हैदराबाद : हमारे कान सामान्य तौर पर संक्रमण को लेकर ज्यादा संवेदनशील रहते हैं. चिंता की बात यह है कि कान में होने वाले विकारों या संक्रमणों का प्रभाव कई बार सिर्फ कान में समस्या तक ही सीमित नहीं रहता है. आमतौर पर कान में होने वाले कम या ज्यादा गंभीर संक्रमणों या विकारों का प्रभाव मस्तिष्क से जुड़ी तंत्रिकाओं, नेत्र तथा अन्य संबंधित तंत्रों व अंगों पर नजर आ सकता है.
ऐसी ही एक समस्या है मिनियर्स रोग. जो आंतरिक कान में पनपती है. हालांकि यह एक आम रोग नहीं है लेकिन जब यह होता है तो इसके कारण पीड़ित को कान से जुड़ी समस्याओं के अलावा कई अन्य प्रकार की गंभीर समस्याएं भी प्रभावित करने लगती हैं.
कारण तथा लक्षण
- चंडीगढ़ के नाक कान गला रोग विशेषज्ञ डॉ सुखबीर सिंह बताते हैं कि मिनियर्स रोग को एंडो-लिम्फेटिक हाइड्रोप्स भी कहा जाता है क्योंकि यह आंतरिक कान में पाए जाने वाले लिक्विड “एंडोलिम्फ” की मात्रा के जरूरत से ज्यादा बढ़ने के कारण होता है. यह एक क्रोनिक रोग है तथा इसका पूर्ण इलाज आमतौर नहीं हो पाता है. यह पीड़ित में लंबे समय तक रह सकता है . यानी एक बार इसके लक्षणों में आराम मिलने के बाद भी यह अलग-अलग कारणों से दोबारा ट्रिगर हो सकता है. इसलिए इसके उपचार के साथ-साथ इसका प्रबंधन भी बेहद जरूरी होता है.
- आमतौर पर इसके लिए आघात या सिर पर चोट, वायरल संक्रमण या एलर्जी, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, कान में रुकावट या कान की असामान्य संरचना या कई बार आनुवंशिकता भी जिम्मेदार हो सकती है. इसे एक इडियोपैथिक सिंड्रोम भी माना जाता है क्योंकि कई मामलों में इसके लिए जिम्मेदार स्पष्ट कारणों का पता नहीं चल पाता हैं. यह ज्यादातर 30-60 वर्ष की उम्र में होता है.
- डॉ सुखबीर सिंह बताते हैं कि लक्षणों की बात करें तो इस विकार के शुरुआती चरण में आमतौर पर पीड़ित को कान भरा हुआ महसूस होने या कान में दबाव महसूस होने के साथ अचानक चक्कर आने या वर्टिगो की समस्या होने लगती है. इस अवस्था में वर्टिगो का एपिसोड 20 मिनट से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है. वहीं पीड़ितों को इस अवस्था में टिनिटस या कान बजने की समस्या होने के साथ कई बार सुनने में परेशानी जैसी समस्या भी होने लगती है , जो समस्या की गंभीरता के अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है.
- जैसे-जैसे यह समस्या ज्यादा प्रभाव दिखाने लगती है पीड़ित में सुनने की क्षमता में ज्यादा कमी होने लगती हैं और कई बार उसमें ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती हैं जो हाइपरक्यूसिस जैसी परेशानी का कारण बन सकती हैं. इसके अलावा समस्या की गंभीरता ज्यादा बढ़ने पर पीड़ित का संतुलन तक अस्थिर हो सकता है , यानी वह अचानक बिना कारण गिर सकता हैं. हालांकि यह एक दुर्लभ स्थिति है तथा अमूनन विकार के मात्र 10% मामलों में ऐसा होता है.
- इसके साथ ही इस विकार में पीड़ित में उल्टी-मतली या ज्यादा पसीने आने के साथ कई अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं. वह बताते हैं कि यह विकार आमतौर पर केवल एक कान को प्रभावित करता है लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह विकार दोनों कानों को प्रभावित कर सकता है.
जांच व निदान
मिनियर्स रोग की जांच के लिए लक्षणों तथा प्रभाव की गंभीरता के आधार पर सुनने की क्षमता जांचने के लिए, टिनिटस की गंभीरता जांचने के लिए तथा वर्टिगो व शरीर के संतुलन में समस्या की जांच के लिए कई टेस्ट किए जाते हैं. जिनमें ईसीओएचजी, ऑडियोमेट्री, वीडियोनिस्टागमोग्राफी,इलेक्ट्रोकोकलोग्राफी, पोस्टुरोग्राफी तथा अन्य प्रकार के सुनने की क्षमता को जानने के लिए किए जाने वाले टेस्ट, रक्त परीक्षण तथा इमेजिंग परीक्षण जैसे सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन किए जाते हैं.