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भारत में सालाना आठ लाख से ज्यादा लोग कैंसर से गंवाते हैं जान, प्राइमरी स्टेज में डिटेक्शन सबसे बड़ी समस्या - मैडम क्यूरी

प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता मैडम क्यूरी की जयंती के अवसर पर हर साल सात नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है. उन्हें उनकी अभूतपूर्व खोजों के लिए पहचाना जाता है. कैंसर के खिलाफ चल रही लड़ाई में मैडम क्यूरी का बहुत बड़ा योगदान है. National Cancer Awareness Day 2023, Marie Curie, Madam Curie.

National Cancer Awareness Day 2023
राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 7, 2023, 2:30 PM IST

Updated : Nov 7, 2023, 3:40 PM IST

हैदराबाद :दो बार नॉबेल प्राइज जीतने वाली भौतिक-रसायन वैज्ञानिक मैडम क्यूरी ने रेडियम का आविष्कार किया था, जिसका उपयोग कैंसर के जांच व इलाज में किया जाता है. उनका जन्म 7 नवंबर को हुआ था. कैंसर के इलाज में रेडियम के अमूल्य योगदान को देखते हुए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिन कैंसर के कारण आर्थिक बोझ और उसके प्रभाव के महत्व को समझने व प्रारंभिक पहचान के महत्व को रेखांकित करने के लिए समर्पित है, जो जीवन बचाने के लिए आवश्यक है.

तथ्य एवं वास्तविकताएं

  1. भारत में हर साल 14 लाख कैंसर के नये मामले आते हैं. वहीं इससे सालाना करीब 8.50 लाख लोगों की मौत हो जाती है.
  2. भारत में कैंसर 'सुनामी' की तरह तेजी से एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनकर उभरी है.
  3. कैंसर के मरीजों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट की गई घटनाओं की तुलना में 1.5 से 3 गुना ज्यादा है.
  4. इसका मुख्य कारण कैंसर के मरीजों का कम रजिस्ट्रेशन होना है.
  5. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकैन) का अनुमान है कि ये आंकड़े 2040 तक दोगुने हो जाएंगे.
  6. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, नए वार्षिक कैंसर की घटनाओं की रिपोर्ट के मामले में भारत क्रमशः चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर है.
  7. डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों से पता चलता है कि 9 में से 1 भारतीय को अपने जीवनकाल में कैंसर हो सकता है. इनमें 15 में से एक की मौत हो सकती है.
  8. चिंता की बात है कि भारत में कैंसर की घटनाएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं.
  9. अनुमान है कि भारत में कैंसर की घटनाएं 6.8% (2015 से 2020) की सीएजीआर (Compound Annual Growth Rate) से बढ़ रही हैं, जो चीन (1.3%) (जिसकी जनसंख्या का आकार तुलनीय है). ब्राजील (4.5%) जैसे अन्य विकासशील देशों की तुलना में यह दर काफी अधिक है. इंडोनेशिया (4.8%) के साथ-साथ यूके जैसे विकसित देश (4.4%) है.
  10. भारत में रिपोर्ट की गई 50% घटनाओं में योगदान देने वाले शीर्ष तीन अंग सिर और गर्दन, स्तन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर हैं.
  11. फेफड़े का कैंसर पुरुषों में सबसे आम कैंसर है. वहीं स्तन कैंसर भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाला सबसे आम कैंसर है.
  12. जागरूकता की कमी, एक मजबूत राष्ट्रव्यापी स्क्रीनिंग कार्यक्रम की कमी. अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी/बुनियादी ढांचे, सीमित सामर्थ्य और सबसे महत्वपूर्ण, देखभाल के लिए असमान और खराब पहुंच के कारण मरीजों के लिए बड़ी समस्या है.
  13. इन्हीं कारणों से भारत में 70 फीसदी से अधिक कैंसर रोगी की पहचान एडवांस स्टेज में होती है. इस कारण भारत में कैंसर से होने वाली मौतों का दर अधिक है.
  14. समय पर कैंसर की पहचान नहीं होने के कारण कई लोग बीमरी का पता लगने के एक साल के भीतर ही मर जाते हैं.

