ज़्यादातर भारतीय घरों में बच्चे के जन्म के उपरांत माता को इस तरह की खुराक दी जाती है जिससे ना सिर्फ उनके शरीर का पोषण हो बल्कि उनके शरीर में दूध का निर्माण भी ज्यादा हो। इसी के चलते उसके भोजन में देसी मसालों और पारंपरिक घरेलू नुस्खों से तैयार आहार की मात्रा बढ़ा देते है। साधारण शब्दों में दूध को फोर्टीफाइड यानी ज्यादा पोषक बनाने के लिए प्रयास करते है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है की यदि बच्चे को जन्म देने के उपरांत माता स्वस्थ और संपूर्ण खुराक ले रही है, तो उसे अपने दूध के पोषण को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
संतुलित और सुपाच्य हो जच्चा का आहार
देहरादून उत्तराखंड की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लतिका जोशी बताती है कि बच्चे जन्म देने के उपरांत माता का भोजन हल्का तथा सुपाच्य होना चाहिए क्योंकि उसका गरिष्ठ भोजन बच्चे को भी समस्या दे सकता है। ऐसी अवस्था में माता को सभी प्रकार का आहार दिया जा सकता है बशर्ते उसकी प्रकृति गारिष्ठ यानी ज्यादा तेल या मिर्च मसाले वाली न हो। क्योंकि आहार के कारण माता को होएने वाली समस्या उसके दूध पर निर्भर रहने वाले बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। साथ ही माता के दूध को ज्यादा पोषक बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि महिला द्वारा लिया गया संतुलित आहार उसके दूध को सभी जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है।
डॉ जोशी बताती हैं की बच्चों में पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करने के लिए माता के स्तन के दूध में सही मात्रा मे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स प्रोफाइल होते हैं। जिन्हें ना सिर्फ पचाना सरल होता है बल्कि उन के माध्यम से मां की प्रतिरक्षा बच्चे तक पहुंच जाती है। परंतु यदि जच्चा किसी प्रकार की समस्या या रोग का सामना कर रही हो, जिसके चलते चिकित्सक को लग रहा हो कि बच्चे को सभी पोषक तत्व संपूर्ण मात्रा में नहीं मिल पा रहे हैं, या उसकी जरूरत के अनुसार माता के शरीर में दूध का निर्मन नहीं हो पा रहा है, ऐसे में वह माता को किसी विशेष प्रकार का आहार या सप्लीमेंट लेने के लिए निर्देशित करते हैं।
जच्चा के लिए विशेष पारंपरिक भारतीय आहार
पोषण विशेषज्ञ कविता सिंह बताती है कि हमारे देश के बच्चे के जन्म के उपरांत माताओं को बहुत सारे सूखे मेवे, अलग अलग प्रकार के लड्डू, घी और चाशनी से बने व्यंजन देने की परंपरा रही है। जिन की प्रकृति उच्च कैलोरी वाली होती है। बच्चे के जन्म के उपरांत माता को बहुत ज्यादा उच्च कैलोरी वाले आहार की ज्यादा जरूरत नहीं होती है, जरूरत से ज्यादा घी और मीठा ना सिर्फ मां बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। यह बताती है कि जन्म के उपरांत लड्डू या पंजीरी का सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए। यदि संभव हो तो इस प्रकार के आहार को बनाने में कम घी और मीठे का इस्तेमाल करना चाहिए। वही संतुलित मात्रा में खाएं गए सूखे मेवे निसंदेह शरीर को पोषण देते हैं। जच्चा प्रतिदिन एक मुट्ठी सूखे मेवे हल्के-फुल्के स्नेक्स के तौर पर ले सकते हैं ।