दिवाली के बाद जब मौसम में ठंडक शुरू होने लगती है आमतौर पर लोगों में सर्दी-जुकाम-बुखार और गले में दर्द जैसी समस्याएं नजर आने लगती हैं. दरअसल सर्दी की शुरुआत होने के साथ ही वातावरण में नमी भी बढ़ने लगती है जो कई तरह के संक्रमण के फैलने का कारण बनती हैं. ऐसे में कई लोग पहले से ही मौसम के प्रभाव से बचने के लिए घर में देसी, प्राकृतिक व आयुर्वेदिक नुस्खों का उपयोग करने लगते हैं. जो ना सिर्फ संक्रमण के प्रभाव से बचाये रखने में मदद कर सकते हैं बल्कि संक्रमण होने पर भी ठीक होने में मदद करते हैं.
आयुर्वेद में ऐसी कई औषधियों और जड़ी बूटियों का उल्लेख मिलता है जो ऐसी अवस्था में काफी लाभकारी होती है. ऐसी ही एक जड़ी-बूटी है मुलेठी. जिसका ना सिर्फ मूल रूप में बल्कि संयुक्त औषधी में भी इस्तेमाल किया जाता है. विशेषतौर पर मुलेठी के सर्दियों में इस्तेमाल के फायदे बहुत हैं. यह इतनी फायदेमंद मानी जाती है कि कई टूथपेस्ट, माउथ फ्रेशनर तथा मुखवास में भी मुलेठी का इस्तेमाल किया जाता हैं.
मुलेठी के पोषक तत्व व गुण (Nutrients and properties of Licorice)
आयुर्वेद में मुलेठी को बेहद असरदार औषधि के रूप में मान्यता दी जाती है. इसे यष्टिमधु भी कहा जाता है. गौरतलब है कि मुलेठी में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक तथा एंटी माइक्रोबॉयल गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा मुलेठी में कैल्शियम, प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए-ई, आयरन, पोटेशियम, सेलेनियम, फास्फोरस, सिलिकॉन, जिंक,कैल्शियम, बीटा कैरोटीन, ग्लिसराइजिक एसिड तथा एंटीऑक्सीडेंट आदि पोषक तत्व समृद्ध मात्रा में पाए जाते हैं.
कई रोगों में लाभकारी है मुलेठी
मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर मनीषा काले (Dr Manisha Kale Mumbai Ayurvedic doctor) बताती हैं कि खांसी, जुखाम, गले व फेफड़ों में संक्रमण तथा मुंह व पेट संबंधी तथा कई अन्य प्रकार कि समस्याओं में दी जाने वाली औषधियों में मुलेठी का उपयोग किया जाता है. सिर्फ मिश्रित औषधी के रूप में ही नहीं बल्कि इसके मूल स्वरूप जैसे जड़, छाल या लकड़ी के चूर्ण, या उसे उबाल कर बनाए गए काढ़े का उपयोग भी सेहत को कई तरह से फायदे दे सकता है. इसके अलावा इसे उबालकर ठंडा कर विशेष रूप से तैयार किए गए पानी से नेत्र साफ करने या धोने से, त्वचा या घाव पर इसका लेप लगाने से भी समस्या में राहत मिलती है.
Dr Manisha Kale बताती हैं कि मुलेठी शरीर में वात और पित्त दोष को कम करती है. वहीं इसे प्राकृतिक ब्रोन्कोडायलेटर भी माना जाता है, जो श्वसन तंत्र में होने वाले संक्रमण के इलाज में काफी उपयोगी हो सकता है. इसका सेवन सांस की नलियों की सूजन को कम करने में, सर्दी-जुकाम-बुखार तथा संबंधित संक्रमण में, गले में सूजन व दर्द में तथा फेफड़ों संबंधी रोग व समस्याओं में काफी लाभकारी हो सकता है. मुलेठी से कमजोर इम्यूनिटी, तथा लिवर संबंधी समस्याओं में भी आराम मिलता है. चिकित्सक के दिशा निर्देशों के अनुसार नियंत्रित मात्रा में इसका सेवन करने से यह गैस्ट्रिक और पेप्टिक अल्सर से बचाव करने में भी मददगार साबित हो सकती हैं और इससे पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है. Dr Manisha Kale बताती हैं कि मुलेठी में रक्त शोधक गुण भी होते हैं जो खून की सफाई करते हैं, जिससे त्वचा व बाल भी निरोगी तथा सुंदर रहते हैं. इसके अलावा मुख संबंधी समस्याओं जैसे मुंह की बदबू, छालों तथा घाव में इसका सेवन व उपयोग लाभकारी हो सकता है.
कैसे करें उपयोग
Ayurvedic Dr Manisha Kale बताती हैं कि मुलेठी दरअसल एक झाड़ीनुमा पौधा होता है. औषधि के रूप में मुलेठी के तने, जड़ तथा छाल को सुखाकर इस्तेमाल किया जाता है. यह स्वाद में मीठी होती है. कई लोग गले में दर्द, खराश, कफ तथा खांसी में मुलेठी का छोटा टुकड़ा मुंह में रखकर चूसते रहते हैं. वहीं जो लोग गाते हैं वो भी मुलेठी का काफी उपयोग करते हैं क्योंकि यह गला खोलती है और इसके सेवन से आवाज बेहतर रहती है. वह बताती हैं कि सिर्फ औषधि के रूप में ही नहीं बल्कि इसकी लकड़ी को उबाल कर उसके पानी को थोड़ा ठंडा करके उससे गरारे करने से गले के दर्द तथा मुंह की कई समस्याओं में राहत मिल सकती हैं. वहीं कई लोग सर्दी जुकाम होने पर चाय में भी इसका उपयोग करते हैं.