कैंसर जांच की प्रभावी व्यवस्था

कैंसर की समस्या गंभीर सामाजिक, वित्तीय, शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक संकट का कारण बनता है जो न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरे परिवार को प्रभावित करता है. इसलिए कैंसर की रोकथाम पर ध्यान देना, शीघ्र पता लगाना और प्रभावी उपचार प्रदान करना महत्वपूर्ण है. वास्तव में, कैंसर की रोकथाम, जांच और शीघ्र निदान भारत में कैंसर के बोझ को रोकने और नियंत्रित करने के लिए सबसे अधिक लागत प्रभावी और प्रभावी उपाय हैं.

  1. कैंसर रोकथाम के उपाय
    कैंसर पर WHO की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, लगभग एक तिहाई से लेकर आधे कैंसर को रोका जा सकता है.
  2. प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं की सक्रिय भागीदारी के साथ कैंसर की रोकथाम को कैंसर देखभाल का एक बेहतर उपाय हो सकता है.
  3. प्राथमिक रोकथाम में ऐसे उपाय शामिल होने चाहिए जो कार्सिनोजेन्स के जोखिम को कम करें (minimize exposure to carcinogens) जैसे कि तंबाकू बंद करना, शराब की खपत को सीमित करना, स्वस्थ आहार बनाए रखना, शारीरिक गतिविधि में वृद्धि, विकिरण और एचपीवी टीकाकरण के जोखिम को कम करना शामिल है.
  4. इस प्रयास में भारत सरकार की ओर से 2018 में शुरू किए गए आयुष्मान भारत कार्यक्रम का लाभ उठाया जाना चाहिए.
  5. कैंसर के बार में जागरूकता जरूरी
    कैंसर का शीघ्र पता लगाने के लिए जागरूकता पैदा करना और लोगों को सशक्त बनाना मौलिक कदम है, जो अधिक जीवन बचाने की कुंजी है. उदाहरण के लिए, 2007 में गैर-लाभकारी स्तन कैंसर चैरिटी, उषालक्ष्मी ब्रेस्ट कैंसर फाउंडेशन की ओर से शुरू किए गए पिंक रिबन अभियान ने तेलुगु राज्यों में शीघ्र पता लगाने के महत्व के बारे में बहुत आवश्यक जागरूकता पैदा की. इसके माध्यम से 'स्तन कैंसर' के बारें में लोगों के बीच व्यापक जानकारी का प्रसार हुआ.
  6. बीते 16 वर्षों में कई नवीन पहल था. इसके परिणामस्वरूप लोगों के मानसिकता में परिवर्तनकारी परिवर्तन आया है. इस क्षेत्र में 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के स्क्रीनिंग की संख्या में वृद्धि हुई है जो स्वयं को वार्षिक स्क्रीनिंग मैमोग्राम के लिए प्रस्तुत करते हैं.
  7. हालांकि सरकार ने सिगरेट और तम्बाकू आधारित उत्पादों के लिए सीधे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरोगेट विज्ञापन अभी भी व्यापक रूप से प्रचलित हैं, जिसमें कई मशहूर हस्तियां माउथ फ्रेशनर, 'इलायची' और पान मसाला ब्रांडों का प्रचार कर रहे हैं. एक मजबूत कार्यान्वयन योग्य कानून के माध्यम से इस सरोगेट विज्ञापन पर अंकुश लगाने की तत्काल आवश्यकता है.

शीघ्र पता लगाना

  1. स्क्रीनिंग के माध्यम से कुछ कैंसरों का शीघ्र पता लगाया जा सकता है. कैंसर के लक्षण प्रकट होने से बहुत पहले ही स्क्रीनिंग तकनीक से पता लगाया जा सकता है कि कैंसर है या नहीं. इससे ज्यादा संख्या में जान को बचाया जा सकता है.
  2. स्क्रीनिंग तकनीक जैसे सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर, स्तन कैंसर के लिए मैमोग्राफी, कोलन कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी शामिल है.
  3. भारत सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2016 में अखिल भारतीय स्क्रीनिंग कार्यक्रम लॉन्च किया गया था. ताकि मौखिक, गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर की व्यापक जांच आसानी से हो सके.
  4. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएचएफएच-5) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि केवल 1.1%सर्वाइकल कैंसर के लिए जनसंख्या की जांच की गई है और स्तन और मुंह के लिए 1% से भी कम की जांच की गई है. इन आंकड़ों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए.
  5. कैंसर के रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाये जाने की जरूरत है.

