्पूर्ण विकास के लिए मालिश को जरूरी मानते है. नवजातों में मालिश की जरूरत और उसके सही तरीकों के बारे में ETV भारत सुखीभवा टीम ने एएमडी सरकारी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की प्रवक्ता तथा एमडी आयुर्वेद डॉ. राज्यलक्ष्मी माधवम से बात की.
क्यों जरूरी है मालिश
डॉ. माधवम बताती हैं की बच्चे की नियमित मालिश न सिर्फ उसकी हड्डियों को मजबूत कर शरीर के विकास की रफ्तार बढ़ाती है, बल्कि उसके अंदरूनी तंत्रों जैसे पाचन तंत्र और तंत्रिका तंत्र आदि को भी मजबूत करती है. इसके अलावा मालिश से बच्चे का वजन बढ़ता है, उसके शरीर के रक्त संचार में सुधार होता है, बच्चे की त्वचा और बाल दोनों को पोषण मिलता है तथा उसमें रोग प्रतिरोधक क्षमताओं का भी विकास होता है. मालिश के उपरांत बच्चा अच्छी नींद लेता है, जिससे उसके शरीर का तनाव भी दूर होता है.
बच्चे की मालिश सिर्फ उसे ही नहीं बल्कि उसकी मां को भी फायदा पहुंचाता है. बच्चे के जन्म के बाद से ज्यादातर मांओं की दिनचर्या बिल्कुल बदल जाती है. बच्चे के दिनचर्या के अनुरूप ही उन्हें अपना कार्य करना पड़ता है, जिससे उन्हें शारीरिक थकान के साथ ही मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन जब मां अपने बच्चे की स्वयं मालिश करती है, तो प्रेम से अभिभूत मां और बच्चे दोनों के शरीर में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन बनता है, जिससे ना सिर्फ मां को तनाव से मुक्ति मिलती है, बल्कि शारीरिक थकावट से भी आराम मिलता है. वही मां के हाथों से ममत्व भारी मालिश से दोनों के बीच भावनात्मक संबंध भी मजबूत होता है.
कैसे करें शिशु की मालिश
नवजात बच्चे का शरीर बहुत ही कोमल होता है. इसलिए जब भी उसकी मालिश की जाये बहुत ही सौम्य हाथों से की जाये. डॉ. माधवम बताती हैं की बच्चे की प्रतिदिन की दिनचर्या एक जैसे ही होती है यानि उनके सोने, जागने और भूख लगने समय प्रतिदिन एक ही होता है. यदि उनकी दिनचर्या को बदलने की कोशिश की जाये तो वह बोल कर अपनी बात जाहिर तो नहीं कर सकता है, लेकिन रो कर अपना गुस्सा या परेशानी जताता है. इसलिए जरूरी है की बच्चों के हर काम का समय निश्चित हो.
मालिश के लिए भी एक समय निश्चित होगा, तभी वह उसका आनंद ले पाएगा. सबसे पहले मालिश की शुरुआत बच्चे के सर से करनी चाहिए. फिर उसके पैरों की मालिश करें, उसके बाद हाथों और फिर दोबारा उसके पैरों की मालिश करें. इसके उपरांत उसके पेट और छाती की मालिश करें. और सबसे आखिर में पीठ की. ध्यान देने योग्य बात यह है की जिस समय बच्चे के हाथ और पांव की मालिश की जाए उनकी उंगलियों की मालिश करें.