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आयुर्वेद व योग का साथ दिलाएगा कोरोना से मुक्ति

आयुर्वेद की मदद से कैसे कोरोना काल में अपने स्वास्थ की रक्षा की जा सकती है. इसके बारे में लोगों को जानकारी देने के उद्देश्य से आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद तथा योग पर आधारित क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है. इस प्रोटोकॉल में रोग से बचाव के साथ ही रोग होने पर ली जाने वाली आयुर्वेदिक दवाइयों तथा उनके सेवन को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई है.

Clinical management protocol
क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल

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Published : Oct 12, 2020, 11:07 AM IST

पूरी दुनिया इस समय इस जद्दोजहद में लगी हुई है कि किस तरह से कोरोनावायरस के डर के साये से बाहर निकला जा सके और इस वायरस को जड़ से खत्म किया जा सके. हालांकि कोरोना का वायरस अभी भी स्वछंद हवा में घूम रहा है, लेकिन अब आमजन इस प्रयास में लगा है की किस तरह निरोगी रहा जा सके, जिसके लिए वह तमाम प्रयास भी कर रहा है. लोगों के इसी प्रयास को अपना सहयोग देने के उद्देश्य से आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 से लड़ने के लिए आयुर्वेद तथा योग पर आधारित क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी किया है. रोग निरोधी उपायों वाले इस प्रोटोकॉल को ना सिर्फ कोविड-19 के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, बल्कि आधुनिक समय की समस्याओं के समाधान में पारंपरिक ज्ञान को प्रासंगिक बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

कोविड-19 का प्रबंधन

कोविड-19 का प्रबंधन

हालांकि अभी तक कोरोना वायरस की कोई दवा बाजार में नहीं आई है, लेकिन आयुष मंत्रालय के इस प्रोटोकाल में ऐसे व्यवहार और उपचार के बारे में बताया तथा निर्देशित किया गया है, जिससे कोरोना से बचाव संभव है. इन उपचारों को हल्के तथा ज्यादा गंभीर लक्षण वाले, दोनों प्रकार के रोगियों के लिए अलग-अलग निर्धारित किया गया है. इस प्रोटोकाल तथा उसके अनुलग्नक को आयुष विभाग के अंतर्गत आने वाले विभिन्न विभागों तथा कोरोना के मद्देनजर बनाई गई विशेष कमेटियों द्वारा शोध के बाद बनाया गया है.

प्रोटोकाल के अनुसार संक्रमण से बचने के उपाय

  • सोशल डिस्टेंसिंग, साफ-सफाई और हाथों की स्वच्छता के अलावा मास्क पहनना जरूरी है.
  • एक चुटकी हल्दी और नमक को गर्म पानी में डालकर गरारे करें. त्रिफला और यष्टीमधु यानी मुलेठी को पानी में उबालकर उससे गरारे करें.
  • अणु तेल, षडबिन्दु, तिल का तेल या नारियल का तेल की बूंदें नाक में डाली जा सकती हैं.
  • गाय के घी को भी दिन में एक या दो बार नाक में डालना चाहिए, खासकर जब घर से बाहर जाना हो और बाहर से घर लौटे हो.
  • यूकेलिप्टस के तेल, अजवाइन या पुदीने को पानी में डालकर दिन में एक बार भाप लेना चाहिए.
  • कम से कम छह से आठ घंटे की नींद लेनी चाहिए. कसरत करनी चाहिए और योग प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए.
  • अदरक, धनिया, तुलसी की पत्ती या जीरा डालकर उबाले गए पानी को पीना चाहिए.
  • ताजा, गर्म और संतुलित खाना खाएं. आधा चम्मच हल्दी 150 एमएल गर्म दूध में डालकर रात में पीना चाहिए. अपच होने पर दूध नहीं पीना चाहिए.
    गर्म और संतुलित खाना खाएं
  • आयुष काढ़ा या क्वाथ दिन में एक बार लेना चाहिए.

एसिंप्टोमैटिक और हल्के लक्षण वालों का इलाज कैसे?

  • प्रोटोकॉल के मुताबिक, हल्के लक्षणों वाले और एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीज को 15 दिन, एक महीने या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से दिन में दो बार गर्म पानी के साथ अश्वगंधा या इसका चूर्ण, 15 दिन तक लेना चाहिए.
  • हल्के लक्षणों वाले मरीजों को अगर सांस लेने में तकलीफ ना हो या ऑक्सीजन का स्तर कम ना हो तो, 15 दिन तक या आयुर्वेदिक डॉक्टर के सलाह के अनुसार, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ 375 मिलीग्राम गुडुची और पिप्पली और दिन में दो बार 500 मिलीग्राम की आयुष-64 टैबलेट लेनी चाहिए.
  • इन दवाइयों को लेने के साथ खानपान संबंधी या अन्य नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए.

अती गंभीर अवस्था तथा रोगियों के सीधे संपर्क में आने वाले रोगियों का इलाज

प्रोटोकॉल में अधिक जोखिम वाले लोगों तथा रोगियों के संपर्क में आए लोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सकों से परामर्श के उपरांत अश्वगंधा, गुडूची घनवटी और च्यवनप्राश जैसी औषधियों के उपयोग का सुझाव दिया गया है.

  1. प्रोटोकाल के अनुसार 15 दिन तक गरम पानी के साथ गुडुची और पिप्पली का सेवन किया जाना चाहिए.
  2. आयुष 500 एमजी दवाई को गरम पानी के साथ दिन में 2 बार लेना चाहिए.

कोरोना से ठीक होने के उपरांत

प्रोटोकॉल के अनुसार कोरोना के उपरांत भी शारीरिक व मानसिक स्वास्थ को बेहतर रखने तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ फाइब्रोसिस जैसी समस्या से बचाव के लिए चिकित्सकों से परामर्श के उपरांत निम्नलिखित आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन की सलाह दी गई है.

  1. प्रतिदिन गरम पानी के साथ 1-3 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण या 500 एमजी अश्वगंधा सत का सेवन करना चाहिए.
  2. दिन में एक बार गरम दूध या पानी के साथ च्यवनप्राश का सेवन करें.
  3. एक माह तक शहद के साथ 3 ग्राम रसायन चूर्ण का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है.

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