कैंसर मरीजों का बेहतर डेटा बेस बने

  1. कैंसर के परिणामों में सुधार के लिए मजबूत कैंसर रजिस्ट्रिर होना जरूरी है. रोगियों का सामाजिक-जनसांख्यिकीय डेटा, कैंसर के मामलों का भौगोलिक रुझान, कैंसर के प्रकार, जोखिम कारकों का आकलन करने, उच्च जोखिम वाले समूहों की पहचान करने और योजना बनाने में मदद करते हैं.
  2. कैंसर मरीजों से संबंधित भारत में मात्र 38 कैंसर रजिस्ट्रियां (Population Based Cancer Registries-PBCRs) है, जो भारतीय आबादी का केवल 10% कवर करती हैं.
  3. विडम्बना यह है उनमें से अधिकांश शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं और केवल 2 पीबीसीआर पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ा है, जहां जहां भारत की 70% आबादी निवास करती है. इसके अलावा, की फंडिंग बाधाएं, रजिस्ट्रियां अक्सर एकत्र किए गए डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की अपनी क्षमता को सीमित कर देती हैं.
  4. बड़े राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, और राजस्थान में अभी तक एक भी रजिस्ट्री नहीं है.
  5. भारत में 268 कैंसर अस्पताल हैं जहां कैंसर रोगियों को रिकॉर्ड जमा होता है. उनकी और अधिक आवश्यकता है.

कैंसर सूचित रोग के रूप में घोषित हो

  1. कैंसर को "सूचित रोग" (Notifiable disease) के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए. "सूचित रोग" के रूप में वर्गीकृत करने के लिए सितंबर 2022 में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति की ओर से अनुशंसा किया जा चुका है.
  2. कैंसर को "सूचित रोग" बनाने से न केवल इसकी मजबूती सुनिश्चित होगी. बल्कि कैंसर से होने वाली मौतों का डेटाबेस, घटनाओं का सटीक निर्धारण करने में भी मददगार होगा.

व्यापक कैंसर केंद्र का विस्तार हो

रोगियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुरूप सर्वोत्तम संभव उपचार प्रदान किया जा सकता है. "व्यापक कैंसर केंद्र" में एक समर्पित विषेशज्ञों की टीम होती है, जहां एक छत के नीचे उपचार की सुविधा होती है. इनमें रेडियोलॉजी सेवाओं, उन्नत प्रयोगशाला सेवाओं, जैसे मजबूत क्लिनिकल सेवाएं इम्यूनोहिस्टोकेमिस्ट्री, आणविक निदान और परमाणु चिकित्सा सुविधाएं होती हैं. वर्तमान में देश में लगभग 500 व्यापक कैंसर केंद्र (सीसीसी) हैं, इनमें 25 से 30% सरकारी स्वामित्व वाली हैं जबकि बाकी या तो निजी या ट्रस्ट-आधारित सुविधाएं हैं,

अधिकांश सीसीसी महानगरों और राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं. परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक कैंसर उपचार प्राप्त करने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है, जिससे उन्हें और उनकी देखभाल करने वालों को भारी असुविधा, कठिनाई और पीड़ा का सामना करना पड़ता है. इसलिए, कस्बों और ग्रामीण इलाकों में युद्ध स्तर पर कैंसर देखभाल के बुनियादी ढांचे को तेजी से बढ़ाये जाने की जरूरत है.

(लेखक - डॉ. पी. रघु राम, संस्थापक, निदेशक व सीईओ, किम्स-उषालक्ष्मी स्तन रोग केंद्र, हैदराबाद)

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Last Updated : Nov 7, 2023, 3:40 PM IST

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