कोरोना वायरस का नया वेरिएंट सी.1.2 दुनिया भर के चिकित्सा विज्ञानियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है। वैज्ञानिक यह दावा कर रहे हैं की इसकी फैलने की गति तीव्र हो सकती है।
दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाज़ुलु-नेटाल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म के शोधकर्ता बताते हैं की कोविड की तीसरी लहर के दौरान मई 2021 में पहली बार सी.1.2 की पहचान की गई थी। फिलहाल 13 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका के अलावा में यूरोप और एशिया के 7 देशों मे इसके मामले सामने आ चुके हैं।
दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेपर में यह दावा किया है की सी.1.2 वेरिएंट में म्यूटेशन रेट काफी ज्यादा है। शोध के अनुसार सी.1.2 वेरिएंट का म्यूटेशन रेट लगभग 41.8 हर साल का है, जो विश्व स्तर पर कोरोना के दूसरे स्वरूपों के मुकाबले दो गुना ज्यादा है। शोध में बताया गया है की इस वेरिएंट में लगभग 14 प्रकार के म्यूटेशन देखे जा रहे हैं, लेकिन इनकी कुछ सीक्वेंस में काफी अंतर भी देखा गया है।
गौरतलब है कि मई में इस म्युटेंट की जिनोम सीक्वेंसिंग 0.2 प्रतिशत थी, जो कि जून तक बढ़कर 1.6 प्रतिशत और जुलाई में 2% तक हो गई। इसी संबंध में क्रिस्प के निदेशक तुलियो दे ओलिविरा ने एक इम्युनोलॉजी कॉन्फ्रेंस में बताया की ‘यह नया स्ट्रेन अभी सिर्फ 100 जीनोम में पाया गया है, जोकि एक छोटी संख्या है। लेकिन चिकित्सा विज्ञानी इस स्ट्रेन को लेकर बेहद सतर्क हैं, क्योंकि इस स्ट्रेन में इम्यून सिस्टम को चकमा देने की पूरी गुंजाइश है।