मोटापा यानि ओबेसिटी वर्तमान समय में अवस्था तथा असंक्रामक रोग दोनों का ही उदारहण बन गया है। ओबेसिटी को लेकर सबसे चिंतनीय बात यह है की फिलहाल यह एक ऐसे कारक के रूप में प्रसिद्धि पा रही है, जो लगभग सभी गंभीर रोगों की गंभीरता को ज्यादा बढ़ा देता है। 4 मार्च को मनाए गए 'विश्व ओबेसिटी दिवस' के अवसर पर जारी, 'द 2021 एटलस रिपोर्ट' में साफ तौर से बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के चलते हुई जनहानी तथा गंभीर हुए मामलों में संक्रमण की गंभीरता को बढ़ाने वाले कारणों में ओबेसिटी मुख्य कारणों में से एक था। आंकड़ों की माने तो वर्ष 2020 के अंत तक कोविड-19 के दौरान जिन देशों में ज्यादातर लोग मोटापे या ओबेसिटी के शिकार थे, उन देशों में कोविड-19 के कारण होने वाली मृत्यु का आंकड़ा भी ज्यादा था।
क्या कहते हैं आंकड़े
वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन द्वारा जारी 'द 2021 एटलस रिपोर्ट' के अनुसार फरवरी 2021 के अंत तक कोविड-19 के कारण दुनियाभर में होने वाली जनहानी का आंकड़ा लगभग 2. 5 मिलियन रहा। जिनमें से लगभग 2.2 मिलियन मामले ऐसे देशों से सामने आए जहां पर आधी से ज्यादा जनसंख्या का वजन जरूरत से ज्यादा था। वहीं यूनाइटेड किंगडम के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 के कुल मामलों में से लगभग 36 प्रतिशत मामले, जिनमें मरीज अस्पताल में भर्ती हुए, उनमें से ज्यादातर ऐसे लोग थे, जिनकी शारीरिक गतिविधियां कम थी या जो मोटापे से पीड़ित थे। आंकड़ों की माने तो यूनाइटेड स्टेट्स में 1 मार्च से 14 मई 2020 के बीच आने वाले कोरोना के पॉजिटिव मामलों की गंभीरता को बढ़ाने वाले कारणों में से 10.5 प्रतिशत का कारण मोटापा रहा।
शोध में शामिल इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड की रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के चलते वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं तथा अन्य मदों में लगभग 10 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 22 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
शोध में एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि मोटापे जैसी खतरा बढ़ाने वाली अवस्थाओं के चलते आने वाले समय के लिए कोविड-19 के चलते होने वाले खर्चे में 6 से 7 ट्रिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत में आदर्श नहीं है लोगों का बीएमआई
अलग-अलग देशों की देश काल परिस्थितियों, लोगों की अनुमानित आयु, चिकित्सा विकास तथा अन्य कई कारको को आधार बना कर किए गए इस शोध में भारतीय आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट ने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरे खींच दी है।